दिसंबर 2024 - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

सोमवार, 30 दिसंबर 2024

कुछ ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन। New Year poem

दिसंबर 30, 2024 29
आपस में कोई बैर भाव न रहे न रहे कोई जात-पात का बंधन हर घर आँगन में बनी रहे खुशहाली कुछ ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन तोड़कर नफरत भरी सब दीव...
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रविवार, 29 दिसंबर 2024

अभी बात उसकी अधूरी है

दिसंबर 29, 2024 0
आज रविवार है यानि छुट्टी का दिन, कामकाजी महिलाओं के लिए दफ्तर को भुलाकर देर तक सुख स्वप्नों में विचरण करते रहने का दिन। इसलिए आज दैनिक दिनचर...
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शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

सब कहे बहू हो तो शैलू की जैसी

दिसंबर 27, 2024 0
एक बेचारा 1760 काम का मारा इधर-उधर मारा-मारा फिरता है कोई तो ढूंढों एक सयानी बहू अक्सर यही कहता रहता है इस शहर से उस गांव तक इसको देखा उसको ...
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मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

सोमवार, 23 दिसंबर 2024

मामूली दुश्मन हो या घाव उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए

दिसंबर 23, 2024 14
मामूली दुश्मन हो या घाव उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए दुश्मन अगर चींटीं भी हो तो उसे हाथी समझना चाहिए भेड़िये की मौत पर भेड़ अपनी खैर मनात...
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रविवार, 22 दिसंबर 2024

दुश्मन के ख़ेमे में फूट पड़े तो उसकी हार निश्चित होती है

दिसंबर 22, 2024 16
कलाल की दुकान पर पानी पीओ तो शराब का गुमान होता है  फूलों के कारण माला का धागा भी पावन हो जाता है  अच्छा पड़ोसी मूल्यवान वस्तु से कम नहीं होत...
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शनिवार, 21 दिसंबर 2024

रविवार, 15 दिसंबर 2024

कहानी इल्लू, टिल्लू और ढिल्लू की

दिसंबर 15, 2024 10
हमारा परिवार प्रकृति प्रेमी तो है ही साथ में पशु-पक्षी प्रेमी भी है। यह बात हमारे अड़ोसी-पड़ोसी ही नहीं बल्कि जान-पहचान और रिश्तेदार भी भलीभां...
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शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024

बुधवार, 11 दिसंबर 2024

सोमवार, 9 दिसंबर 2024

सोमवार, 2 दिसंबर 2024

त्रासदी के कड़ियां | भोपाल गैस कांड |

दिसंबर 02, 2024 27
देखते-देखते भोपाल गैस त्रासदी के 39 बरस बीत गए।हर वर्ष तीन दिसंबर गुजर जाता है और उस दिन मन में कई सवाल उठते हैं, जो अनुत्तरित रह जाते है...
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