शत्रु की मुस्कुराहट से मित्र की तनी हुई भौंहे अच्छी होती है
मूर्ख के साथ लड़ाई करने से उसकी चापलूसी भली होती है
किसी कानून से अधिक उसके उल्लंघनकर्ता मिलते हैं
ऊँचे पेड़ छायादार अधिक लेकिन फलदार कम रहते हैं
पत्थर खुद भोथरा हो फिर भी छुरी को तेज करता है
मरियल घोड़ा भी हट्टे-कट्टे बैल से तेज दौड़ सकता है
मरियल घोड़ा भी हट्टे-कट्टे बैल से तेज दौड़ सकता है
पोला बांस बहुत अधिक आवाज करता है
जो जिधर झुकता है वह उधर ही गिरता है
जो जिधर झुकता है वह उधर ही गिरता है
आरम्भ के साथ उसका अंत भी चलता है
तिल-तिल जीने वाला हर दिन मरता है
... कविता रावत
11 टिप्पणियां:
वाह, बहुत बढ़िया।
बिल्कुल ठीक कहा आपने कविता जी ।
बहुत सटिक अभिव्यक्ति, कविता दी।
हृदयस्पर्शी और सटीक सृजन ।
बहुत सुंदर, वाह
सुंदर और सटीक सृजन आदरणीया
शत्रु की मुस्कुराहट से मित्र की तनी हुई भौंहे अच्छी होती है
मूर्ख के साथ लड़ाई करने से उसकी चापलूसी भली होती है,,,,,।बहुत बढ़िया एवं सटीक अभिव्यक्ति ।
बहुत सुंदर रचना..... व्यंग्य के क्या कहने....
sarthak post
bhut achchhi jankariya btayi hai is post ke madhym se dhanywad aapka
"मूर्ख के साथ लड़ाई करने से उसकी चापलूसी भली होती है"-बहुत बढ़िया पंक्ति !
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