कि अभी उसे कितना जलना है
न उखडती हुई सांसों को देखो
कि अभी उन्हें कितना चलना है
गुजरा जो जिंदगी के हर मोड़ से
जिसके बोझिल कदम, ऑंखें नम हैं
उस से पूछो कहां गईं खुशियां
कहां दफ़न दिल में अरमां हैं!
हर दिन किसी का उगता है सूरज
तो किसी की ढल जाती शाम है
जो मरते मिटते रहे अपनों के लिए
उन्हें देखो मिला कितना आराम है?
..कविता रावत