धैर्य कडुवा लेकिन इसका फल मीठा होता है।
लोहा आग में तपकर ही फौलाद बन पाता है।।
एक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।
जल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं।।
छटाँक भर धैर्य सेर भर सूझ-बूझ के बराबर होता है।
जल्दीबाजी में शादी करने वाला फुर्सत में पछताता है।।
उतावलापन बड़े-बड़े मंसूबों को चौपट कर देता है।
धैर्य से विपत्ति को भी वश में किया जा सकता है।।
हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।।
....कविता रावत
उतावलापन बड़े-बड़े मंसूबों को चौपट कर देता है।
ReplyDeleteधैर्य से विपत्ति को भी वश में किया जा सकता है।।
क्या बात है, बहुत सुंदर..
मुझे वसीम बरेलवी साहब की दो लाइन याद आ रही है..
कौन सी बात, कब, कहां, कैसे कही जाती है,
ये सलीका हो, तो हर बात सुनी जाती है।
हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
ReplyDeleteआराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।
..
कविता जी सही फ़रमाया आपने सब्र था तभी अर्जुन मछली की आंख पर निशाना साध पाए ..................
अति सुन्दर ................
बहुत सुंदर और मीनिंग फुल पंक्तिया ......
ReplyDeleteआज इस जहाँ में सबकुछ है पर धैर्य नहीं.........
ReplyDeleteआपकी यह रचना सुन्दर सीख दे रहीं है ..
साधुवाद
सही लिखा आपने कविता जी,उतावलापन बड़े-बड़े मंसूबों को चौपट कर देता है आभार।
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर, बिलकुल सार्थक कहा है, यहाँ भी पधारे
ReplyDeleteरिश्तों का खोखलापन
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_8.html
एक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।
ReplyDeleteजल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं।।
.................कविता जी बहुत सुन्दर बोल!!!
सही कहा। धैर्य ही सफल जीवन की कुंजी है।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल....
ReplyDeleteहलके फुल्के अंदाज़ में......
अनु
हर एक पंक्ति जीवन राह में मार्गदर्शिका बनने के योग्य!
ReplyDeleteआभार!
कुँवर जी,
हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
ReplyDeleteआराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।।
वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब गजल ,,
RECENT POST: गुजारिश,
बहुत सुन्दर रचना आभार
ReplyDeleteयहॉ भी पधारें
Create anything from 3d printer थ्री डी प्रिन्टर से कुछ भी बनाइयें
बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (10-07-2013) के .. !! निकलना होगा विजेता बनकर ......रिश्तो के मकडजाल से ....!१३०२ ,बुधवारीय चर्चा मंच अंक-१३०२ पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
आपकी रचना कल बुधवार [10-07-2013] को
ReplyDeleteब्लॉग प्रसारण पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
सादर
सरिता भाटिया
धैर्य ही जीवन को सफल बनाता है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार!
धैर्य की महिमा को अच्छे से समझाया है आपने
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteसूक्तियाँ ग्रहण करने योग्य हैं !
ReplyDeleteशिक्षाप्रद पंक्तियाँ. सच्चे मार्ग पर चलने को चलने को प्रेरित करती हुई.
ReplyDeleteहाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
ReplyDeleteआराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।।...शिक्षाप्रद सुन्दर पंक्तियाँ...
उतावलापन बड़े-बड़े मंसूबों को चौपट कर देता है।
ReplyDeleteधैर्य से विपत्ति को भी वश में किया जा सकता है।।
...बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteएक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।
ReplyDeleteजल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं।।
...................सही लिखा आपने कविता जी
सही कहा आदरणीया आपने....
ReplyDeleteधैर्य कडुवा लेकिन इसका फल मीठा होता है।
धैर्य ही सफलता की कुंजी है ..
आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।।
ReplyDelete.... उम्दा गजल कविता जी
साँस भर विश्वास की,
ReplyDeleteएक अपरिमित आस की।
बहुत अच्छी बातें कही गई हैं।
ReplyDeleteएक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।
ReplyDeleteजल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं ...
सच कहा है ... तभी तो कहते हैं सहज पके सो मीठा होय ... धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय ...
लाजवाब रचना है ...
एक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।
ReplyDeleteजल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं।।
छटाँक भर धैर्य सेर भर सूझ-बूझ के बराबर होता है।
जल्दीबाजी में शादी करने वाला फुर्सत में पछताता है।
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
ReplyDeleteआराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।।
सार्थक प्रस्तुति
आपने लिखा....हमने पढ़ा....
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 13/07/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
धैर्य कडुवा लेकिन इसका फल मीठा होता है।
ReplyDeleteलोहा आग में तपकर ही फौलाद बन पाता है।।
sundar shikshaprad....
ReplyDeletesabr ka fal meetha hota hae
ReplyDeleteहाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
ReplyDeleteआराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।। बिल्कुल सही...
उतावलापन बड़े-बड़े मंसूबों को चौपट कर देता है।
ReplyDeleteधैर्य से विपत्ति को भी वश में किया जा सकता है।।
हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।।--
सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति!
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छटाँक भर धैर्य सेर भर सूझ-बूझ के बराबर होता है।
ReplyDeleteजल्दीबाजी में शादी करने वाला फुर्सत में पछताता है।।
बहुत सुंदर और अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति ......
कविता जी एक से एक बढ़कर सुन्दर सुन्दर प्यारी प्यारी बातें !
ReplyDeleteएक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।
ReplyDeleteजल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं ...
sahi kha hai aapne
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तेरी ज़रूरत है !!
बहुत सुन्दर रचना आभार
ReplyDeleteनवीन लेख
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वाह... हर शेर उम्दा... बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteकविता दीदी आपकी इस रचना को कविता मंच पर आज साँझा किया गया है
ReplyDeleteसंजय भास्कर
कविता मंच
http://kavita-manch.blogspot.in
Nice information
ReplyDeletenice poem thanks to writer pmegp
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