निष्ठुर सर्द हवा - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

शनिवार, 11 जनवरी 2020

निष्ठुर सर्द हवा

जाड़ों की गुनगुनी धुप में
छत की मुंडेर पर
दिन-रात चुभती
निष्ठुर सर्द हवाओं से
होकर बेखबर
सूरज की रश्मि सी
बिखेर रही हो तुम
कच्ची, सौंधी, लुभावनी
प्यार भरी मुस्कान!
क्या पता है तुझे?
यह कीमती जेवर है तेरा 
इसे यूँ ही मत खो देना
जरा सम्भालकर कर रखना
बहुत आयेंगे करीब तेरे
अपना बन, अपना जताने
जो इस कीमती गहने को
चुराने को उद्यत मिलेंगे
लेकिन इतना याद रखना
कभी मत बिखेरना
अपने प्यार के मोती
अनजानी, बेखबर वीरान राह में
वर्ना छीन लेगा तुझसे
कोई अपना दुस्साहसी बन
खिलखिलाता जीवन
और तुम धूल धूसरित सी
बिखरी-बिखरी मिलो मुझे
छत के किसी कोने में!
           ....कविता रावत


85 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हँसते खिलखिलाते जीवन से बढ़कर कोई गहना नहीं।

सुज्ञ ने कहा…

हितचिन्तक अभिव्यक्ति!!!

एक सीख सी प्रस्तुत करती अवधारणा।

मधुर!!

pratibha ने कहा…

जाड़ों की गुनगुनी धुप में
छत की मुंडेर पर
दिन-रात चुभती
निष्ठुर सर्द हवाओं से
होकर बेखबर
...
aur
कभी मत बिखेरना
अपने प्यार के मोती
अनजानी, बेखबर वीरान राह में
वर्ना छीन लेगा तुझसे
कोई अपना दुस्साहसी बन

खिलखिलाता जीवन
और तुम धूल धूसरित सी
बिखरी-बिखरी मिलो मुझे
छत के किसी कोने में!

..asamajik tatyon se khabardaar karti sundar seekh deti Gulabi kavita..... nayee pedhi ke bhatkav se bachane ka saarthak chhupa prayas jhalakata hai aapki es nutan kavita main...... naya saal kee shandaar surwat....bahut badhi

Unknown ने कहा…

pyar hota hai kiya jata nahi hai, aur jo hota hai wah hamesha saty hota hai,

नया सवेरा ने कहा…

... atisundar !!

सदा ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत शब्‍दों का संगम ...बधाई इस बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये ।

deepti sharma ने कहा…

bahut sunder sabd
or sunder rachna
nav varsh ki hardik badhayi

mere blog par
"mai aa gyi hu lautkar"

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

जाड़ों की गुनगुनी धुप में
छत की मुंडेर पर
दिन-रात चुभती
निष्ठुर सर्द हवाओं से
होकर बेखबर
सूरज की रश्मि सी
बिखेर रही हो तुम
कच्ची, सौंधी, लुभावनी
प्यार भरी मुस्कान!
क्या पता है तुझे?

aise muskan me kaun na wara jaye...:)
aise khubshurat soch ko salam!!

बेनामी ने कहा…

कभी मत बिखेरना
अपने प्यार के मोती
अनजानी, बेखबर वीरान राह में
वर्ना छीन लेगा तुझसे
कोई अपना दुस्साहसी बन

खिलखिलाता जीवन
और तुम धूल धूसरित सी
बिखरी-बिखरी मिलो मुझे
छत के किसी कोने में!
....
अनूठा अंदाज
गुलाब के खिले फूल के माध्यम से आपने बहुत ही सधे शब्दों में एक नवयौवना के अल्हड प्यार में संजीदा बने रहने और प्यार में भ्रमित होकर उसकी परिणति को कुशल पारखी तरह समझा दिया है ........
एक बार पढ़कर तो समझा नहीं किन्तु जब समझने की कोशिश की तो मुझे यही लगा .....
काबिलेतारीफ है नए साल का नया तोफा! यूँ ही नए नए अंदाज में लिखते रहें आप नए साल में ...

