दाढ़ी बढ़ा लेने पर सभी साधु नहीं बन जाते हैं - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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गुरुवार, 16 अक्तूबर 2014

दाढ़ी बढ़ा लेने पर सभी साधु नहीं बन जाते हैं




गुलाब को कुछ भी नाम दो उससे उतनी ही सुगंध आयेगी।
शक्कर सफेद हो या भूरी उसमें उतनी ही मिठास रहेगी।।

कभी चित्रित फूलों से सुगंध नहीं आती है।
हर चमकदार वस्तु स्वर्ण नहीं होती है।।

धूप में धूल के कण भी चमकदार मालूम पड़ते हैं।
हाथी के खाने और दिखाने के अलग दाँत होते हैं।।

सुन्दर सेब के भीतर कीड़ा लगा तो वह किसी काम नहीं आता है।
बन्दर को शाही पोशाक पहना देने पर वह बंदर ही कहलाता है।।

किसी पेड़ को उसकी छाल से नहीं जाँचना चाहिए।
सिर्फ चेहरा देख उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए।।

जंग में जाने वाले सब लोग सैनिक नहीं होते हैं।
दाढ़ी बढ़ा लेने पर सभी साधु नहीं बन जाते हैं।।
      
  ...  कविता रावत 

31 टिप्‍पणियां:

Surya ने कहा…

किसी पेड़ को उसकी छाल से नहीं जाँचना चाहिए।
सिर्फ चेहरा देख उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए।।
...............कम से कम आज तो आँख मूंधकर कर विशवास कर लेने का ज़माना बिलकुल भी नहीं है .....
....उम्दा रचना

Manoj Kumar ने कहा…

सुन्दर रचना कविता जी !
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !

Unknown ने कहा…

भावपूर्ण ,सशक्त, सुन्दर और नसीहत देती रचना

Dolly ने कहा…

सभी पंक्तियाँ सुन्दर और शिक्षाप्रद !

Ranjana verma ने कहा…

सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति....

आशीष अवस्थी ने कहा…

बेहतरीन व उम्दा लेखन , पढ़कर बहुत हि अच्छा लगा , आपको धन्यवाद !
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Meenakshi ने कहा…

सुन्दर आनुभूतिक सत्य ,निचोड़ .........-आभार !

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…


कल 17/अक्तूबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !

Unknown ने कहा…

सुन्दर सेब के भीतर कीड़ा लगा तो वह किसी काम नहीं आता है।
बन्दर को शाही पोशाक पहना देने पर वह बंदर ही कहलाता है।।

लोकोक्तियों के माध्यम से बहुत अच्छा सन्देश दिया है आपने...

Unknown ने कहा…

गुलाब को कुछ भी नाम दो उससे उतनी ही सुगंध आयेगी।
शक्कर सफेद हो या भूरी उसमें उतनी ही मिठास रहेगी।।
,,,,,बहुत बहुत बढ़िया ................

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर लोकोक्ति में कविता !
इश्क उसने किया .....

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत बढ़िया....बेहद सटीक रचना..

अनु

Arogya Bharti ने कहा…

गुलाब को कुछ भी नाम दो उससे उतनी ही सुगंध आयेगी।
शक्कर सफेद हो या भूरी उसमें उतनी ही मिठास रहेगी।।
बहुत सुन्दर सटीक रचना..

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

जॉच परख कर ही निर्णय करना चाहिए।

Unknown ने कहा…

जबरदस्त

vijay ने कहा…

लाजवाब!

vijay ने कहा…

लाजवाब!

Mamta ने कहा…

लोकोक्ति में सटीक कविता !

RAJ ने कहा…

जंग में जाने वाले सब लोग सैनिक नहीं होते हैं।
दाढ़ी बढ़ा लेने पर सभी साधु नहीं बन जाते हैं।।
.........लेकिन आज ऐसों का ही जमाना है ....
सटीक कविता ......

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

किसी पेड़ को उसकी छाल से नहीं जाँचना चाहिए।
सिर्फ चेहरा देख उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए।।

Behtreen.... Vicharniy Panktiyan Hain

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

जी सही बात
हमारी दाढ़ी भी बढ़ी
फिर भी
किसी काम की नहीं ।

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुन्दर चित्रण

Unknown ने कहा…

Bilkul saarthak aur steek ... Koi shak nhi isme ... Umdaa prastuti !!

बेनामी ने कहा…

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अनूप शुक्ल ने कहा…

सही कहा!

Jayshreekar ने कहा…

धूप में धूल के कण भी चमकदार मालूम पड़ते हैं।
हाथी के खाने और दिखाने के अलग दाँत होते हैं।।

गंभीर और सटीक बात। बेहद सुंदर

Earn More ने कहा…

बहुत खूब!

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

लोकोक्तियों में समाये जीवन-दर्शन का सुन्दर उपयोग !

देवदत्त प्रसून ने कहा…

अच्छी ज्ञान-वर्द्धक प्रस्तुति !

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार,15 अक्तूबर 2015 को में शामिल किया गया है।
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