जहाँ उत्कृष्टता पाई जाती है वहाँ अभिमान आ जाता है।
अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है।।
अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है।।
बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंसारी बन बैठा।
अंधे के पांव तले बटेर आया वह शिकारी बन बैठा ।।
बन्दर बहुत ऊँचा चढ़ने पर अपनी दुम ज्यादा दिखाता है ।
ऊँची डींग हांकने वाला कभी कुछ करके नहीं दिखाता है ।
बन्दर को अधिकार मिला वह नदी प्रवाह के विरुद्ध तैरने चला ।
गधा पहाड़ पर क्या चढ़ा वह पहाड़ को छोटा समझने लगा ।।
अंडे से निकला चूज़ा वह उसे ही हिकारत से देखने चला।
वह घोड़े पर क्या सवार हुआ बाप पहचानना भूल गया ।।
पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है ।
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है।।
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है।
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है ।।
....कविता रावत
अंधे के पांव तले बटेर आया वह शिकारी बन बैठा ।।
बन्दर बहुत ऊँचा चढ़ने पर अपनी दुम ज्यादा दिखाता है ।
ऊँची डींग हांकने वाला कभी कुछ करके नहीं दिखाता है ।
बन्दर को अधिकार मिला वह नदी प्रवाह के विरुद्ध तैरने चला ।
गधा पहाड़ पर क्या चढ़ा वह पहाड़ को छोटा समझने लगा ।।
अंडे से निकला चूज़ा वह उसे ही हिकारत से देखने चला।
वह घोड़े पर क्या सवार हुआ बाप पहचानना भूल गया ।।
पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है ।
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है।।
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है।
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है ।।
....कविता रावत
71 टिप्पणियां:
boht khub or sach
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है
Badee pate kee baat kahee hai!
कविता का संदेश प्रेरक है। जैसे अहंभाव से घमण्ड पैदा होता है वैसे ही विभ्रम मोह का परिणाम है।
बहुत ही बढि़या ...प्रेरणात्मक प्रस्तुति ।
अभिमान ही पतन का कारण होता है
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है
sarvsaty.........
bahut sundar prernadayi rachna..
बहुत अच्छा व्यंग्य लिए रचना ।
अपने विचारों से अवगत कराएँ !
अच्छा ठीक है -2
अभिमान ही जड़ है समस्त समस्यायों की...
पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है
..बिंदास रचना ..
फल भरी डाल सदा ही झुक जाती है।
गहरा व्यंग्य।
मौजूदा दौर में प्रासंगिक रचना।
बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंसारी बन बैठा
अंधे के पांव तले बटेर आया वह शिकारी बन बैठा ........................... बुद्धि और प्रेम कभी बर्बाद नहीं करते . अभिमान तो बस अधजल गगरी के समान है
पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है
.........
aapne to kamal ki baat kahi di ...aaj jameenon aur kamino ka hi jamana hai ..
sadar prastut
बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंसारी बन बैठा
अंधे के पांव तले बटेर आया वह शिकारी बन बैठा
बन्दर बहुत ऊँचा चढ़ने पर अपनी दुम ज्यादा दिखाता है
ऊँची डींग हांकने वाला कभी कुछ करके नहीं दिखाता है
.....
बन्दर राज और बन्दर बाँट ही आजकल जोर शोर से चल रहा है और दुम दिखाने वाले बंदरों की देश में कोई कमी नहीं लेकिन दुम खींचने की फौज भी कुछ कम नहीं...
व्यवस्था पर सटीक कथन ... बहुत आभार
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है
वाह --कविता और कहावतें ।
बहुत सुन्दर समागम है ।
Waah! Bahut kaam ki batein kahin aapne...
"घमंडी का सर नीचा "यह कहावत हैं भी याद है
वह बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति मेरा ऐसा मानना है कि भगवान ने घमंड तो राजा रावण का नहीं रखा तो यह इंसान क्या चीज़ है। मगर आपका लिखा भी बहुत खूब और सटीक है कि आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है।
समय मिले कभी तो आयेगा ज़रूर मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
♥
आदरणीया कविता रावत जी
सादर प्रणाम !
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है
:)
क्या बात है !
# अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है
रचना की सबसे ख़ूबसूरत पंक्ति !
प्रेरक विचारों की प्रस्तुति के लिए आभार !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंसारी बन बैठा
ऐसे पंसारी आज तो हर ओर विद्यमान हैं
सुन्दर भाव
अभिमान ऐसा फूल है जो शैतान की बगिया में उगता है....
वाह! वाह! अलग अंदाज की सार्थक रचना...
सादर...
आदमी प्रेम से नहीं
मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है ...
बिलकुल सही कहा ....बधाई
कविता के तेवर काबिले तारीफ हैं।
jabardast rachna.
sunder samagam.
सूक्तियों की नव-प्रस्तुति रोचक लगी!!
कविता जी जी
सुन्दर भाव
अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है
अशोक कुमार शुक्ला
स्व0 अमृता प्रीतम जी के निवास के25 हौज खास को बचाकर उसे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संजोने के लिये अनेक साहित्य प्रेमियों द्वारा माननीय राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य एवं दिल्ली सरकार से अनुरोध किया है। ऐसा विश्वास है कि इस मुहिम का असर अवश्य ही होगा । फिलहाल इस मुहिम में शामिल लोगों के प्रयासों का हाल लिंक के रूप में आप सबके साथ साझा कर रहा हूँ साथ ही यह भी उम्मीद करूँगा कि आप भी अपना अमूल्य सहयोग देकर इस मुहिम को आगे बढाते हुये महामहिम से इस प्रकरण में हस्तक्षेप का अनुरोध अवश्य करेंगें। कृपया एक पहल आप भी अवश्य करें यहाँ महामहिम राष्ट्रपति जी का लिंक यहां है ।!!!!
bahut khoob.har line me prerak sootr. vadhai.
