हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है। - Kavita Rawat Blog, Kahani, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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मंगलवार, 9 जुलाई 2013

हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।

धैर्य कडुवा लेकिन इसका फल मीठा होता है।
लोहा आग में तपकर ही फौलाद बन पाता है।।

एक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।
जल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं।।

छटाँक भर धैर्य सेर भर सूझ-बूझ के बराबर होता है।
जल्दीबाजी में शादी करने वाला फुर्सत में पछताता है।।

उतावलापन बड़े-बड़े मंसूबों को चौपट कर देता है।
धैर्य से विपत्ति को भी वश में किया जा सकता है।।

हाथ  में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।।

....कविता रावत 

44 टिप्‍पणियां:

  1. उतावलापन बड़े-बड़े मंसूबों को चौपट कर देता है।
    धैर्य से विपत्ति को भी वश में किया जा सकता है।।

    क्या बात है, बहुत सुंदर..
    मुझे वसीम बरेलवी साहब की दो लाइन याद आ रही है..

    कौन सी बात, कब, कहां, कैसे कही जाती है,
    ये सलीका हो, तो हर बात सुनी जाती है।

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  2. हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
    आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।
    ..
    कविता जी सही फ़रमाया आपने सब्र था तभी अर्जुन मछली की आंख पर निशाना साध पाए ..................
    अति सुन्दर ................

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  3. बहुत सुंदर और मीनिंग फुल पंक्तिया ......

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  4. आज इस जहाँ में सबकुछ है पर धैर्य नहीं.........
    आपकी यह रचना सुन्दर सीख दे रहीं है ..
    साधुवाद

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  5. सही लिखा आपने कविता जी,उतावलापन बड़े-बड़े मंसूबों को चौपट कर देता है आभार।

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  6. वाह बहुत सुंदर, बिलकुल सार्थक कहा है, यहाँ भी पधारे


    रिश्तों का खोखलापन

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_8.html

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  7. एक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।
    जल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं।।
    .................कविता जी बहुत सुन्दर बोल!!!

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  8. सही कहा। धैर्य ही सफल जीवन की कुंजी है।

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  9. बहुत बढ़िया ग़ज़ल....
    हलके फुल्के अंदाज़ में......

    अनु

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  10. हर एक पंक्ति जीवन राह में मार्गदर्शिका बनने के योग्य!
    आभार!
    कुँवर जी,

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  11. हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
    आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।।

    वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब गजल ,,

    RECENT POST: गुजारिश,

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  12. आपकी रचना कल बुधवार [10-07-2013] को
    ब्लॉग प्रसारण पर
    कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
    सादर
    सरिता भाटिया

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  13. धैर्य ही जीवन को सफल बनाता है।

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए आभार!

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  15. धैर्य की महिमा को अच्छे से समझाया है आपने

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  16. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  17. सूक्तियाँ ग्रहण करने योग्य हैं !

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  18. शिक्षाप्रद पंक्तियाँ. सच्चे मार्ग पर चलने को चलने को प्रेरित करती हुई.

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  19. हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
    आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।।...शिक्षाप्रद सुन्दर पंक्तियाँ...

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  20. उतावलापन बड़े-बड़े मंसूबों को चौपट कर देता है।
    धैर्य से विपत्ति को भी वश में किया जा सकता है।।

    ...बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...

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  21. एक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।
    जल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं।।
    ...................सही लिखा आपने कविता जी

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  22. सही कहा आदरणीया आपने....
    धैर्य कडुवा लेकिन इसका फल मीठा होता है।
    धैर्य ही सफलता की कुंजी है ..

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  23. आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।।

    .... उम्दा गजल कविता जी

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  24. साँस भर विश्वास की,
    एक अपरिमित आस की।

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  25. बहुत अच्छी बातें कही गई हैं।

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  26. एक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।
    जल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं ...

    सच कहा है ... तभी तो कहते हैं सहज पके सो मीठा होय ... धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय ...
    लाजवाब रचना है ...

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  27. एक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।
    जल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं।।

    छटाँक भर धैर्य सेर भर सूझ-बूझ के बराबर होता है।
    जल्दीबाजी में शादी करने वाला फुर्सत में पछताता है।




    वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |

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  28. हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
    आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।।

    सार्थक प्रस्तुति

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  29. बेनामी19:14

    धैर्य कडुवा लेकिन इसका फल मीठा होता है।
    लोहा आग में तपकर ही फौलाद बन पाता है।।

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  30. हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
    आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।। बि‍ल्‍कुल सही...

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  31. उतावलापन बड़े-बड़े मंसूबों को चौपट कर देता है।
    धैर्य से विपत्ति को भी वश में किया जा सकता है।।

    हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
    आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।।--
    सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति!
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  32. छटाँक भर धैर्य सेर भर सूझ-बूझ के बराबर होता है।
    जल्दीबाजी में शादी करने वाला फुर्सत में पछताता है।।
    बहुत सुंदर और अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति ......

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  33. कविता जी एक से एक बढ़कर सुन्दर सुन्दर प्यारी प्यारी बातें !

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  34. एक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।
    जल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं ...


    sahi kha hai aapne

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  35. वाह... हर शेर उम्दा... बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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  36. कविता दीदी आपकी इस रचना को कविता मंच पर आज साँझा किया गया है


    संजय भास्कर
    कविता मंच
    http://kavita-manch.blogspot.in

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