दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है! - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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गुरुवार, 15 मार्च 2012

दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है!

सत्ता के सामने कभी सयानापन नहीं चलता है 
जिसके हाथ बाजी उसकी बात में दम होता है

कोई जंजीर सबसे कमजोर कड़ी से ज्यादा मजबूत नहीं होती है
हर कोई भाग खड़ा होता जहाँ दीवार सबसे कमजोर दिखती है

जब बड़े घंटे बजने लगे तब छोटी घंटियों की आवाज दब जाती है 
जब घर में सांप घुस आये तब बोलती बंद होते देर नहीं लगती है

अपनी गलती का पता लगा लेना बहुत बड़ी समझदारी होती है
वक्त को पहचानने के लिए समझदारी की जरुरत पड़ती है

जहाज डूब जाने के बाद हर कोई बचाने का उपाय जानता है 
अक्सर दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!  

    ...कविता रावत 

91 टिप्‍पणियां:

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है! very good.

आशा बिष्ट ने कहा…

वक्त को पहचानने के लिए समझदारी की जरुरत पड़ती हैsarv saty baat...

Shalini Khanna ने कहा…

बहुत खूब...........

P.N. Subramanian ने कहा…

सुन्दर. नासमझ बने रहें तो ज़िन्दगी आसान होती है.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

हर कोई भाग खड़ा होता जहाँ दीवार सबसे कमजोर दिखती है

बहुत बहुत सार्थक अभिव्यक्ति....
सादर.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!
बहुत बढ़िया सार्थक सुंदर रचना,...

RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अक्सर दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है ...

सच कहा है ... बहुत आसान होता है ऐसा करना ... हर पंक्ति सटीक है ... दुनियादारी की बातों से लबरेज है ये रचना ...

vijay ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!

वाह क्या बात है !
बहुत खूब, जोरदार लिखा है

बेनामी ने कहा…

कोई जंजीर सबसे कमजोर कड़ी से ज्यादा मजबूत नहीं होती है
हर कोई भाग खड़ा होता जहाँ दीवार सबसे कमजोर दिखती है
जब बड़े घंटे बजने लगे तब छोटी घंटियों की आवाज दब जाती है
जब घर में सांप घुस आये तब बोलती बंद होते देर नहीं लगती है
/////
बहुत सुन्दर गंभीर व विचारणीय रचना

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

कमाल की ज्ञान की बातें!!

Rahul Singh ने कहा…

पैसा/सत्‍ता की बोली में व्‍याकरण की गलतियां नहीं देखी जातीं.

Shikha Kaushik ने कहा…

EKDAM SACH ....BADHAI

Jeevan Pushp ने कहा…

जब बड़े घंटे बजने लगे तब छोटी घंटियों की आवाज दब जाती है

बहुत सुन्दर सृजन !
आभार !

संजय भास्‍कर ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!
एकदम सटीक हालात बयां किये हैं.....आपने कविता जी

बेनामी ने कहा…

सत्ता के सामने कभी सयानापन नहीं चलता है
जिसके हाथ बाजी उसकी बात में दम होता है
......
पर देश में सयानों को कमी कहाँ है एक से एक बढ़कर पटे पड़े हैं ..
अति सुन्दर सार्थक सृजन ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच कहा, अपने व्यक्तित्व के गढ्ढे कहाँ दिखते हैं।

Nirantar ने कहा…

jo bheed ke peechhe bhaagte hein
unke saath aisaa hee hotaa hai

deepakkibaten ने कहा…

dhruv satya

Kewal Joshi ने कहा…

वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!...

सही कहा आपने, बहुत खूब.

Satish Saxena ने कहा…

सही कहा आपने ....
शुभकामनायें !

RAJ ने कहा…

जब बड़े घंटे बजने लगे तब छोटी घंटियों की आवाज दब जाती है
जब घर में सांप घुस आये तब बोलती बंद होते देर नहीं लगती है

वाह भई क्या जबरदस्त बात कही आपने....बहुत अच्छे

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बहुत सार्थक लोकोक्तियाँ लिखी हैं ।

Bhawna Kukreti ने कहा…

SACH ...BAHUT SAHI LIKHA HAI AAPNE ,BADHAI:)

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है!
बहुत ही बढ़िया बात कही है अपने..
नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!
एकदम सटीक और बेहतरीन सुवाक्य....
बहुत बढ़िया रचना....

