गीत : यह सब चलता रहता है - KAVITA RAWAT
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

सोमवार, 20 फ़रवरी 2023

गीत : यह सब चलता रहता है

रात दिन की किचकिच पिटपिट

तंग होकर भागी बीबी

घर छोड़कर भागी बीबी

वह अपना दुःखड़ा 

सबको सुनाता फिरता है

तू चिंता मत कर आ आयेगी

पास बैठ कोई अपना समझाने लगता है

ऊँच नीच की बातें चलती

होता गला तर गम धुंए में उड़ता है

'ये कैसा दस्तूर गम गफलत का'

यह सब चलता रहता है 


उल्टी  सीधी दोस्ती यारी

खूब मौज मस्ती कर ली

कच्ची पक्की जैसी मिली

एक सांस में गटक ली

जिगर फेफड़े बोल गए

यार दोस्त भी छोड़ गए

देख हाल ये जिगरी साथी

इसे 'ऊपर वाले की मर्जी कहता है'

'खुशी गम की ये कैसी यारी'

यह सब चलता रहता है 


पढ़ना लिखना छोड़ लाडला

मोबाइल पर चेटिंग सेटिंग करता है

किसे पड़ी जो देख-समझा ले उसको 

यह सब चलता रहता

यह सब चलता रहता 


@Kavita Rawat

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