जब-जब भी मैं तेरे पास आया
तू अक्सर मिली मुझे छत के एक कोने में
चटाई या फिर कुर्सी में बैठी
बडे़ आराम से हुक्का गुड़गुड़ाते हुए
तेरे हुक्के की गुड़गुड़ाहट सुन
मैं दबे पांव सीढ़ियां चढ़कर
तुझे चौंकाने तेरे पास पहुंचना चाहता
उससे पहले ही तू उल्टा मुझे छक्का देती
मेरे कहने पर कि-
'तू तो देखती-सुनती कम है
फिर तुझे कैसे पता चला'
तू मुझे बतियाती-
बेटा, 'एक मां की भले ही नजर कमजोर पड़ जाए
लेकिन उसकी दिल की धड़कन कभी कमजोर नहीं पड़ती
उसे आंख-कान से देखने-सुनने की जरुरत नहीं पड़ती'
अब मैं वह दिल की धड़कन कहां से लाऊंगा!
कभी एक-दो दिन बात करना भूल क्या जाता मैं कि
तुझे होने लगती थी मेरी भारी चिंता
और तू शिकायत के साथ फोन मिलाती मुझे
फिर पूछने बैठती-
'क्यों, क्या, सब ठीक तो है, मुझे बड़ी चिंता हो रही है'
ऐसे जाने कितने ही सवाल एक साथ दाग देती
मैं चुपचाप सुनकर तुझसे कहता-
'तू हमारी नहीं अपनी चिन्ता किया कर
तू हमारी चिन्ता करके क्या करेगी?'
मेरे यह कहने पर तू मुझे समझाती-
'बेटा, मां हूं न इसीलिए सबकी चिंता-फिकर करती हूं'
अब मुझे वह चिन्ता- फ़िक्र करने वाला कहां मिलेगा!
माँ के निधन पर बेटे की पुकार
.....कविता रावत
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (29-11-2020) को "असम्भव कुछ भी नहीं" (चर्चा अंक-3900) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर नमन।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 28 नवंबर नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर। नमन।
जवाब देंहटाएंएक मां की भले ही नजर कमजोर पड़ जाए
जवाब देंहटाएंलेकिन उसकी दिल की धड़कन कभी कमजोर नहीं पड़ती
उसे आंख-कान से देखने-सुनने की जरुरत नहीं पड़ती' मर्मस्पर्शी व प्रभावशाली लेखन।
मन को भीतर तक भिगो देने वाली रचना
जवाब देंहटाएंबहुत दुःखद खबर है कविता जी। माँ का जाना और मातृ सत्ता की छाँव से अचानक वंचित हो जाना जीवन का सबसे मर्मांतक आघात है। एक बेटे के बिलखते उद्गार आँखों के साथमन को भीतर तक नम कर गए। एक बहु के लिए भी सास का जाना एक अपूर्णीय क्षति है। मेरी हार्दिक संवेदनाओं के साथ दिवंगत माँ की पुण्य स्मृति को सादर नमन। ईश्वर उनकी आत्मा को अपने श्री चरणों में जगह दे🙏🙏 सादर
जवाब देंहटाएंमाँ की भावनाओं को व्यक्त करती बहुत मार्मिक रचना, दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंमाँ आखिर माँ होती है। उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंमेरी संवेदनाएं साथ हैं आदरणीया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
जवाब देंहटाएंदिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंमाँ के लिए बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है. हर माँ ऐसी ही होती है. माताजी को हार्दिक श्रधांजलि.
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक ... माँ नहीं हो कर ही सब के साथ होती है ... उसका जाना दर्द का एहसास तो देता है ... उसकी कमी हमेशा हमेशा रहती है, वो बातें सदा साथ् रहती हैं ... पर माँ कहीं नहीं जाती ... मेरी श्रद्धांजलि माँ को ... नमन उनके श्री चरणों में ...
जवाब देंहटाएंअत्यंत हृदयस्पर्शी एवं मार्मिक रचना... ईश्वर दिवंगत आत्मा को चिर शांति प्रदान करे... हार्दिक नमन् एवं श्रद्धांजलि...।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक रचना। मां ऐसी ही होती है।
जवाब देंहटाएंआपकी हृदय स्पर्शी रचना ने मन को द्रवित कर दिया..माँ का स्नेह ही इतना अपनत्व और प्रेम से भरा होता है कि उसकी जगह कोई नहीं ले सकता..मेरी संवेदनाएं आपके और परिवार के साथ हैं..सादर नमन सहित विनम्र श्रद्धांजलि ..।
जवाब देंहटाएंकोमल भावनाओं से ओतप्रोत हृदयस्पर्शी .... - डॉ. शरद सिंह
जवाब देंहटाएंमन को द्रवित कर दिया
जवाब देंहटाएंमेरी संवेदनाए आपके साथ। मर्मस्पर्शी पंक्तियां।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन भावुक रचना ।
जवाब देंहटाएंI’m happy to see some great articles on your site. I truly appreciate it, many thanks for sharingthanks for sharing
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