सबको नाच नचाता पैसा - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 2 जनवरी 2023

सबको नाच नचाता पैसा

 




नाते रिश्ते इसके पीछे 

सबके आगे रहता पैसा

खूब हंसाता खूब रूलाता

सबको नाच नचाता पैसा


अपने इससे दूर हो जाते 

दूजे इसके पास आ जाते 

दूर पास का खेल ये कैसा

सबको नाच नचाता पैसा


बना काम खुश होकर लौटे

ओढ़ी चादर सो गए तनकर 

काम बिगाड़ा पैसा देकर  

देख हाल ये उड़ गई निंदिया

खाना-पीना हुआ हराम

पकड के सर हम सोचते रह गए 

किसने काम बिगाड़ा ऐसा 

तेरा पैसा मेरा पैसा 

खूब हंसाता खूब रूलाता

सबको नाच नचाता पैसा


काम धाम सब छोडके अपना

भाया क्रिकेट मैच सुहाना

पडते देखा चौका-छक्का

लगा बैठे फिर उस पर सटटा 

जैसे किसी ने पासा पलटा 

चौका-छक्काा पड गया उल्टा

बैठे-ठाले सोच में डूबे 

कौन ये खेला कर गया ऐसा 

तेरा पैसा मेरा पैसा 

खूब हंसाता खूब रूलाता

सबको नाच नचाता पैसा

Song : Kavita Rawat
Music : Ashish Gajbhiye
Singers : Kavitaraj, Ashish



9 टिप्‍पणियां:

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

सुंदर सृजन। सही कहा आजकल सबको नाच ही नचा रहा है पैसा। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

Alaknanda Singh ने कहा…

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ... बहुत खूब लिखा कविता जी...शानदार रचना

संजय भास्‍कर ने कहा…

नए वर्ष के लिए आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ!

MY GOOD NIVESH ने कहा…

Happy New Year

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

आपकी कविता की सच्चाई में कोई संदेह नहीं

Abhilasha ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना

Sudha Devrani ने कहा…

वाकई सबको नाच नचाता पैसा ।
बहुत लाजवाब ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पैसे की महिमा विशाल ...
इसका विस्तार विशाल ... बाखूबी बयाँ की है दास्तान आपने पैसे की ...

#vpsinghrajput ने कहा…

जीवन की सच्ची लाईन बहुत ही सरल तरीके से अपने बया कर दिया