कविता जी ..बहुत ही सही लिखा है आपने....शानदार।
ना था कुछ तो ख़ुदा था...कुछ ना होता तो ख़ुदा होता...
डुबोया मुझको होने ने...न होता गर तो क्या होता...
अभिमान मिथ्या है...अगर बच सको...
अभिमानी लोग अपना प्रभाव खो बैठते हैं !
शुभकामनायें आपको !
सभी पंक्तियाँ हकीकत से रूबरू कराती हुई !
बहुत सुन्दर ...
बधाई !
सच्ची बात सुनता कौन है
पढते सब हैं ,मानता कौन है ...? ईमानदारी भरा प्रयास ?
शुभकामनाएँ!
सही आंकलन,इंसानी फ़ितरत का.
aapne sahee likhaa hai
मेरी "मैं" ने
मुझ को मारा
ख्याल करो
तुम्हारी "मैं"
तुम्हें मारेगी
bas itnaa saa dhyaan kar lo
अंडे से निकला चूज़ा वह उसे ही हिकारत से देखने चला!
वह घोड़े पर क्या सवार हुआ बाप पहचानना भूल गया !!
..आजकल यही हालात हरतरफ नज़र आते है.....
पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है !
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है!!
...सही कहा ..बहुत ऊँचे है आज के समय में जमीनों और कमीनो के भाव.. और बढ़ते ही जा रहे है.....
सुन्दर रचना ..
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!
..बहुत दूर और बड़े पते के बात....
सच है ये अभीमान पतन से पहले अपने शबाब पर होता है.....बहुत सुन्दर
sahee likhaa hai aapne
saaree samasyaaon kee jad hai "main" "aham" ,
मेरी "मैं" ने
मुझ को मारा
ख्याल करो
तुम्हारी "मैं"
तुम्हें मारेगी
जहाँ उत्कृष्टता पाई जाती है वहाँ अभिमान आ जाता है!
अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है!!
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है
दूर की कौड़ियाँ समेट ली!!
बहुत सुन्दर बेजोड़ रचना..
लोकोक्तियों का कविता के माध्यम से अनुपम उपहार ...
बहुत आभार!!!
bahut sundar rachana prastuti...abhaar
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !बहुत सुन्दर.
अच्छी लगी रचना..
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!
सार्थक सन्देश देती अच्छी प्रस्तुति
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!
बहुत सुन्दर रचना..
लोकोक्तियों के माध्यम से बहुत अच्छा सन्देश दिया है आपने...
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!
..बहुत बढ़िया सन्देश दिया है ..
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!
सुंदर रचना के माध्यम से अच्छा सन्देश.
जी ऐसा व्यंग कभी कभी ही पढने को मिलता है।
बहुत सुंदर
ऊँची डींग हांकने वाला कभी कुछ करके नहीं दिखाता है !
बिल्कुल सही कहा है आपने ! बहुत ही सुन्दर, सटीक और सार्थक प्रस्तुती!
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!
...बहुत सटीक और प्रेरक प्रस्तुति..
सार्थक सन्देश देती अच्छी प्रस्तुति...
सुन्दर रचना !!
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए
manojbijnori12 .blogspot .कॉम
अगर पोस्ट सही लगे तो फोलोवर बनकर हमको मार्गदर्शित करे और हमारा उत्साह बढाए .
रावत जी आप की शुरुवाती और अंतिम कड़ी में बहुत दम है ! बिलकुल सच !सुन्दर व्यवहार ! बहुत बधाई
सुन्दर बहुत सटीक और प्रेरक प्रस्तुति.
सार्थक सन्देश देती अच्छी प्रस्तुति...
पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है !
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है!!
बहुत सटीक रचना
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है..
सच..सुन्दर सच और खरी बात..
दमदार सार्थक सन्देश देती सुंदर रचना बहुत अच्छी लगी..
बेहतरीन पोस्ट
मेरे नए पोस्ट पर आइये स्वागत है ...
Hi..
Pichhle kai maheene daure main guzrr. Ab main punah lauta hun to aapki yah kavita padhi..
Kavita kya lokoktiyon aur muhavaron ka sarthak sammishran kar aapne vyakti ke aham ka vishleshan kiya hai..
Nisandeh aapki kavita prashansneey aur prerak hai..yah kavita apne table par sheeshe ke neeche rakhne layak hai..
Aapka dhanyawad ki aapne hame humare aham ka parichay karaya..
Deepak Shukla..
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!
.....
very very nice
..
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है!!
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !
PRATYEK PANKTI EK SOOTRA KI TARAH JEEVNOPYOGI HAI.
पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है !
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है!!
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!
सच..सुन्दर सच और खरी बात..............
सटीक रचना
aham aur ahankaar
sambhavtah manushy kaa sabse badaa avgun hai
bahut saartha vichaar
बहुत ही बढि़या ...प्रेरणात्मक प्रस्तुति ।
आदरणीया कविता रावत जी को वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक बधाइयाँ...!
कविता जी ,आपकी यह कविता कर रही है कमाल
धोती को फाड फाड बना रही है सुन्दर रूमाल
अभिमान का भी ऐसा ही हश्र होना चाहिये.
नित गलाते जाएँ अंत जो हो वह सुखद होना चाहिये.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
वैवाहिक वर्षगाँठ की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ.
कविता जी,मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है.
हनुमान लीला पर अपने अमूल्य विचार और
अनुभव प्रस्तुत कर अनुग्रहित कीजियेगा.
आपको बहुत-बहुत बधाई!
हमारे साथ यह घटना 5 दिसम्बर को हुई थी!
बहुत ही बढि़या
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