तिल-तिल जीने वाला हर दिन मरता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

तिल-तिल जीने वाला हर दिन मरता है


शत्रु की मुस्कुराहट से मित्र की तनी हुई भौंहे अच्छी होती है
मूर्ख के साथ लड़ाई करने से उसकी चापलूसी भली होती है

किसी कानून से अधिक उसके उल्लंघनकर्ता मिलते हैं
ऊँचे पेड़ छायादार अधिक लेकिन फलदार कम रहते हैं

पत्थर खुद भोथरा हो फिर भी छुरी को तेज करता है
मरियल घोड़ा भी हट्टे-कट्टे बैल से तेज दौड़ सकता है

पोला बांस बहुत अधिक आवाज करता है
जो जिधर झुकता है वह उधर ही गिरता है

आरम्भ के साथ उसका अंत भी चलता है
तिल-तिल जीने वाला हर दिन मरता है

... कविता रावत