एक जगह पहुंचकर अच्छे और बुरे में बहुत कम दूरी रह जाती है
इने-गिने लोगों की दुष्टता सब लोगों के लिए मुसीबत बन जाती है !
हर हिंसा सबसे पहले गरीब का घर उजाडती है!
चूने से मुहँ जल जाने पर दही देखकर डर लगता है
एक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना हो जाता है !
जिसका जहाज डूब चुका हो वह हर समुद्र से खौफ़ खाता है
जो शेर पर सवार हो उसे नीचे उतरने में डर लगता है!
वक्त से एक टांका लें तो बाद में नौ टाँके नहीं लगाने पड़ते हैं
खेल ख़त्म तो बादशाह और प्यादा एक ही डिब्बे में बंद हो जाते हैं!
अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाएं बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है
छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख लें तो बड़ी-बड़ी बातें अपना ध्यान स्वयं रख लेती हैं!
इने-गिने लोगों की दुष्टता सब लोगों के लिए मुसीबत बन जाती है !
दुष्ट प्रवृत्ति वालों को उजाले से नफरत होती है

चूने से मुहँ जल जाने पर दही देखकर डर लगता है
एक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना हो जाता है !
जिसका जहाज डूब चुका हो वह हर समुद्र से खौफ़ खाता है
जो शेर पर सवार हो उसे नीचे उतरने में डर लगता है!
वक्त से एक टांका लें तो बाद में नौ टाँके नहीं लगाने पड़ते हैं
खेल ख़त्म तो बादशाह और प्यादा एक ही डिब्बे में बंद हो जाते हैं!
अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाएं बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है
छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख लें तो बड़ी-बड़ी बातें अपना ध्यान स्वयं रख लेती हैं!
..कविता रावत
बहुत अच्छी प्रस्तुति। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
ReplyDeleteमध्यकालीन भारत धार्मिक सहनशीलता का काल, मनोज कुमार,द्वारा राजभाषा पर पधारें
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeletebahut hi khubsurat prastuti....
ReplyDeletesaari panktiyaan yatharthta ke patal par likhi huyi...
bahut khub...
mere blog par thode se bargad ki chhaon me padharein...
ReplyDeleteवाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर!
ReplyDeletekavita bahut bahut sunder sandesh v chetavnee........
ReplyDeleteati sunder abhivykti .
छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख लें तो बड़ी-बड़ी बातें अपना ध्यान स्वयं रख लेती हैं...सार्थक सोच...आभार.
ReplyDeletebahut hi khubsurat prastuti...
ReplyDeleteकमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
ReplyDeleteवक्त से एक टांका लें तो बाद में नौ टाँके नहीं लगाने पड़ते हैं
ReplyDeleteखेल ख़त्म तो बादशाह और प्यादा एक ही डिब्बे में बंद हो जाते हैं!
.....बहुत सार्थक प्रस्तुति।
वक्त से एक टांका लें तो बाद में नौ टाँके नहीं लगाने पड़ते हैं
ReplyDeleteखेल ख़त्म तो बादशाह और प्यादा एक ही डिब्बे में बंद हो जाते हैं!
सटीक बात कही ...
"अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाएं बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है
ReplyDeleteछोटी-छोटी बातों का ध्यान रख लें तो बड़ी-बड़ी बातें अपना ध्यान स्वयं रख लेती हैं!"
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति
आभार
मिलिए ब्लॉग सितारों से
सुन्दर बहुत सुन्दर!
ReplyDeletebahut acchhi prastuti....
ReplyDeleteवक्त से एक टांका लें तो बाद में नौ टाँके नहीं लगाने पड़ते हैं
ReplyDeleteखेल ख़त्म तो बादशाह और प्यादा एक ही डिब्बे में बंद हो जाते हैं!
Kya baat kahi hai!
बहुत अच्छी सटीक प्रस्तुति। आपके भावों को प्रणाम!!
ReplyDeleteरचना में मौजूद उपदेश मंथन करने लायक है कविता जी !
ReplyDeletechalo achchha huaa achchho me koi dusht to nikala agar sabhi hote achche to dusht kanah jate ?
ReplyDeletechalo achchha huaa ujalo me andhera bhi mila agar charo taraf ujala hota to andhere kahan jate ?
arganik bhagyoday.blogspot.com
स्वार्थी लोगों को उजाले से नफरत होती है
ReplyDeleteहर हिंसा सबसे पहले गरीब का घर उजाडती है!