समय चक्र ने कहा…

sundar bhavapoorn rachana ...

Sonu ने कहा…

जाड़ों की गुनगुनी धुप में
छत की मुंडेर पर
दिन-रात चुभती
निष्ठुर सर्द हवाओं से
होकर बेखबर
सूरज की रश्मि सी
बिखेर रही हो तुम
कच्ची, सौंधी, लुभावनी
प्यार भरी मुस्कान!
...bahut khoobsurat baangi
Laajawab rachna.

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर, चमकती धुप की तरह खिली आप की यह रचना. धन्यवाद

Unknown ने कहा…

कच्ची, सौंधी, लुभावनी
प्यार भरी मुस्कान!
क्या पता है तुझे?
यह कीमती जेवर है तेरा
इसे यूँ ही मत खो देना
जरा सम्भालकर कर रखना
बहुत आयेंगे करीब तेरे
अपना बन, अपना जताने
जो इस कीमती गहने को
चुराने को उद्यत मिलेंगे
.....बहुत सुंदर खूबसूरत रचना ... इस बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई

rashmi ravija ने कहा…

Bahut hi sundar shabdon...aur bhaav se saji kavita

arvind ने कहा…

bahut khoobasoorat rachna....

nilesh mathur ने कहा…

बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ है, बेहतरीन अभिव्यक्ति!

शूरवीर रावत ने कहा…

पुष्प सौन्दर्य की उत्कृष्ट भावाभिव्यक्ति. साथ ही पुष्प को इस निर्मम जगत में अपनी अनमोल सुन्दरता को व्यर्थ न लुटा देने के लिए सचेत करना ........... इस बर्फीले मौसम में ऐसी ही एक अच्छी कविता की आकांक्षा थी कविता जी से. ... इस सुन्दर रचना के लिए आभार.

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

काश! आपकी इस कविता की होर्डिंग बनवाकर हर महानगर की सड़कों पर लगवा दिया जाता, ताकि जिनके लिये यह संदेश है, वो शिक्षा ले सकें इस कविता से!!

हरीश प्रकाश गुप्त ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति। आभार

Anita kumar ने कहा…

बहुत सुंदर कविता कविता जी, मुझे बधाई देने के लिए धन्यवाद, तहे दिल से आभारी हूँ

Unknown ने कहा…

कभी मत बिखेरना
अपने प्यार के मोती
अनजानी, बेखबर वीरान राह में
वर्ना छीन लेगा तुझसे
कोई अपना दुस्साहसी बन....

बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ है.....कविता जी!!!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.....

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

कविता जी बहुत ही सुंदर एहसास के साथ एक प्यारी सी कविता...... संदर प्रस्तुति

Dolly ने कहा…

यह कीमती जेवर है तेरा
इसे यूँ ही मत खो देना
जरा सम्भालकर कर रखना
बहुत आयेंगे करीब तेरे
अपना बन, अपना जताने
जो इस कीमती गहने को
चुराने को उद्यत मिलेंगे
............
वर्ना छीन लेगा तुझसे
कोई अपना दुस्साहसी बन
खिलखिलाता जीवन
और तुम धूल धूसरित सी
बिखरी-बिखरी मिलो मुझे
छत के किसी कोने में!

कविता जी!
आपकी नई पोस्ट का मुझे न जाने क्यों इंतज़ार सा रहता है ... मैं व्यक्तिगत रूप से आपसे परिचित तो नहीं फिर भी आपके ब्लॉग से कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो गयी है मुझे!!!

