
चूने से मुँह जले वाले को दही देखकर डर लगता है
रीछ से डरा आदमी कंबल वाले को देख डर जाता है
दूध का जला छाछ को फूँक-फूँक कर पीता है
ईश्वर से न डरने वाले से सभी को डर लगता है
आग में झुलसा हुआ बच्चा आग से डरता है
जिससे बचना मुश्किल हो, उससे मूर्खता है डरना
कल क्या हो यह सोचकर आज क्यों डर के रहना
दुष्ट को क्षमा नहीं डर दिखाकर बस में करना भला
हमेशा के डर से उससे एक बार गुजर जाना भला
अभी तो सिर्फ दूध वाला ही सुना....:-)
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (14-04-2017) को "डा. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती" (चर्चा अंक-2940) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (14-04-2017) को "डा. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती" (चर्चा अंक-2940) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर
ReplyDeleteदुष्ट को क्षमा नहीं डर दिखाकर बस में करना भला...बहुत सटीक, सुन्दर सार्थक...
ReplyDeleteवाह!!!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, जलियाँवाला बाग़ नरसंहार के शहीदों की ९९ वीं बरसी “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteडर शब्द का खूबसूरत प्रयोग
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर .........
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 16 अप्रैल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुऔदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteनिमंत्रण
ReplyDeleteविशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
वाह बेहद उम्दा
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत .... बहुत खूब
ReplyDeleteबेहद उम्दा रचना.....
ReplyDeleteWe are urgently in need of kidney donors in Kokilaben Hospital India for the sum of $500,000,00, (3 CRORE INDIA RUPEES) All donors are to reply via Email only: hospitalcarecenter@gmail.com or Email: kokilabendhirubhaihospital@gmail.com
ReplyDeleteWhatsApp +91 7795833215
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हमें कॉकैलेबेन अस्पताल के भारत में 500,000,000 डॉलर (3 करोड़ रुपये) की राशि के लिए गुर्दे के दाताओं की तत्काल आवश्यकता है, सभी दाताओं को केवल ईमेल के माध्यम से उत्तर देना होगा: hospitalcarecenter@gmail.com या ईमेल: kokilabendhirubhaihospital@gmail.com
व्हाट्सएप +91 7795833215
बहुत ही बढ़िया लाइन्स प्रस्तुत की.
ReplyDeletesundar abhivyakti kavita ji namskar bahut dinon baad aapka blog mila .
ReplyDeleteदुष्ट को क्षमा नहीं डर दिखाकर बस में करना भला
ReplyDeleteहमेशा के डर से उससे एक बार गुजर जाना भला
........... बेहद उम्दा लिखा है कविता दी !!
bahut acchi rachna hai .
ReplyDelete
ReplyDeleteवाह !
बेहतरीन अभिव्यक्ति !
तीखे बाणों की तरह अपनी बात मजबूती के साथ रखते हुए छंद हैं सभी ...
ReplyDeleteगहरी बातों को लिखा है ...
वाह, बहुत ख़ूब
ReplyDeleteबहुत ख़ूब, idhar bhi nazar daliye
ReplyDeleteVaranasi To Bangkok direct Flight । अब थाईलैंड के पाप सीधे बनारस में धो लीजिये ... read complete