सोए हुए भेड़िए के मुँह में मेमने अपने आप नहीं चले जाते हैं।
भुने हुए कबूतर हवा में उड़ते हुए नहीं पाए जाते हैं।।
सोई लोमड़ी के मुँह में मुर्गी अपने-आप नहीं चली जाती है।
कोई नाशपाती बन्द मुँह में अपने आप नहीं गिरती है।।
गिरी खाने के लिए अखरोट को तोड़ना पड़ता है।
मछलियाँ पकड़ने के लिए जाल बुनना पड़ता है।।
मैदान का नजारा देखने के लिए पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है।
परिश्रम में कोई कमी न हो तो कुछ भी कठिन नहीं होता है।।
एक जगह मछली न मिले तो दूसरी जगह ढूँढ़ना पड़ता है।
उद्यम से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है।।
... कविता रावत
23 टिप्पणियां:
मंजिल पाने के लिए कदम तो उठाना ही पड़ेगा
प्रेरक रचना !
बिना परिश्रम कुछ नहीं मिलता ...................बहुत बहुत अच्छी कविता है
bahut sundar baat ki hai aapne....
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-12-2015) को "सुबह का इंतज़ार" (चर्चा अंक-2195) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मैदान का नजारा देखने के लिए पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है।
परिश्रम में कोई कमी न हो तो कुछ भी कठिन नहीं होता है।।
एक जगह मछली न मिले तो दूसरी जगह ढूँढ़ना पड़ता है।
उद्यम से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है।।
प्रेरित करते सार्थक शब्द कविता जी ! बधाई आपको
बहुत सार्थक रचना है कविता जी.
प्रयासरत रहना ही जीवन है।
बहुत सुंदर .
नई पोस्ट : क्या बोले मन
सही कहा
बहुत प्रेरक रचना । बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलता ।
बहुत बहुत शानदार रचना की प्रस्तुति। इस रचना की जितनी तारीफ की जाए कम है। बहुत ही उम्दा।
शानदार रचना की प्रस्तुति।मेहनत के बिना कुछ नहीं मिलता
बहुत ख़ूब
सत्य को बयां करती प्रस्तुति...
प्रेरक और सार्थक संदेश देती रचना ।
प्रेरक रचना ।
प्रेरक रचना ।
हौसला देती रचना
प्रेरक रचना।
Prernatmk prastuti.......
सुंदर। उद्य़मेन ही सिध्दंति कार्याणि न मनोरथै।
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