बेखबर मुस्कुराते खिलखिलते गुलाब के माध्यम से लगता है आपने आज के नवयौवना को प्यार में सतर्कता बरतने के लिए आगाह सा किया है.. प्यार जताने वाले अपने बनाने वालों में कौन कब धोखा दे जाय, कोई कुछ नहीं कह सकता और यह आज इस तरह के उथले प्यार में बर्बाद होते युवा-युवती प्यार की गहराई कहाँ जानते हैं, आपकी यह रचना गहरी अनुभूति से भरी गंभीर सीख देती मालूम होती है|
इस कविता को पढ़कर मुझे १० वर्ष पहले कॉलेज के ऐनुवल फंग्शन में एक प्रोफ़ेसर द्वारा कही गयी शायरी याद आ गयी, जिसे उस समय ठीक से समझे तो नहीं थे लेकिन मुझे बहुत अच्छी लगी थी तभी शायद मुझे आज तक याद है.....
कितने नादाँ हैं आज के जवां
प्यार किया चीज जानते नहीं
ये जेवर है लड़की का सबसे हंसी
ये तजुर्बा है मेरा मानते ही नहीं!!!!

Surya ने कहा…

जाड़ों की गुनगुनी धुप में
छत की मुंडेर पर
दिन-रात चुभती
निष्ठुर सर्द हवाओं से
होकर बेखबर
सूरज की रश्मि सी
बिखेर रही हो तुम
कच्ची, सौंधी, लुभावनी
प्यार भरी मुस्कान!
......गुलाब के फूल से सुन्दर मोहक लुभावनी कविता!
....प्यार के पहले कदम न डगमगाए ऐसी सीख सी देती रचना... शुक्रिया कविता जी!

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय कविता जी!
नमस्कार !
सुंदर एहसास के साथ एक प्यारी सी कविता..
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

निर्मला कपिला ने कहा…

लेकिन इतना याद रखना
कभी मत बिखेरना
अपने प्यार के मोती
अनजानी, बेखबर वीरान राह में
कविता आज कल तो अपने पराये मे फर्क ही नही रहा। अपने ही बर्बाद कर देते हैं। अच्छा सन्देश देती, समाज का आईना दिखाती रचना। शुभकामनायें।

बेनामी ने कहा…

आपके ब्लॉग पर पढ़ी रचनाओं मैं सर्वश्रेष्ठ - हर द्रष्टिकोण से सम्पूर्ण और प्रभावी रचना - हार्दिक बधाई

ZEAL ने कहा…

बेहतरीन अभिव्‍यक्ति--बधाई

Unknown ने कहा…

जाड़ों की गुनगुनी धुप में
छत की मुंडेर पर
दिन-रात चुभती
निष्ठुर सर्द हवाओं से
होकर बेखबर
सूरज की रश्मि सी
बिखेर रही हो तुम
कच्ची, सौंधी, लुभावनी
प्यार भरी मुस्कान!


वाह! कविता जी! सीखें कोई आपसे ब्लॉगरी गुर! कायल हुए हम आपका ब्लॉग पढ़कर.... एक से बढ़कर एक कविता आपके नाम के अनुरूप ! नए साल का यह तोहफा मन को बहुत भा गया है ! आपको नया साल मुबारका!! !!!

प्रमोद ताम्बट ने कहा…

कविता जी,
आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ, अच्छा लगा ब्लॉग।
मेरे ब्लॉग/रचना पर आपकी प्रति​​क्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आशा है इसी तरह ब्लॉग पर आना होता रहेगा।
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
http://vyangya.blog.co.in/
http://www.vyangyalok.blogspot.com/
http://www.facebook.com/profile.php?id=1102162444

Shikha Kaushik ने कहा…

sach kaha aapne ''muskurahat'kisi keemti gahne se kam nahi.bahut sundar kavita .mere blog 'vikhyat' par aapka hardik swagat hai.

राजेश उत्‍साही ने कहा…

कविता, आपकी कविता पहले पद में ही पूरी हो जाती है। बाद का हिस्‍सा तो कविता को कमजोर कर देता है। बल्कि मुझे लगता है वह एक अलग ही कविता बन जाती है।

mridula pradhan ने कहा…

कभी मत बिखेरना
अपने प्यार के मोती
अनजानी, बेखबर वीरान राह में
bahut achchi nasihat deti hui kavita.

