जहाँ उत्कृष्टता पाई जाती है वहाँ अभिमान आ जाता है।
अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है।।
अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है।।
बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंसारी बन बैठा।
अंधे के पांव तले बटेर आया वह शिकारी बन बैठा ।।
बन्दर बहुत ऊँचा चढ़ने पर अपनी दुम ज्यादा दिखाता है ।
ऊँची डींग हांकने वाला कभी कुछ करके नहीं दिखाता है ।
बन्दर को अधिकार मिला वह नदी प्रवाह के विरुद्ध तैरने चला ।
गधा पहाड़ पर क्या चढ़ा वह पहाड़ को छोटा समझने लगा ।।
अंडे से निकला चूज़ा वह उसे ही हिकारत से देखने चला।
वह घोड़े पर क्या सवार हुआ बाप पहचानना भूल गया ।।
पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है ।
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है।।
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है।
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है ।।
....कविता रावत
अंधे के पांव तले बटेर आया वह शिकारी बन बैठा ।।
बन्दर बहुत ऊँचा चढ़ने पर अपनी दुम ज्यादा दिखाता है ।
ऊँची डींग हांकने वाला कभी कुछ करके नहीं दिखाता है ।
बन्दर को अधिकार मिला वह नदी प्रवाह के विरुद्ध तैरने चला ।
गधा पहाड़ पर क्या चढ़ा वह पहाड़ को छोटा समझने लगा ।।
अंडे से निकला चूज़ा वह उसे ही हिकारत से देखने चला।
वह घोड़े पर क्या सवार हुआ बाप पहचानना भूल गया ।।
पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है ।
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है।।
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है।
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है ।।
....कविता रावत