Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

भोपाल गैस त्रासदी: मैं ही नहीं अकेली दुखियारी

दिसंबर 03, 2015
अब तक 15 हज़ार से भी अधिक लोगों को मौत के आगोश में सुला देने वाली विश्व की सबसे बड़ी औधोगिक त्रासदी की आज 31वीं बरसी है। आज भी जब मौत के ...
और पढ़ें>>

सोमवार, 30 नवंबर 2015

शनिवार, 7 नवंबर 2015

मंगलवार, 13 अक्टूबर 2015

गाय भारतीय जीवन का अभिन्न अंग है

अक्टूबर 13, 2015
हिन्दू साहित्य में गाय- प्राचीनकाल से ही भारत के जनमानस में गाय के प्रति सर्वोच्च श्रद्धा भाव रहा है। उसे राष्ट्र की महान धरोहर, लौकिक ...
और पढ़ें>>

बुधवार, 7 अक्टूबर 2015

सोमवार, 14 सितंबर 2015

हिन्दी दिवस हिन्दी का पर्व है

सितंबर 14, 2015
प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को मनाये जाने वाला हिन्दी दिवस हिन्दी के राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित होने का गौरव, उसके प्रति निष्ठा व्यक्त क...
और पढ़ें>>

शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

सोमवार, 10 अगस्त 2015

उद्यानिकी स्वर्ण क्रान्ति अभियान

अगस्त 10, 2015
हमारा भोपाल शहर बहुत खूबसूरत है और अब इस खूबसूरती को घर-घर तक पहुंचाकर उस पर चार चांद लगाने का शुभारम्भ गुलाब उद्यान भोपाल द्वारा गार...
और पढ़ें>>

शनिवार, 25 जुलाई 2015

व्यापमं और डीमेट घोटाले का डरावना सच

जुलाई 25, 2015
वर्ष 2009 में जब मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित एमपी नगर थाने में व्यापमं ने बुंदेलखंड सागर मेडिकल काॅलेज से प्राप्त प्रतिवेदन के आधा...
और पढ़ें>>

बुधवार, 1 जुलाई 2015

मंगलवार, 2 जून 2015

रविवार, 10 मई 2015

Happy Mothers Day

मई 10, 2015
नन्हें हाथों का प्यारा उपहार ।  छुपा है जिसमें माँ का प्यार । ।  आज मेरे बेटे ने मुझे यह प्यारी ग्रीटिंग बनाकर दी ..    ..... .कवित...
और पढ़ें>>

सोमवार, 20 अप्रैल 2015

भगवान परशुराम जयंती विशेष

अप्रैल 20, 2015
बचपन में हम रामलीला देखने के लिए बड़े उत्सुक रहते थे। जब-जब जहाँ-कहीं भी रामलीला के बारे में सुनते वहाँ पहुंचते देर नहीं लगती। रामलीला म...
और पढ़ें>>

सोमवार, 16 मार्च 2015

मानव के लिए आत्मसम्मान की रोटी जरुरी

मार्च 16, 2015
एक बूढ़े कोढ़ी, लंगड़े को देखकर भला कौन काम देता। लेकिन पेट की आग जो लगातार धधकती रहती है, उसे बुझाने के लिए दो वक्त की रोटी तो जरूरी है...
और पढ़ें>>