प्रवीण ने कहा…

.
.
.
सुंदर रचना...
पर कविता जी, चेताना तो ठीक है पर मुझे डर है कि कहीं कुछ मासूम दिल डर न जायें...और वंचित रह जायें... प्यार के अहसास से...


...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

कविता जी, मन को छू गयी आपकी भावनाएं।

हार्दिक बधाई।

---------
पति को वश में करने का उपाय।

vedvyathit ने कहा…

jb hath thiturte hain
tb mn ke alaavon me
dil bhi to jlte hain

riste n jm jayen
dil ko kuchh jlne do
ve grmaht payen

srd ritu ka sundr chitrn
hardik bdhai

Dr Xitija Singh ने कहा…

और तुम धूल धूसरित सी
बिखरी-बिखरी मिलो मुझे
छत के किसी कोने में!....

वाह क्या बात कहीं है कविता जी .... बहुत खूब
आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ..

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

Nice post .
आदाब ! आपके लिए नया साल अच्छा गुज़रे ऐसी हम कामना करते हैं। आप ने अच्छी पोस्ट बनाई है , सराहना पड़ेगा ,
सचमुच !
आपकी जिज्ञासाओं को शांत करेगी


प्यारी मां

बड़ी दर्द भरी है ये दास्तान !!
यह सच है कि आज इंसान दुखी परेशान और आतंकित है लेकिन उसे दुख देने वाला भी कोई और नहीं है बल्कि खुद इंसान ही है ।
आज इंसान दूसरों के हिस्से की खुशियां भी महज अपने लिए समेट लेना चाहता है । यही छीना झपटी सारे फ़साद की जड़ है ।
एक दूसरे के हक को पहचानौ और उन्हें अदा करो अमन चैन रहेगा । जो अदा न करे उसे व्यवस्था दंड दे ।
लेकिन जब व्यवस्था संभालने वाले ज़ालिमों को दंड न देकर ख़ुद पक्षपात करें तो अमन चैन ग़ारत हो जाता है । आज के राजनेता ऐसे ही हैं । देश को आज तक किसी आतंकवादी से इतना नुक़्सान नहीं पहुंचा जितना कि इन नेताओं से पहुंच रहा है । ये नेता देश की जनता का विश्वास देश की व्यवस्था से उठा रहे हैं ।
बचेंगे ये ख़ुद भी नहीं ।

आप ने जो बात कही है उसे अगर ढंग से जान लिया जाए तो भारत के विभिन्न समुदायों का विरोधाभास भी मिट सकता है और अब तो अलग अलग दर्जनों चीजों की पूजा करने वाले भी कहने लगे हैं कि सब चीजों का मालिक एक है ।
अब मैं चाहता हूं कि सही ग़लत के Standard scale को भी मान लिया जाना चाहिए ।

ये लिंक्स अलग से वास्ते दर्शन-पठन आपके नेत्राभिलाषी हैं।
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2010/12/virtual-communalism.html

मेरे दिल के हर दरवाज़े से आपका स्वागत है।

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

कोमल प्यार कि सुरक्षा अति आवश्यक . साथ ही सुंदर मनोरम मानवीयकरण

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

गोरी ने आपकी बात मान लिया तो हाय ! कितने कुआरों का दिल टूट जायेगा !
..सच्ची लगती अच्छी कविता।

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

kavita ji
kitni hi sahjta se kitni gambhir seekh deti hai aapki prastuti.sach ka aaina dikha diya aapne apni kaviya ke madhym se.
behtren abhivykti-----
poonam

M VERMA ने कहा…

मुस्कान के लुटेरे सक्रिय हैं
सुन्दर सचेत करती रचना

shailendra ने कहा…

कभी मत बिखेरना
अपने प्यार के मोती
अनजानी, बेखबर वीरान राह में
वर्ना छीन लेगा तुझसे
कोई अपना दुस्साहसी बन
खिलखिलाता जीवन
और तुम धूल धूसरित सी
बिखरी-बिखरी मिलो मुझे
छत के किसी कोने में!

कविता जी! अन्योक्ति भाव मुखर उठा है आपकी कविता में ... बहुत सुन्दर अभिनव प्रयोग देखने को मिल रहा है ....बहुत अच्छी तरह खबरदार किया है आपने ... बहुत पसंद आयी कविता .......बधाई

कुमार राधारमण ने कहा…

गुणी को अपना होश कब रहता है। लुटाना उसका स्वभाव और लुटना उसकी नियती!

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपकी कविता का भाव प्रशंसनीय है। मन को आदोलित करती आपकी पोस्ट अच्छी लगी।मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

मकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं........

Unknown ने कहा…

बहुत आयेंगे करीब तेरे
अपना बन, अपना जताने
जो इस कीमती गहने को
चुराने को उद्यत मिलेंगे
लेकिन इतना याद रखना
कभी मत बिखेरना
अपने प्यार के मोती
अनजानी, बेखबर वीरान राह में
बहुत पसंद आयी कविता .....बहुत अच्छी तरह खबरदार किया है आपने ...
बधाई

Dr Varsha Singh ने कहा…

आपका ब्लॉग देख कर प्रसन्नता हुई। कविता बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है। बधाई।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

जीवन के सत्‍य को बडी खूबसूरती से उकेरा है आपने। बधाई।

---------
बोलने वाले पत्‍थर।
सांपों को दुध पिलाना पुण्‍य का काम है?

एस एम् मासूम ने कहा…

अति सुंदर पसंद आयी इनकी पंक्तियाँ आज ब्लॉगजगत के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया ऐसे लोगों ने

Dimple Maheshwari ने कहा…

जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

khoobsurat....sundar....sparshi.....sach kah rahaa hun sach.....

Anupama Tripathi ने कहा…

सुंदर सीख देती कविता -
शुभकामनाएं -

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

अच्छी पोस्ट है.. सुन्दर कविता .. आज चर्चामंच पर आपकी पोस्ट है...आपका धन्यवाद ...मकर संक्रांति पर हार्दिक बधाई

http://charchamanch.uchcharan.com/2011/01/blog-post_14.html

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना . लोहड़ी और मकर संक्रांति की शुभकामनायें

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

kavitaji bahut hi sundar kavita badhai

Kailash Sharma ने कहा…

लेकिन इतना याद रखना
कभी मत बिखेरना
अपने प्यार के मोती
अनजानी, बेखबर वीरान राह में
वर्ना छीन लेगा तुझसे
कोई अपना दुस्साहसी बन

प्यार पर अपना बस कहाँ होता है, चाहे उसमें बाद में चोट खानी पड़े. बहुत ही भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति..लोहड़ी और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभ कामनायें

POOJA... ने कहा…

जी जरूर... आपकी बातें याद रहेंगीं...
बहुत प्यारी-सी गुनगुनी-सी रचना...
मकर संक्रांति, लोहरी एवं पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएं...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

गूढ़ सन्देश देती एक सुन्दर कविता !

सुज्ञ ने कहा…

*****************************************************************
उतरायाण: मकर सक्रांति, लोहड़ी, और पोंगल पर बधाई, धान्य समृद्धि की शुभकामनाएँ॥
*****************************************************************

Unknown ने कहा…

कभी मत बिखेरना
अपने प्यार के मोती
अनजानी, बेखबर वीरान राह में
वर्ना छीन लेगा तुझसे
कोई अपना दुस्साहसी बन
खिलखिलाता जीवन
...
बहुत ही अच्छा सन्देश छुपा है आपकी कविता में ....... आपकी हिदायत जरुर याद रखूँगा जी!
उतरायाण: मकर सक्रांति, लोहड़ी, और पोंगल पर बधाई, धान्य समृद्धि की शुभकामनाएँ

