दुष्ट प्रवृत्ति वालों को उजाले से नफरत होती है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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गुरुवार, 30 सितंबर 2010

दुष्ट प्रवृत्ति वालों को उजाले से नफरत होती है

एक जगह पहुंचकर अच्छे और बुरे में बहुत कम दूरी रह जाती है
इने-गिने लोगों की दुष्टता सब लोगों के लिए मुसीबत बन जाती है !

दुष्ट प्रवृत्ति वालों को उजाले से नफरत होती है
हर हिंसा सबसे पहले गरीब का घर उजाडती है!

चूने से मुहँ जल जाने पर दही देखकर  डर लगता है
एक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना हो जाता है !

जिसका जहाज डूब चुका हो वह हर समुद्र से खौफ़ खाता है
जो शेर पर सवार हो उसे नीचे उतरने में डर लगता है!

वक्त से एक टांका लें तो बाद में नौ टाँके नहीं लगाने पड़ते हैं
खेल ख़त्म तो बादशाह और प्यादा एक ही डिब्बे में बंद हो जाते हैं!

अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाएं बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है
छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख लें तो बड़ी-बड़ी बातें अपना ध्यान स्वयं रख लेती हैं!

                    ..कविता रावत

46 टिप्‍पणियां:

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
मध्यकालीन भारत धार्मिक सहनशीलता का काल, मनोज कुमार,द्वारा राजभाषा पर पधारें

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

सुन्दर

बेनामी ने कहा…

bahut hi khubsurat prastuti....
saari panktiyaan yatharthta ke patal par likhi huyi...
bahut khub...

बेनामी ने कहा…

mere blog par thode se bargad ki chhaon me padharein...

nilesh mathur ने कहा…

वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर!

Apanatva ने कहा…

kavita bahut bahut sunder sandesh v chetavnee........
ati sunder abhivykti .

Akanksha Yadav ने कहा…

छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख लें तो बड़ी-बड़ी बातें अपना ध्यान स्वयं रख लेती हैं...सार्थक सोच...आभार.

संजय भास्‍कर ने कहा…

bahut hi khubsurat prastuti...

संजय भास्‍कर ने कहा…

कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई

Unknown ने कहा…

वक्त से एक टांका लें तो बाद में नौ टाँके नहीं लगाने पड़ते हैं
खेल ख़त्म तो बादशाह और प्यादा एक ही डिब्बे में बंद हो जाते हैं!
.....बहुत सार्थक प्रस्तुति।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

वक्त से एक टांका लें तो बाद में नौ टाँके नहीं लगाने पड़ते हैं
खेल ख़त्म तो बादशाह और प्यादा एक ही डिब्बे में बंद हो जाते हैं!

सटीक बात कही ...

Creative Manch ने कहा…

"अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाएं बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है
छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख लें तो बड़ी-बड़ी बातें अपना ध्यान स्वयं रख लेती हैं!"

बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति
आभार


मिलिए ब्लॉग सितारों से

रचना दीक्षित ने कहा…

सुन्दर बहुत सुन्दर!

arvind ने कहा…

bahut acchhi prastuti....

kshama ने कहा…

वक्त से एक टांका लें तो बाद में नौ टाँके नहीं लगाने पड़ते हैं
खेल ख़त्म तो बादशाह और प्यादा एक ही डिब्बे में बंद हो जाते हैं!
Kya baat kahi hai!

सुज्ञ ने कहा…

बहुत अच्छी सटीक प्रस्तुति। आपके भावों को प्रणाम!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

रचना में मौजूद उपदेश मंथन करने लायक है कविता जी !

Unknown ने कहा…

chalo achchha huaa achchho me koi dusht to nikala agar sabhi hote achche to dusht kanah jate ?
chalo achchha huaa ujalo me andhera bhi mila agar charo taraf ujala hota to andhere kahan jate ?
arganik bhagyoday.blogspot.com

केवल राम ने कहा…

स्वार्थी लोगों को उजाले से नफरत होती है
हर हिंसा सबसे पहले गरीब का घर उजाडती है!
KAvita ji
Sach main aapki kavitaon main ek aisa dard chupa hota hai jiski taraf shayad humara dhyan nahi jaata, kisi bhav ko khuvsurti se pesh karna aapke shilp or soch ka kamal hai

Dhanyavaad

shikha varshney ने कहा…

अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाएं बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है
छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख लें तो बड़ी-बड़ी बातें अपना ध्यान स्वयं रख लेती हैं
गंभीर बात कह दी आपने.

