सैकड़ों गीदड़ों के लिए एक शेर ही ग़नीमत है। लोकोक्तियों की कविता - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

सैकड़ों गीदड़ों के लिए एक शेर ही ग़नीमत है। लोकोक्तियों की कविता


मुर्गा अपने दड़बे पर बड़ा दिलेर होता है
अपनी गली का कुत्ता भी शेर होता है

दुष्ट लोग क्षमा नहीं दंड के भागी होते हैं
लातों के भूत बातों से नहीं मानते हैं

हज़ार कौओं को भगाने हेतु एक पत्थर बहुत है
सैकड़ों गीदड़ों के लिए एक शेर ही ग़नीमत है

बुराई को सिर उठाते ही कुचल देना चाहिए
चोर को पकड़ने के लिए चोर लगाना चाहिए

कायर भेड़िए की खाल में मिलते हैं
डरपोक कुत्ते सबसे तेज़ भौंकते हैं

...कविता रावत


19 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

हर बात सटीक ... सामयिक और सार्थक ....
डरपोक कुत्ते सच में सबसे तेज़ भौंकते हैं ... गली के कुत्ते शेर होते हैं ...
लातों के भूत बातों से नहीं मानते ... आपका अंदाज़ बहुत चुटीला, चुस्त और लाजवाब है ...

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सटीक डरपोक कुत्ते और तेज भौंक ।

व्याकुल पथिक ने कहा…

चोर को पकड़ने के लिए चोर लगाना चाहिए
बहुत ही अच्छी बात।
आतंकवादियों से मुक्ति का यही एक फार्मूला है।
प्रणाम।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बुराई को सिर उठाते ही कुचल देना चाहिए
चोर को पकड़ने के लिए चोर लगाना चाहिए

कायर भेड़िए की खाल में मिलते हैं
डरपोक कुत्ते सबसे तेज़ भौंकते हैं
बहुत सही कहा, कविता दी।

Vocal Baba ने कहा…

बुराई को सिर उठाते ही कुचल देना चाहिए। प्रणाम कविता जी।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (22-02-2019) को "नमन नामवर" (चर्चा अंक-3255) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत अच्छी रचना सखी |पढ़कर बहुत अच्छा लगा
सादर

संजय भास्‍कर ने कहा…

गली के कुत्ते शेर होते हैं एकदम सटीक और लाजवाब है लिखा है कविता दी

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…

कविता जी बहुत खरी-खरी सुनाई आपने ! लेकिन आप से हमारे तमाम नेता नाराज़ हो जाएंगे क्योंकि वो भी दुश्मन को काटने से ज़्यादा उस पर भौंकने में यकीन रखते हैं.

Onkar ने कहा…

bahut badhiya

Sudha Devrani ने कहा…

समसामयिक सटीक प्रस्तुति...
बहुत ही लाजवाब।

Pammi singh'tripti' ने कहा…

सार्थक रचना..

Kamini Sinha ने कहा…

हज़ार कौओं को भगाने हेतु एक पत्थर बहुत है
सैकड़ों गीदड़ों के लिए एक शेर ही ग़नीमत है
बहुत खूब.... कविता जी

Internet Day ने कहा…

बहुत बढ़िया

ROHIT KUMAR ने कहा…

क्या कविता लिखा है आपने बहुत खूब !!
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M VERMA ने कहा…

सटीक अवलोकन

डरपोक कुत्ते तेज़ भौकते हैं

बेनामी ने कहा…

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kuldeepak ने कहा…

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