भद्राक्ष || भद्राक्ष का पेड़। भद्राक्ष की उपयोगिता - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 1 मार्च 2024

भद्राक्ष || भद्राक्ष का पेड़। भद्राक्ष की उपयोगिता


आज हम आपको मध्यप्रदेश के रायसेन मंडीदीप से लगभग 7 किलोमीटर दूर औबेदुल्लागंज रोड पर हाईवे किनारे और रेलवे लाइन जाखला पुल के पास जाखला धाम संकट मोचन हनुमान मंदिर ले चलते हैं। जहां आपको जाखला धाम संकट मोचन हनुमान मंदिर दर्शन के साथ ही इस मंदिर के प्रांगण में स्थित एक अति दुर्लभ प्रजाति के पेड़ से मिलवाते है, जिसका नाम भद्राक्ष है, जिसे रुद्राक्ष का ही एक रूप माना जाता है। इस दुर्लभ आकर्षक रोबेले, छबीले और घनेरी छायादार भद्राक्ष पेड़ के बारे में जब हमने मंदिर के पुजारी रोहन शर्मा जी से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि यह पेड़ मंदिर की तरह ही लगभग सौ वर्ष पुराना है, जिसकी अपनी कई विशेषताएं हैं। एक तो इस पेड़ के पत्ते इतने घने होते हैं कि बरसात में इसके नीचे खड़े हो जाओ तो एक भी पानी की बूंद नीचे नही टपकती। दूसरा गर्मियों में इसके पत्ते कभी जमीन में नही गिरते, वे धीरे-धीरे गायब होते चले जाते हैं। गर्मियों में इसमें एक भी पत्ता नजर नहीं आता है, पूरा पेड़ फूलों से लकझक होता है। तीसरा इस पेड़ के बीज से कोई दूसरा पेड़ नहीं उगता। वन, उद्यान और पुरातत्व विभाग द्वारा भी इसके बीज और गूंठी लगाकर उगाने की हर संभव कोशिश की गई, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। सबसे बड़ी बात यह पूरे विश्व में अपनी तरह का दुर्लभ प्रजाति के विलुप्त होते पेड़ों की श्रेणी में अपना एक अलग स्थान रखता है।         
        रुद्राक्ष नेपाल और भारत दोनों देशों में लेकिन भद्राक्ष केवल भारत में ही दुर्लभ रूप में पाया जाता है, जिसके कारण इसे बहुत कम लोग जानते हैं, फलत: इसका प्रयोग केवल आभूषणों में देखने को मिलता है।
      जाखला धाम संकट मोचन हनुमान मंदिर की स्थापना रेलवे कर्मचारियों द्वारा बताई जाती है, जो धीरे-धीरे आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रवासियों के साथ ही धीरे-धीरे देश-प्रदेश के लोगों की अटूट आस्था और श्रद्धा का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है।

...कविता रावत

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