सोए हुए भेड़िए के मुँह में मेमने अपने आप नहीं चले जाते हैं।
भुने हुए कबूतर हवा में उड़ते हुए नहीं पाए जाते हैं।।
सोई लोमड़ी के मुँह में मुर्गी अपने-आप नहीं चली जाती है।
कोई नाशपाती बन्द मुँह में अपने आप नहीं गिरती है।।
गिरी खाने के लिए अखरोट को तोड़ना पड़ता है।
मछलियाँ पकड़ने के लिए जाल बुनना पड़ता है।।
मैदान का नजारा देखने के लिए पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है।
परिश्रम में कोई कमी न हो तो कुछ भी कठिन नहीं होता है।।
एक जगह मछली न मिले तो दूसरी जगह ढूँढ़ना पड़ता है।
उद्यम से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है।।
... कविता रावत