
बहुत ज्यादा सोच-विचार वाला कुछ भी नहीं कर पाता है।।
जो कुछ नहीं जानता वह किसी बात में संदेह नहीं करता है।
जो अधिक जानता है वह कम पर भी विश्वास कर लेता है ।।
जो जल्दी विश्वास कर लेता है वह बाद में पछताता है ।
समझदार आदमी हर मामले में समझदार नहीं होता है ।।
कमजोर काठ को अक्सर कीड़ा जल्दी खा जाता है ।
दरिया जिधर बह निकले वही उसका रास्ता होता है ।।
वाह्ह्ह....बहुत खूब👌👌
जवाब देंहटाएंप्रेरक रचना कविता जी।
सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-10-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2769 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी को ब्लॉग बुलेटिन का नमन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ज्ञानवर्धक सन्देश !
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक सीख दी है आपने । हर पंक्ति उपयोगी शिक्षा को अपने में समेटे हुए....
जवाब देंहटाएंbahut accha !
जवाब देंहटाएंहिन्दीकुंज,हिंदी वेबसाइट/लिटरेरी वेब पत्रिका
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंसही है समझदार आदमी हर मामले में समझदार नहीं होता ...
जवाब देंहटाएंहर छंद गहरी सचाई लिए ... जमाने का आइना है ...
सार्थक सन्देश भरी सुंदर सरल रचना -------
जवाब देंहटाएंअर्थात् जीवन जैसे चल पड़े चलने दो नदी की तरह।
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह्ह बहुत सुन्दर 1
जवाब देंहटाएंसार्थक संदेश से परिपूर्ण सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंसंदेश परक, मुहावरों वाली कविता ने मन मोह लिया.
जवाब देंहटाएंसादर
वाह!!बहुत सुंंदर !!
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