गर्मियों में तो सुबह-सबेरे घूूमना आम बात है। लेकिन जैसे ही बारिश का मौसम आता है, तो यदा-कदा ही जब मौसम थोड़ा-बहुत साफ हो तो तभी घूमना-घामना होता है। यूँ ही बात 4 अगस्त 2018 की है। उस दिन सुबह-सबेरे हम हमारे घर से थोड़ी दूर दक्षिण तात्या टोपे नगर के स्मार्ट सिटी बनाने के लिए खाली खंडहर पड़े सरकारी मकानों के बीच से होकर निकल रहे थे कि अचानक जमीन में गिरे तीन-चार टूटे केले के पेड़ों पर नजर पड़ी, जिनसे गुच्छे के गुच्छे केले जमीन पर बिखरे थे, जो कुछ पानी से भरे खड्ड में तो कुछ किनारे पड़े थे, जिनसे सैकड़ों छोटे-छोटे गेहूँ के जवारे जैसे पौधे निकले हुए थे। यह हमारे लिए बड़ी उत्सुकता और जिज्ञासा की बात थी। क्योंकि इससे पहले हमने कभी केले का बीज भी होता है, इसके बारे में यही सुना था कि केले का बीज नहीं होता है। हमने इन केले के बीज से उगे पौधों को एकत्र किया और कुछ अपने घर के बगीचे तो कुछ श्यामला हिल्स की पहाड़ी में स्थित जलेश्वर मंदिर में लगा लिए। चूंकि उस समय बारिश का मौसम था तो लगभग सभी पौधे आराम से लग गए।
हमारे लिए भले ही आज से पांच वर्ष पूर्व बीज वाला केला कौतूहल का विषय था, लेकिन आज जब हमारे लगाए उन पौधों पर बीज वाले केले आए है तो अब यह सभी मंदिर आने-जाने वाले लोगों के लिए भी कौतूहल व जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। इस बारे में 5 वर्ष पूर्व मिले केले के बीज से उगते पौधों का फोटो और आज केले के पेड़ से निकले बीज वाले केले का वीडियो हमने अपने यूट्यब चैनल में डाला है, आप भी एक बार जरूर देखें और इस बारे में अन्य लोगों को भी बताना न भूलें।
अब बात जब बीज वाले केले की है तो सबके मन में जिज्ञासा जागना लाज़मी है। इस विषय में अपना थोड़ा अनुभव बताती हूँ। केले की कई प्रजातियां बताई जाती है। इनमें बीज वाला केला भी एक है, जिसे कुछ लोग जंगली केले के नाम से जानते हैं। इसमें हमने एक ख़ास बात देखी कि जहाँ आम केले का पेड़ एक साल के अंदर ही फल दे देता है, वहीँ यह बीज वाला केले का पेड़ एक लम्बे अंतराल यानि ५ साल बाद ही फल देता है । इसकी ख़ासियत है कि इसकी जड़ों के कंद और बीज दोनों से पौधे उगते हैं। हमने तो इसे पहली बार देखा था तो जब खाने की कोशिश की तो सैकड़ों बीज होने और गूदा नाममात्र का होने से ऐसा लगा, जैसे मुंह में कंकड़ पत्थर ठूस लिए हों, हालाँकि ये बहुत ही स्वादिष्ट थे। इसमें काली मिर्च जैसे बीज थे, जो उससे भी ठोस थे। अब बात उन केलों की जिन्हें हम खाते हैं, उनमें दो-चार बीज जरूर होते हैं, लेकिन उनसे पौधे नहीं उगते हैं। उन्हें उगाने के लिए हमें उसकी जड़ कंद में उगे हुए पौधों से ही दूसरे पौधे उगाने होते हैं। एक बार जब किसी केले के पेड़ में फल आता है तो फिर वह मर जाता है, उसे काटकर अलग करना पड़ता है। लेकिन उससे पहले ही उसकी जड़ में लगभग चार-पांच पौधे उग आते हैं, जो वहीं पलते-बढ़ते हैं या फिर उन्हें दूसरी जगह लगाना होता हैं। जहाँ तक केले के पेड़ की उपयोगिता की बात है। यह एक बहुपयोगी पेड़ है। इसका फल ऊर्जा का भरपूर स्रोत तो है ही, इसके अलावा दक्षिण भारत में इसकी पत्तियों को खाना परोसने के लिए उपयोग में लाना आम बात है। कई क्षेत्रों में इसके तने से रेशा निकालकर उससे धागा बनाकर कपड़े और बैग भी बनाए जाते हैं।
...कविता रावत
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4 टिप्पणियां:
एकदम नई जानकारी। क्या ये बीज मिल सकते है, और क्या ये बीज उत्तराखंड की जलवायु मे उग पाएंगे ?
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 17 एप्रिल 2023 को साझा की गयी है
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 17 एप्रिल 2023 को साझा की गयी है
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बीज वाले केले के बारे में पहली बार सुना, रोचक जानकारी !
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