हर मुश्किल राह आसान हो जाएगी तेरी
धीरज रख आगे कदम बढ़ा के तो देख
बहुत हुआ तेरा अब सुनहरे ख्वाब बुनना
नींद त्याग और बाहर निकल के तो देख
कैसे-कैसे लोग वैतरणी तर गए सरपट
याद कर फिर उचक-दुबक चल के तो देख
कुछ भी हासिल न होगा बैठ किनारे तुझे
हिम्मत कर गहरे पानी उतर के तो देख
छोड़ उदासी मिलेगी तुझे तेरी मंजिल
कमर कस पूरे वेग दौड़ लगा के तो देख
सोये लोग भी जागकर साथ चल देंगे तेरे
विश्वास रख झिंझौड़-झिंझौड़ के तो देख
मुर्गे-बकरे काट तू भी बन मोटा आदमी
सोच मत लपड़- झपड़ कर के तो देख
बहुत हुआ गर गिड़गिड़ाना हाथ-पैर जोड़ना
चुप मत रह एक लप्पड़ मार के तो देख
...कविता रावत
धीरज रख आगे कदम बढ़ा के तो देख
बहुत हुआ तेरा अब सुनहरे ख्वाब बुनना
नींद त्याग और बाहर निकल के तो देख
कैसे-कैसे लोग वैतरणी तर गए सरपट
याद कर फिर उचक-दुबक चल के तो देख
कुछ भी हासिल न होगा बैठ किनारे तुझे
हिम्मत कर गहरे पानी उतर के तो देख
छोड़ उदासी मिलेगी तुझे तेरी मंजिल
कमर कस पूरे वेग दौड़ लगा के तो देख
सोये लोग भी जागकर साथ चल देंगे तेरे
विश्वास रख झिंझौड़-झिंझौड़ के तो देख
मुर्गे-बकरे काट तू भी बन मोटा आदमी
सोच मत लपड़- झपड़ कर के तो देख
बहुत हुआ गर गिड़गिड़ाना हाथ-पैर जोड़ना
चुप मत रह एक लप्पड़ मार के तो देख
...कविता रावत
17 टिप्पणियां:
बढ़िया
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 24 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत सुंदर लाइन
ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को कृष्णाजन्माष्टमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं!!
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 24/08/2019 की बुलेटिन, " कृष्णाजन्माष्टमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (25-08-2019) को "मेक इन इंडिया " (चर्चा अंक- 3438) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
कुछ भी हासिल न होगा बैठ किनारे तुझे
हिम्मत कर गहरे पानी उतर के तो देख
बहुत सुंदर रचना
सुन्दर रचना
आशावादी आह्वान करता सुखद सृजन कविता जी।
हुत हुआ गर गिड़गिड़ाना हाथ-पैर जोड़ना
चुप मत रह एक लप्पड़ मार के तो देख
waaah..ye huii naa baat fir...
sach he...hmaaraa moun hmaari kamzori bn bethaa he/..
इन्शान की सोई शक्ति को हिम्मत और बल जगाने वाली प्रेरक कविता,
वाह कविता जी, क्या खूब कहा है ...एक लप्पड़ मार के तो देख
यही हिम्मत तो जरूरी है ... गहरे पानी उतरना जरूरी है ... मुखत हाव से उड़ान जरूरी है ...
और सच है की हिम्मत जगा के एक लप्पड़ रसीद करना जरूरी है आत्म गौरव के लिए ... लाजवाब भाव हमेशा की तरह अलग अंदाज़ लिए आप की रचना ...
GR8.लप्पड़ मार कर आत्मविश्वास बढ़ाना आवश्यक है।
वाह क्या बात है .... बेहद सटीक
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