M VERMA ने कहा…

हर हिंसा सबसे पहले गरीब का घर उजाडती है!
सही बात
नेक बातें

मनोज कुमार ने कहा…

कविता अभिधेयात्मक एवं व्यंजनात्मक शक्तियों को लिए हुए है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
चक्रव्यूह से आगे, आंच पर अनुपमा पाठक की कविता की समीक्षा, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

स्वार्थी लोगों को उजाले से नफरत होती है
हर हिंसा सबसे पहले गरीब का घर उजाडती है!..

ज़मीनी बातों को बहुत लाजवाब और प्रभावी तरीके से रखा है आपने ....

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छी सोच..सुन्दर रचना.

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत बढिया ..

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।धन्यवाद

Unknown ने कहा…

गज़ब किया कविता जी !

बहुत बहुत धन्यवाद इस सार्थक और अभिनव पोस्ट के लिए.........

डॉ टी एस दराल ने कहा…

एक से बढ़कर एक काम की बातें ।
सुन्दर भाव ।

Sunil Kumar ने कहा…

सुन्दर बहुत सुन्दर!

हास्यफुहार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

कविता जी, सारी की सारी सूक्तियाँ हैं,पिरोई हुई,एक मालिका जैसी...बहुतसुंदर!!

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

सुन्दर!

कुमार राधारमण ने कहा…

बाकी सब तो ठीक,मगर शीर्षक से असहमति है। स्वार्थी होना बुरा नहीं है। आखिर हम यह क्यों सोचें कि कोई हमारे लिए कुछ करे? हर कोई पहले अपने लिए कुछ क्यों न करे? गौर कीजिएगा कि जिनके अपने जीवन में तमाम तत्वों की पूर्णता है,वही समाज को कुछ दे पाए हैं।

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

kavita ji
bahut hi sundar rachna.vaise to sabhi panktiyan bahut hi achhi lagin par is ek pankti ne bahut kuchh kah diya------

अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाएं बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है
छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख लें तो बड़ी-बड़ी बातें अपना ध्यान स्वयं रख लेती हैं!
poonam

Kunwar Kusumesh ने कहा…

अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाए बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है ,
खूब लिखा है आपने.

कुँवर कुसुमेश
मोबा:09415518546
समय हो तो मेरा ब्लॉग देखें :kunwarkusumesh.blogspot.com

निर्मला कपिला ने कहा…

भाव अच्छे हैं। जीवन दर्शन छुपा है इस रचना मे। बधाई। कहाँ रहती हो आज कल बहुत दिन से बात नही हुयी? शुभकामनायें।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

अच्छे भावो से भरी रचना.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

कविता जी आपकी सीख बटोर ली है ....ध्यान रखेंगे ....!!

Pankaj Trivedi ने कहा…

दुष्ट प्रवृत्ति वालों को उजाले से नफरत होती है
हर हिंसा सबसे पहले गरीब का घर उजाडती है!

Its true

Unknown ने कहा…

चूने से मुहँ जल जाने पर दही देखकर डर लगता है
एक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना हो जाता है !

जिसका जहाज डूब चुका हो वह हर समुद्र से खौफ़ खाता है
जो शेर पर सवार हो उसे नीचे उतरने में डर लगता है!

.......बहुत अच्छी प्रस्तुति।धन्यवाद

Kailash Sharma ने कहा…

अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाएं बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है.....
बहुत ही प्रेरणादायक अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर..आभार..

mridula pradhan ने कहा…

sunder vichar.

DEEPAK PANERU ने कहा…

चूने से मुहँ जल जाने पर दही देखकर डर लगता है
एक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना हो जाता है !

वाह क्या बात है बहुत ही सुंदर रचना है आपकी कृपया निरंतरता बनाये रखे धन्यवाद.
अगर समय का आभाव न हो तो कृपया मेरा ब्लॉग http://deepakpaneruyaden.blogspot.com/ देखने का कष्ट करें

***Punam*** ने कहा…

yatharth aur jeevan se judi hui sachchi baten....
itani si baate jeevan main utar jayen to...........

kaviji,abhi-abhi shuruaat ki hai,apka margdarshan chahiye....thoda samay chahoongi aapka.....

Unknown ने कहा…

ज़मीनी बातों को बहुत लाजवाब और प्रभावी तरीके से रखा है आपने

बहुत ही सुंदर रचना है आपकी

Kracge ने कहा…

bahut achhi hai,i like ur all poems which i read