KAvita ji
Sach main aapki kavitaon main ek aisa dard chupa hota hai jiski taraf shayad humara dhyan nahi jaata, kisi bhav ko khuvsurti se pesh karna aapke shilp or soch ka kamal hai
Dhanyavaad
अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाएं बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है
ReplyDeleteछोटी-छोटी बातों का ध्यान रख लें तो बड़ी-बड़ी बातें अपना ध्यान स्वयं रख लेती हैं
गंभीर बात कह दी आपने.
हर हिंसा सबसे पहले गरीब का घर उजाडती है!
ReplyDeleteसही बात
नेक बातें
कविता अभिधेयात्मक एवं व्यंजनात्मक शक्तियों को लिए हुए है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteचक्रव्यूह से आगे, आंच पर अनुपमा पाठक की कविता की समीक्षा, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
स्वार्थी लोगों को उजाले से नफरत होती है
ReplyDeleteहर हिंसा सबसे पहले गरीब का घर उजाडती है!..
ज़मीनी बातों को बहुत लाजवाब और प्रभावी तरीके से रखा है आपने ....
अच्छी सोच..सुन्दर रचना.
ReplyDeleteबहुत बढिया ..
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।धन्यवाद
ReplyDeleteगज़ब किया कविता जी !
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद इस सार्थक और अभिनव पोस्ट के लिए.........
एक से बढ़कर एक काम की बातें ।
ReplyDeleteसुन्दर भाव ।
सुन्दर बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteकविता जी, सारी की सारी सूक्तियाँ हैं,पिरोई हुई,एक मालिका जैसी...बहुतसुंदर!!
ReplyDeleteसुन्दर!
ReplyDeleteबाकी सब तो ठीक,मगर शीर्षक से असहमति है। स्वार्थी होना बुरा नहीं है। आखिर हम यह क्यों सोचें कि कोई हमारे लिए कुछ करे? हर कोई पहले अपने लिए कुछ क्यों न करे? गौर कीजिएगा कि जिनके अपने जीवन में तमाम तत्वों की पूर्णता है,वही समाज को कुछ दे पाए हैं।
ReplyDeletekavita ji
ReplyDeletebahut hi sundar rachna.vaise to sabhi panktiyan bahut hi achhi lagin par is ek pankti ne bahut kuchh kah diya------
अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाएं बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है
छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख लें तो बड़ी-बड़ी बातें अपना ध्यान स्वयं रख लेती हैं!
poonam
अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाए बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है ,
ReplyDeleteखूब लिखा है आपने.
कुँवर कुसुमेश
मोबा:09415518546
समय हो तो मेरा ब्लॉग देखें :kunwarkusumesh.blogspot.com
भाव अच्छे हैं। जीवन दर्शन छुपा है इस रचना मे। बधाई। कहाँ रहती हो आज कल बहुत दिन से बात नही हुयी? शुभकामनायें।
ReplyDeleteअच्छे भावो से भरी रचना.
ReplyDeleteकविता जी आपकी सीख बटोर ली है ....ध्यान रखेंगे ....!!
ReplyDeleteदुष्ट प्रवृत्ति वालों को उजाले से नफरत होती है
ReplyDeleteहर हिंसा सबसे पहले गरीब का घर उजाडती है!
Its true
चूने से मुहँ जल जाने पर दही देखकर डर लगता है
ReplyDeleteएक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना हो जाता है !
जिसका जहाज डूब चुका हो वह हर समुद्र से खौफ़ खाता है
जो शेर पर सवार हो उसे नीचे उतरने में डर लगता है!
.......बहुत अच्छी प्रस्तुति।धन्यवाद
अपनी मोमबत्ती को नुक्सान पहुंचाएं बिना दूसरे की मोमबत्ती जलाई जा सकती है.....
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरणादायक अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर..आभार..
sunder vichar.
ReplyDeleteचूने से मुहँ जल जाने पर दही देखकर डर लगता है
ReplyDeleteएक बार डंक लगने पर आदमी दुगुना चौकन्ना हो जाता है !
वाह क्या बात है बहुत ही सुंदर रचना है आपकी कृपया निरंतरता बनाये रखे धन्यवाद.
अगर समय का आभाव न हो तो कृपया मेरा ब्लॉग http://deepakpaneruyaden.blogspot.com/ देखने का कष्ट करें
yatharth aur jeevan se judi hui sachchi baten....
ReplyDeleteitani si baate jeevan main utar jayen to...........
kaviji,abhi-abhi shuruaat ki hai,apka margdarshan chahiye....thoda samay chahoongi aapka.....
ज़मीनी बातों को बहुत लाजवाब और प्रभावी तरीके से रखा है आपने
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना है आपकी
bahut achhi hai,i like ur all poems which i read
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