सब जग का जिसे कारण पाऊं
आरती श्री गणपति की मैं गाऊँ।
स्वनंदेश परब्रह्म कहाए
दर पे जिसके सब शीश नवाए,
सब के हृदय में जिसको पाऊं
आरती उस गणपति की मैं गाऊँ
एकदंत गजवदन गणनाथ
स्वानंदेश्वर मतिसिद्धिकांत की जय !
उमामहेश्वरसुत सिंदूरवदन विघ्नराज की जय !
सर्व माया करीना मां महासिद्धि की जय !
सर्व माया धारिणी मां महाबुद्धि की जय !
लक्ष लाभ की जय !
मूषक राज की जय !
नग्नभैरव राज की जय !
आनंद के आनंद, परमानंद श्री प्रभु स्वानंदनाथ की जय!
ॐ नमो भगवते गजाननाय।
... Kavita/Arjit Rawat
4 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शनिवार 30 अगस्त 2025 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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बहुत सुंदर,बधाई।
सुंदर
बहुत सुंदर रचना, गणपति बप्पा मोरिया 🙏
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