केवल राम ने कहा…

कविता का भाव पक्ष बहुत सशक्त है ..कविता में गूढ़ दर्शन को समाहित किया गया है ..बहुत बहुत शुक्रिया

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

सुंदर सीख देती कविता -
शुभकामनाएं -

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

वर्ना छीन लेगा तुझसे
कोई अपना दुस्साहसी बन
खिलखिलाता जीवन
और तुम धूल धूसरित सी
बिखरी-बिखरी मिलो मुझे
छत के किसी कोने में!
क्या कहूं कविता जी? सब लोग, सबकुछ कह चुके. बहुत सुन्दर और सार्थक कविता है.

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

कविता जी साहित्य के पुजारियों ने मेरे लिखने के लिए कुछ बाकी छोड़ा ही नहीं है| आपको बहुत बहुत बधाई इतनैई सशक्त प्रस्तुति के लिए|

रचना दीक्षित ने कहा…

जाड़ों की गुनगुनी धुप में
छत की मुंडेर पर
दिन-रात चुभती
निष्ठुर सर्द हवाओं से
होकर बेखबर
सूरज की रश्मि सी
बिखेर रही हो तुम
कच्ची, सौंधी, लुभावनी
प्यार भरी मुस्कान!
सब कुछ तो कह दिया सबने अब मैं क्या कहूँ लाजवाब, बेमिसाल,सराहनीय और क्या कहूँ

Unknown ने कहा…

जाड़ों की गुनगुनी धुप में
छत की मुंडेर पर
दिन-रात चुभती
निष्ठुर सर्द हवाओं से
होकर बेखबर
सूरज की रश्मि सी
बिखेर रही हो तुम
कच्ची, सौंधी, लुभावनी
प्यार भरी मुस्कान!
.....गूढ़ सन्देश देती एक बेमिसाल सराहनीय कविता !

vijay ने कहा…

कभी मत बिखेरना
अपने प्यार के मोती
अनजानी, बेखबर वीरान राह में
वर्ना छीन लेगा तुझसे
कोई अपना दुस्साहसी बन
खिलखिलाता जीवन
और तुम धूल धूसरित सी
बिखरी-बिखरी मिलो मुझे
छत के किसी कोने में!
....बहुत प्यारी-सी गुनगुनी सन्देश देती रचना के लिए बहुत बहुत शुक्रिया

Ankur Jain ने कहा…

shandar rachna........

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही अच्छा सन्देश छुपा है आपकी कविता में

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत से दुष्ट बैठे हैं इस मुस्कान को लूटने के लिए ... जागृत रहना ...
बहुत अच्छा लिखा है ...

Satish Saxena ने कहा…

सही चेतावनी दी है आपने भरोसा और प्यार के योग्य लोग अब नहीं मिलते ! बहुत कष्ट उठाना पड़ता है संवेदनशीलता को इन रास्तों पर ....
शुभकामनायें आपको

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

Meena sharma ने कहा…

बहुत सटीक संदेश कविता जी। मुस्कुराने से पहले भी जागरूक रहना जरूरी है !!!

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 11 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सुंदर संदेश देती रचना।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(१२-०१-२०२०) को "हर खुशी तेरे नाम करते हैं" (चर्चा अंक -३५७८) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

कभी मत बिखेरना
अपने प्यार के मोती
अनजानी, बेखबर वीरान राह में
वर्ना छीन लेगा तुझसे
कोई अपना दुस्साहसी बन
खिलखिलाता जीवन
बहुत कुछ अर्थ निकल कर आते है। सदैव सार्थक रचना बनी रहेगी।

Onkar ने कहा…

सुंदर रचना

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुंदर सीख देती कविता
शुभकामनाएं

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण कविता. बधाई.

RAJU BATTI ने कहा…

bahut sundar likhte ho aap

https://www.dileawaaz.in/