हमारे बाग-बगीचे की अनमोल औषधीय और धार्मिक धरोहर - वन तुलसी - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, geet, bhajan, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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गुरुवार, 27 नवंबर 2025

हमारे बाग-बगीचे की अनमोल औषधीय और धार्मिक धरोहर - वन तुलसी


शहर की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में जब लोग हमारे घर के बाहर के बाग-बगीचे की हरियाली देखकर ठहर जाते हैं और उसमें लगे औषधीय पौधों पर चर्चा करते हैं, तो मन को गहरी प्रसन्नता होती है। यह खुशी इसलिए भी विशेष है कि अधिकांश सरकारी मकानों में बाग-बगीचे विरले ही देखने को मिलते हैं। कारण यही है कि लोग सोचते हैं – “घर तो अपना नहीं, फिर क्यों मेहनत करें।” इन सोचों और हतोत्साहन के बावजूद हमने अपने सरकारी घर के बाहर की ऊबड़-खाबड़, बंजर भूमि को हरियाली से भर दिया। दो-ढाई हजार स्क्वायर फीट क्षेत्र में सैकड़ों फल-फूल और औषधीय पौधे लगाए, जो राहगीरों का ध्यान बरबस अपनी ओर खींच लेते हैं।
       गिनीज रिकॉर्ड से भी ऊँची तुलसी हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। यह हमारे बगीचे की सबसे बड़ी धरोहर है, इस तुलसी को वन तुलसी, अरण्य तुलसी, ब्रह्म तुलसी या कठेरक के नाम से भी जाना जाता है। बंजर ज़मीन से हरियाली तक – हमारी इस तुलसी की अनोखी कहानी कुछ इस प्रकार है -
- सामान्यतः लोग रामा और श्यामा तुलसी को ही जानते हैं, पर हमने इस विशिष्ट तुलसी को उगाया है।
- ग्रीस की 10 फीट 2 इंच की गिनीज रिकॉर्डधारी तुलसी से भी बड़ी, लगभग 12 फीट ऊँची तुलसी हमारी बगिया का चमत्कार है।
- इसके साथ ही 5 से 11 फीट ऊँचाई वाली कई तुलसी के पौधे भी लगातार बढ़ रहे हैं।
- इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि यह हर मौसम में हरी-भरी रहती है, जबकि सामान्य तुलसी ठंड में पाले से नष्ट हो जाती है।
-यह तुलसी रामा और श्यामा तुलसी की तरह ही औषधीय गुणों से भरपूर है।
तुलसी का शास्त्रीय प्रमाण और औषधीय गुण

- चरक संहिता: तुलसी हिचकी, खाँसी, विष विकार, पसली का दर्द मिटाती है; पित्त, कफ और वायु का शमन करती है।
- भाव प्रकाश: तुलसी हृदय के लिए हितकर, त्वचा रोगों में लाभकारी, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और मूत्र विकार मिटाने वाली है।
- पुराणों में: तुलसी को सर्वदेव निवास का स्थान बताया गया है। जहाँ तुलसी का पौधा होता है, वहाँ ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित सभी देवताओं का वास माना गया है।
       हमारे बाग-बगीचे की यह विशिष्ट तुलसी न केवल औषधीय और धार्मिक दृष्टि से अमूल्य है, बल्कि यह प्रकृति-प्रेम और सेवा-भाव का प्रतीक भी है। यह अनुभव हमें यह विश्वास दिलाता है कि यदि मन में लगन और सेवा की भावना हो, तो बंजर भूमि भी हरियाली और जीवनदायिनी औषधियों से भर सकती है।
... कविता रावत 

1 टिप्पणी:

M VERMA ने कहा…

स्तुत्य प्रयास - वाह