लकड़ी ने हत्था दिया कुल्हाड़ी को वह उसे ही काटने चला - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

बुधवार, 23 अप्रैल 2025

लकड़ी ने हत्था दिया कुल्हाड़ी को वह उसे ही काटने चला



सांप को चाहे जितना ढूध पिलाओ वह कभी मित्र नहीं बनेगा
आग में गिरे बिच्छू को उठा लेने लें तो वह डंक ही मारेगा

गड्ढे में गिरे हुए कुत्ते को बाहर निकालो तो वह काट लेगा
भेड़िये को चाहे जितना खिलाओ-पिलाओ वह जंगल भागेगा

गधे के कान में घी डालो तो वह यही कहेगा कान मरोड़ते हैं
तोते को जितना भी प्यार से रखो वह मौका देख उड़ जाते हैं

काला कौआ पालो तो वह चोंच मारकर ऑंखें फोड़ देगा
खलनायक नायक बना तो वह मौका देख छुरा भोंक देगा

टूटी थाली में जो कुछ भी डालो सब बर्बाद हो जाता है
अज्ञानी मंदिर में बैठकर मंदिर के ही पत्थर उखाड़ता है

बिल्ली ने शेर को सिखाया- पढ़ाया वह उसे ही खाने चला
लकड़ी ने हत्था दिया कुल्हाड़ी को वह उसे ही काटने चला

copyright@Kavita Rawat