शक्कर सफेद हो या भूरी उसमें उतनी ही मिठास रहेगी।।
कभी चित्रित फूलों से सुगंध नहीं आती है।
हर चमकदार वस्तु स्वर्ण नहीं होती है।।
धूप में धूल के कण भी चमकदार मालूम पड़ते हैं।
हाथी के खाने और दिखाने के अलग दाँत होते हैं।।
सुन्दर सेब के भीतर कीड़ा लगा तो वह किसी काम नहीं आता है।
बन्दर को शाही पोशाक पहना देने पर वह बंदर ही कहलाता है।।
किसी पेड़ को उसकी छाल से नहीं जाँचना चाहिए।
सिर्फ चेहरा देख उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए।।
जंग में जाने वाले सब लोग सैनिक नहीं होते हैं।
दाढ़ी बढ़ा लेने पर सभी साधु नहीं बन जाते हैं।।
... कविता रावत
किसी पेड़ को उसकी छाल से नहीं जाँचना चाहिए।
ReplyDeleteसिर्फ चेहरा देख उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए।।
...............कम से कम आज तो आँख मूंधकर कर विशवास कर लेने का ज़माना बिलकुल भी नहीं है .....
....उम्दा रचना
सुन्दर रचना कविता जी !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !
भावपूर्ण ,सशक्त, सुन्दर और नसीहत देती रचना
ReplyDeleteसभी पंक्तियाँ सुन्दर और शिक्षाप्रद !
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (17.10.2014) को "नारी-शक्ति" (चर्चा अंक-1769)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
ReplyDeleteसार्थक और सुन्दर प्रस्तुति....
ReplyDeleteबेहतरीन व उम्दा लेखन , पढ़कर बहुत हि अच्छा लगा , आपको धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सुन्दर आनुभूतिक सत्य ,निचोड़ .........-आभार !
ReplyDelete
ReplyDeleteकल 17/अक्तूबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
सुन्दर सेब के भीतर कीड़ा लगा तो वह किसी काम नहीं आता है।
ReplyDeleteबन्दर को शाही पोशाक पहना देने पर वह बंदर ही कहलाता है।।
लोकोक्तियों के माध्यम से बहुत अच्छा सन्देश दिया है आपने...
गुलाब को कुछ भी नाम दो उससे उतनी ही सुगंध आयेगी।
ReplyDeleteशक्कर सफेद हो या भूरी उसमें उतनी ही मिठास रहेगी।।
,,,,,बहुत बहुत बढ़िया ................
बहुत सुन्दर लोकोक्ति में कविता !
ReplyDeleteइश्क उसने किया .....
बहुत बढ़िया....बेहद सटीक रचना..
ReplyDeleteअनु
गुलाब को कुछ भी नाम दो उससे उतनी ही सुगंध आयेगी।
ReplyDeleteशक्कर सफेद हो या भूरी उसमें उतनी ही मिठास रहेगी।।
बहुत सुन्दर सटीक रचना..
जॉच परख कर ही निर्णय करना चाहिए।
ReplyDeleteजबरदस्त
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteलाजवाब!
ReplyDeleteलाजवाब!
ReplyDeleteलोकोक्ति में सटीक कविता !
ReplyDeleteजंग में जाने वाले सब लोग सैनिक नहीं होते हैं।
ReplyDeleteदाढ़ी बढ़ा लेने पर सभी साधु नहीं बन जाते हैं।।
.........लेकिन आज ऐसों का ही जमाना है ....
सटीक कविता ......
किसी पेड़ को उसकी छाल से नहीं जाँचना चाहिए।
ReplyDeleteसिर्फ चेहरा देख उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए।।
Behtreen.... Vicharniy Panktiyan Hain
जी सही बात
ReplyDeleteहमारी दाढ़ी भी बढ़ी
फिर भी
किसी काम की नहीं ।
बहुत सुन्दर चित्रण
ReplyDeleteBilkul saarthak aur steek ... Koi shak nhi isme ... Umdaa prastuti !!
ReplyDeleteHey there! Do you know if they make any plugins to assist with SEO?
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सही कहा!
ReplyDeleteधूप में धूल के कण भी चमकदार मालूम पड़ते हैं।
ReplyDeleteहाथी के खाने और दिखाने के अलग दाँत होते हैं।।
गंभीर और सटीक बात। बेहद सुंदर
बहुत खूब!
ReplyDeleteलोकोक्तियों में समाये जीवन-दर्शन का सुन्दर उपयोग !
ReplyDeleteअच्छी ज्ञान-वर्द्धक प्रस्तुति !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार,15 अक्तूबर 2015 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !