सत्ता के सामने कभी सयानापन नहीं चलता है
जिसके हाथ बाजी उसकी बात में दम होता है
कोई जंजीर सबसे कमजोर कड़ी से ज्यादा मजबूत नहीं होती है
हर कोई भाग खड़ा होता जहाँ दीवार सबसे कमजोर दिखती है
जब बड़े घंटे बजने लगे तब छोटी घंटियों की आवाज दब जाती है
जब घर में सांप घुस आये तब बोलती बंद होते देर नहीं लगती है
अपनी गलती का पता लगा लेना बहुत बड़ी समझदारी होती है
वक्त को पहचानने के लिए समझदारी की जरुरत पड़ती है
जहाज डूब जाने के बाद हर कोई बचाने का उपाय जानता है
अक्सर दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है
नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!
...कविता रावत