आरती श्री गणपति की मैं गाऊँ - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 29 अगस्त 2025

आरती श्री गणपति की मैं गाऊँ


सब जग का जिसे कारण पाऊं
आरती श्री गणपति की मैं गाऊँ।
स्वनंदेश परब्रह्म कहाए
दर पे जिसके सब शीश नवाए,
सब के हृदय में जिसको पाऊं
आरती उस गणपति की मैं गाऊँ

एकदंत गजवदन गणनाथ
स्वानंदेश्वर मतिसिद्धिकांत की जय !
उमामहेश्वरसुत सिंदूरवदन विघ्नराज की जय !
सर्व माया करीना मां महासिद्धि की जय !
सर्व माया धारिणी मां महाबुद्धि की जय !
लक्ष लाभ की जय !
मूषक राज की जय !
नग्नभैरव राज की जय !
आनंद के आनंद, परमानंद श्री प्रभु स्वानंदनाथ की जय!
ॐ नमो भगवते गजाननाय।

... Kavita/Arjit Rawat 

4 टिप्‍पणियां:

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शनिवार 30 अगस्त 2025 को लिंक की जाएगी ....

http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

!

Onkar Singh 'Vivek' ने कहा…

बहुत सुंदर,बधाई।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर

हरीश कुमार ने कहा…

बहुत सुंदर रचना, गणपति बप्पा मोरिया 🙏