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

waah itani sari uktiyon ko ek sath padhna bhi ruchikar lga .....

aabhar...........!!

शूरवीर रावत ने कहा…

हकीकत को बयां करता एक करारा व अच्छा व्यंग्य. आभार !

मनोज कुमार ने कहा…

रचना का संदेश लाजवाब है।

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

bahut accha .

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

बहुत खूब...

वाणी गीत ने कहा…

वहां बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मुर्खता से काम चलता है !
एक- एक पंक्ति सार्थक है !

naresh ने कहा…

बहुत ही सुंदर

अनूप शुक्ल ने कहा…

अच्छा कहा।

Amrita Tanmay ने कहा…

बरछी सी तीखी , निशाने पर लगती हुई..

pratibha ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!
..बहुत खूब!
हर एक पंक्ति सुन्दर और सार्थक .

GOVIND ने कहा…

पूरा का पूरा झक्कास ..
लिखा है लाजवाब!!

Ayodhya Prasad ने कहा…

superb..

रश्मि प्रभा... ने कहा…

यह मौका कोई गंवाना नहीं चाहता

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा है...हर पंक्ति में एक कशिश भी एक कटाक्ष भी

jadibutishop ने कहा…

bahut badhiya likha hai aapne ...
http://jadibutishop.blogspot.com

Maheshwari kaneri ने कहा…

सार्थक अभिव्यक्ति...

https://ntyag.blogspot.com/ ने कहा…

wah wah

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सुन्दर!!

Rajput ने कहा…

वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है! ..

और अगर वहां बुद्धिमानी दिखाई तो मूर्खों की जमात में बैठा दिए जाओगे :)

बहुत खूब

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है.......
प्रेरक प्रस्तुति .........

Kailash Sharma ने कहा…

जहाज डूब जाने के बाद हर कोई बचाने का उपाय जानता है
अक्सर दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है

....बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति...

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

वाह सुंदर ☺

Ramakant Singh ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!
PAR UPADESH KUSHAL BAHUTERE.

shashi purwar ने कहा…

waah bahut sunder वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है! ..............sunder satik kataksh

G.N.SHAW ने कहा…

सभी वाक्य सुन्दर और शिक्षाप्रद !

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...

बेनामी ने कहा…

wah

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

अक्सर दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है
नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है.सुन्दर प्रस्तुति.

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

वहां बुद्दिमानी किस काम की जहां मूर्खता से काम चलता है। वाह! क्या आनंददायक बात कही आपने।

बेनामी ने कहा…

वहां बुद्दिमानी किस काम की जहां मूर्खता से काम चलता है।
wah
bahut khoob likha hai

Dolly ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!
सभी वाक्य सुन्दर और शिक्षाप्रद !

Saras ने कहा…

अफ़सोस की यह जंगल राज शहर में भी चलता है

Raju Patel ने कहा…

आप के शब्दों के पीछे जो भाव है वो व्यथित कर देनेवाला भाव है.

Abhi ने कहा…

अपनी गलती का पता लगा लेना बहुत बड़ी समझदारी होती है
वक्त को पहचानने के लिए समझदारी की जरुरत पड़ती है
बहुत बहुत सार्थक अभिव्यक्ति....
सादर.

deepak ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!

कविता जी बेहतरीन अभिव्यक्ति...

Ram Swaroop Verma ने कहा…

वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!
vaah prajatantra me ek murkhta karte han (vot nahi dalne ki) phir sari budimani dhari rah jati hai jangal raj ho jata hai. bahut khoob

Vandana Ramasingh ने कहा…

कोई जंजीर सबसे कमजोर कड़ी से ज्यादा मजबूत नहीं होती है

सच कहा आपने

Dr.BHANU PRATAP ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!
बहुत बढ़िया सार्थक सुंदर रचना,...

Apanatva ने कहा…

bahut khoob.

