तिल-तिल जीने वाला हर दिन मरता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

तिल-तिल जीने वाला हर दिन मरता है


शत्रु की मुस्कुराहट से मित्र की तनी हुई भौंहे अच्छी होती है
मूर्ख के साथ लड़ाई करने से उसकी चापलूसी भली होती है

किसी कानून से अधिक उसके उल्लंघनकर्ता मिलते हैं
ऊँचे पेड़ छायादार अधिक लेकिन फलदार कम रहते हैं

पत्थर खुद भोथरा हो फिर भी छुरी को तेज करता है
मरियल घोड़ा भी हट्टे-कट्टे बैल से तेज दौड़ सकता है

पोला बांस बहुत अधिक आवाज करता है
जो जिधर झुकता है वह उधर ही गिरता है

आरम्भ के साथ उसका अंत भी चलता है
तिल-तिल जीने वाला हर दिन मरता है

... कविता रावत 




11 टिप्‍पणियां:

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

वाह, बहुत बढ़िया।

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

बिल्कुल ठीक कहा आपने कविता जी ।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सटिक अभिव्यक्ति, कविता दी।

Meena Bhardwaj ने कहा…

हृदयस्पर्शी और सटीक सृजन ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

बहुत सुंदर, वाह

Anuradha chauhan ने कहा…

सुंदर और सटीक सृजन आदरणीया

Madhulika Patel ने कहा…

शत्रु की मुस्कुराहट से मित्र की तनी हुई भौंहे अच्छी होती है
मूर्ख के साथ लड़ाई करने से उसकी चापलूसी भली होती है,,,,,।बहुत बढ़िया एवं सटीक अभिव्यक्ति ।

ANIL DABRAL ने कहा…

बहुत सुंदर रचना..... व्यंग्य के क्या कहने....

KUMMAR GAURAV AJIITENDU ने कहा…

sarthak post

Desi masala full masti ने कहा…

bhut achchhi jankariya btayi hai is post ke madhym se dhanywad aapka

Dr.Dayaram Aalok ने कहा…

"मूर्ख के साथ लड़ाई करने से उसकी चापलूसी भली होती है"-बहुत बढ़िया पंक्ति !