Dinesh pareek ने कहा…

बहुत बढ़िया,बेहतरीन करारी अच्छी प्रस्तुति,..
नवरात्र के ४दिन की आपको बहुत बहुत सुभकामनाये माँ आपके सपनो को साकार करे
आप ने अपना कीमती वकत निकल के मेरे ब्लॉग पे आये इस के लिए तहे दिल से मैं आपका शुकर गुजर हु आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
मेरी एक नई मेरा बचपन
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: मेरा बचपन:
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/03/blog-post_23.html
दिनेश पारीक

aarkay ने कहा…

" नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है! "

या यों कहें :
" कद्र दानों की तबियत का अजब रंग है आज,
बुलबुलों को है यह हसरत कि हम उल्लू न हुए "

उत्तम कविता !

RAJ ने कहा…

जहाज डूब जाने के बाद हर कोई बचाने का उपाय जानता है
अक्सर दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है
नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!
..........
.बहुत खूब!

pankaj ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!

बेहतरीन अभिव्यक्ति...

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत खूब लिखा है
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ|

आनन्द विश्वास ने कहा…

अति सुन्दर प्रस्तुति। अनुभब व
अनुभूति का सुन्दर समन्वय।
बहुत अच्छा सन्देश देती रचना।
धन्यवाद

आनन्द विश्वास

Pawan Kumar ने कहा…

कविता जी
नमस्कार.
नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!
सच्ची... तल्ख़ बात मगर सच यही है.....वाह वाह !!!!

सुज्ञ ने कहा…

वाह!!
विरोधाभाष की विडम्बना!!
सत्ता के सामने कभी सयानापन नहीं चलता है
जिसके हाथ बाजी उसकी बात में दम होता है

बेनामी ने कहा…

जब बड़े घंटे बजने लगे तब छोटी घंटियों की आवाज दब जाती है
जब घर में सांप घुस आये तब बोलती बंद होते देर नहीं लगती है
_______
समय की सही पहचान बताती सार्थक रचना..

संजय भास्‍कर ने कहा…

अच्‍छे शब्‍द संयोजन के साथ सशक्‍त अभिव्‍यक्ति।

संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

संजय भास्‍कर ने कहा…

पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...

....... रचना के लिए बधाई स्वीकारें.

बेनामी ने कहा…

हमारा भी यही हाल है... क्षमा जैसी कोई बात नहीं ...
Kavita Rawat

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत सुंदर । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

M VERMA ने कहा…

जहाज डूब जाने के बाद हर कोई बचाने का उपाय जानता है
कथनी और करनी ...
बहुत सुन्दर

कीर्ति कुमार गौतम ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है! ................मजा आ गया .............कोई हमारे ब्लॉग पर भी आ जाए

Monika Jain ने कहा…

sach kaha दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है!..bahut khoob

Coral ने कहा…

सत्ता के सामने कभी सयानापन नहीं चलता है
जिसके हाथ बाजी उसकी बात में दम होता है

आजकी बात बहुत सुन्दर धाग से कही है आपने

dinesh aggarwal ने कहा…

शत प्रतिशत सच....

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

सच कहा आपने...
सटीक बात...सुंदर विचार। गहन चिन्तन के लिए बधाई।

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

अक्सर दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है

बेनामी ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!

खूब कहा आपने...

धम्मू ने कहा…

अपनी गलती का पता लगा लेना बहुत बड़ी समझदारी होती है
वक्त को पहचानने के लिए समझदारी की जरुरत पड़ती है

very nice!

sushila ने कहा…

"सत्ता के सामने कभी सयानापन नहीं चलता है
जिसके हाथ बाजी उसकी बात में दम होता है"
बहुत सही कहा आपने ! जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला मंजर ही हर जगह नज़र आता है! सारगर्भित प्रस्तुति !

Dinesh pareek ने कहा…

आपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html

कुमार राधारमण ने कहा…

सचमुच,हम सबके जीवन का यही फलसफा है।

बेनामी ने कहा…

सत्ता के सामने कभी सयानापन नहीं चलता है
जिसके हाथ बाजी उसकी बात में दम होता है"

बहुत सही
सारगर्भित प्रस्तुति !

Prem Prakash ने कहा…

नासमझ लोग बाज़ार गए तो घटिया माल भी खूब बिकता है
वहाँ बुद्धिमानी किस काम की जहाँ मूर्खता से काम चलता है!
सुंदर...! सारगर्भित...!

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सटीक प्रस्तुति.वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार