अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है.... - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है....

जहाँ उत्कृष्टता पाई जाती है वहाँ अभिमान आ जाता है।
अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है।।

बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंसारी बन बैठा।
अंधे के पांव तले बटेर आया वह शिकारी बन बैठा ।।

बन्दर बहुत ऊँचा चढ़ने पर अपनी दुम ज्यादा दिखाता है ।
ऊँची डींग हांकने वाला कभी कुछ करके नहीं दिखाता है ।

बन्दर को अधिकार मिला वह नदी प्रवाह के विरुद्ध तैरने चला ।
गधा पहाड़ पर क्या चढ़ा वह पहाड़ को छोटा समझने लगा ।।

अंडे से निकला चूज़ा वह उसे ही हिकारत से देखने चला।
वह घोड़े पर क्या सवार हुआ बाप पहचानना भूल गया ।।

पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है ।
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है।।

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है।
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है ।।


....कविता रावत

71 टिप्‍पणियां:

Geeta ने कहा…

boht khub or sach

kshama ने कहा…

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है
Badee pate kee baat kahee hai!

मनोज कुमार ने कहा…

कविता का संदेश प्रेरक है। जैसे अहंभाव से घमण्ड पैदा होता है वैसे ही विभ्रम मोह का परिणाम है।

सदा ने कहा…

बहुत ही बढि़या ...प्रेरणात्‍मक प्रस्‍तुति ।

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

अभिमान ही पतन का कारण होता है

आशा बिष्ट ने कहा…

आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है
sarvsaty.........
bahut sundar prernadayi rachna..

Human ने कहा…

बहुत अच्छा व्यंग्य लिए रचना ।


अपने विचारों से अवगत कराएँ !
अच्छा ठीक है -2

अनुपमा पाठक ने कहा…

अभिमान ही जड़ है समस्त समस्यायों की...

vijay ने कहा…

पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है
..बिंदास रचना ..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

फल भरी डाल सदा ही झुक जाती है।

Atul Shrivastava ने कहा…

गहरा व्‍यंग्‍य।
मौजूदा दौर में प्रासंगिक रचना।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंसारी बन बैठा
अंधे के पांव तले बटेर आया वह शिकारी बन बैठा ........................... बुद्धि और प्रेम कभी बर्बाद नहीं करते . अभिमान तो बस अधजल गगरी के समान है

बेनामी ने कहा…

पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है

.........
aapne to kamal ki baat kahi di ...aaj jameenon aur kamino ka hi jamana hai ..
sadar prastut

बेनामी ने कहा…

बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंसारी बन बैठा
अंधे के पांव तले बटेर आया वह शिकारी बन बैठा
बन्दर बहुत ऊँचा चढ़ने पर अपनी दुम ज्यादा दिखाता है
ऊँची डींग हांकने वाला कभी कुछ करके नहीं दिखाता है
.....
बन्दर राज और बन्दर बाँट ही आजकल जोर शोर से चल रहा है और दुम दिखाने वाले बंदरों की देश में कोई कमी नहीं लेकिन दुम खींचने की फौज भी कुछ कम नहीं...
व्यवस्था पर सटीक कथन ... बहुत आभार

Arvind Mishra ने कहा…

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है

डॉ टी एस दराल ने कहा…

वाह --कविता और कहावतें ।
बहुत सुन्दर समागम है ।

Shah Nawaz ने कहा…

Waah! Bahut kaam ki batein kahin aapne...

Sunil Kumar ने कहा…

"घमंडी का सर नीचा "यह कहावत हैं भी याद है

Pallavi saxena ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Pallavi saxena ने कहा…

वह बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति मेरा ऐसा मानना है कि भगवान ने घमंड तो राजा रावण का नहीं रखा तो यह इंसान क्या चीज़ है। मगर आपका लिखा भी बहुत खूब और सटीक है कि आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है।
समय मिले कभी तो आयेगा ज़रूर मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…






आदरणीया कविता रावत जी
सादर प्रणाम !

जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है
:)
क्या बात है !

# अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है
रचना की सबसे ख़ूबसूरत पंक्ति !

प्रेरक विचारों की प्रस्तुति के लिए आभार !

बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार

M VERMA ने कहा…

बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंसारी बन बैठा
ऐसे पंसारी आज तो हर ओर विद्यमान हैं
सुन्दर भाव

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

अभिमान ऐसा फूल है जो शैतान की बगिया में उगता है....
वाह! वाह! अलग अंदाज की सार्थक रचना...
सादर...

Mamta Bajpai ने कहा…

आदमी प्रेम से नहीं
मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है ...
बिलकुल सही कहा ....बधाई

धीरेन्द्र सिंह ने कहा…

कविता के तेवर काबिले तारीफ हैं।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

jabardast rachna.

sunder samagam.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

सूक्तियों की नव-प्रस्तुति रोचक लगी!!

बेनामी ने कहा…

कविता जी जी
सुन्दर भाव
अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है
अशोक कुमार शुक्ला
स्व0 अमृता प्रीतम जी के निवास के25 हौज खास को बचाकर उसे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संजोने के लिये अनेक साहित्य प्रेमियों द्वारा माननीय राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य एवं दिल्ली सरकार से अनुरोध किया है। ऐसा विश्वास है कि इस मुहिम का असर अवश्य ही होगा । फिलहाल इस मुहिम में शामिल लोगों के प्रयासों का हाल लिंक के रूप में आप सबके साथ साझा कर रहा हूँ साथ ही यह भी उम्मीद करूँगा कि आप भी अपना अमूल्य सहयोग देकर इस मुहिम को आगे बढाते हुये महामहिम से इस प्रकरण में हस्तक्षेप का अनुरोध अवश्य करेंगें। कृपया एक पहल आप भी अवश्य करें यहाँ महामहिम राष्ट्रपति जी का लिंक यहां है ।!!!!

शूरवीर रावत ने कहा…

bahut khoob.har line me prerak sootr. vadhai.

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

कविता जी ..बहुत ही सही लिखा है आपने....शानदार।

Vaanbhatt ने कहा…

ना था कुछ तो ख़ुदा था...कुछ ना होता तो ख़ुदा होता...
डुबोया मुझको होने ने...न होता गर तो क्या होता...

अभिमान मिथ्या है...अगर बच सको...

Satish Saxena ने कहा…

अभिमानी लोग अपना प्रभाव खो बैठते हैं !
शुभकामनायें आपको !

Jeevan Pushp ने कहा…

सभी पंक्तियाँ हकीकत से रूबरू कराती हुई !
बहुत सुन्दर ...
बधाई !

अशोक सलूजा ने कहा…

सच्ची बात सुनता कौन है
पढते सब हैं ,मानता कौन है ...? ईमानदारी भरा प्रयास ?
शुभकामनाएँ!

मन के - मनके ने कहा…

सही आंकलन,इंसानी फ़ितरत का.

Nirantar ने कहा…

aapne sahee likhaa hai


मेरी "मैं" ने
मुझ को मारा
ख्याल करो
तुम्हारी "मैं"
तुम्हें मारेगी
bas itnaa saa dhyaan kar lo

RAJ ने कहा…

अंडे से निकला चूज़ा वह उसे ही हिकारत से देखने चला!
वह घोड़े पर क्या सवार हुआ बाप पहचानना भूल गया !!

..आजकल यही हालात हरतरफ नज़र आते है.....

पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है !
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है!!
...सही कहा ..बहुत ऊँचे है आज के समय में जमीनों और कमीनो के भाव.. और बढ़ते ही जा रहे है.....
सुन्दर रचना ..

बेनामी ने कहा…

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!
..बहुत दूर और बड़े पते के बात....

kanu..... ने कहा…

सच है ये अभीमान पतन से पहले अपने शबाब पर होता है.....बहुत सुन्दर

Nirantar ने कहा…

sahee likhaa hai aapne
saaree samasyaaon kee jad hai "main" "aham" ,

मेरी "मैं" ने
मुझ को मारा
ख्याल करो
तुम्हारी "मैं"
तुम्हें मारेगी

Surya ने कहा…

जहाँ उत्कृष्टता पाई जाती है वहाँ अभिमान आ जाता है!
अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है!!
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है
दूर की कौड़ियाँ समेट ली!!

Dolly ने कहा…

बहुत सुन्दर बेजोड़ रचना..
लोकोक्तियों का कविता के माध्यम से अनुपम उपहार ...
बहुत आभार!!!

समय चक्र ने कहा…

bahut sundar rachana prastuti...abhaar

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !बहुत सुन्दर.

Amrita Tanmay ने कहा…

अच्छी लगी रचना..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!

सार्थक सन्देश देती अच्छी प्रस्तुति

संध्या शर्मा ने कहा…

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!

बहुत सुन्दर रचना..
लोकोक्तियों के माध्यम से बहुत अच्छा सन्देश दिया है आपने...

pratibha ने कहा…

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!

..बहुत बढ़िया सन्देश दिया है ..

रचना दीक्षित ने कहा…

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!

सुंदर रचना के माध्यम से अच्छा सन्देश.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

जी ऐसा व्यंग कभी कभी ही पढने को मिलता है।
बहुत सुंदर

Urmi ने कहा…

ऊँची डींग हांकने वाला कभी कुछ करके नहीं दिखाता है !
बिल्कुल सही कहा है आपने ! बहुत ही सुन्दर, सटीक और सार्थक प्रस्तुती!

Kailash Sharma ने कहा…

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!

...बहुत सटीक और प्रेरक प्रस्तुति..

Maheshwari kaneri ने कहा…

सार्थक सन्देश देती अच्छी प्रस्तुति...

Manoj Kumar ने कहा…

सुन्दर रचना !!
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए
manojbijnori12 .blogspot .कॉम

अगर पोस्ट सही लगे तो फोलोवर बनकर हमको मार्गदर्शित करे और हमारा उत्साह बढाए .

G.N.SHAW ने कहा…

रावत जी आप की शुरुवाती और अंतिम कड़ी में बहुत दम है ! बिलकुल सच !सुन्दर व्यवहार ! बहुत बधाई

बेनामी ने कहा…

सुन्दर बहुत सटीक और प्रेरक प्रस्तुति.

बेनामी ने कहा…

सार्थक सन्देश देती अच्छी प्रस्तुति...

Rajput ने कहा…

पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है !
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है!!
बहुत सटीक रचना

रमेश शर्मा ने कहा…

आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है..
सच..सुन्दर सच और खरी बात..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

दमदार सार्थक सन्देश देती सुंदर रचना बहुत अच्छी लगी..
बेहतरीन पोस्ट
मेरे नए पोस्ट पर आइये स्वागत है ...

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..

Pichhle kai maheene daure main guzrr. Ab main punah lauta hun to aapki yah kavita padhi..

Kavita kya lokoktiyon aur muhavaron ka sarthak sammishran kar aapne vyakti ke aham ka vishleshan kiya hai..

Nisandeh aapki kavita prashansneey aur prerak hai..yah kavita apne table par sheeshe ke neeche rakhne layak hai..

Aapka dhanyawad ki aapne hame humare aham ka parichay karaya..

Deepak Shukla..

बेनामी ने कहा…

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!
.....
very very nice
..

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है!!
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !

PRATYEK PANKTI EK SOOTRA KI TARAH JEEVNOPYOGI HAI.

बेनामी ने कहा…

पतन से पहले इंसान में मिथ्या अभिमान आ जाता है !
जमीनों और कमीनों का भाव कभी कम नहीं होता है!!
अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है!
आदमी प्रेम से नहीं मिथ्या अभिमान से बर्बाद होता है !!

सच..सुन्दर सच और खरी बात..............
सटीक रचना

Nirantar ने कहा…

aham aur ahankaar
sambhavtah manushy kaa sabse badaa avgun hai

bahut saartha vichaar

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत ही बढि़या ...प्रेरणात्‍मक प्रस्‍तुति ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीया कविता रावत जी को वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक बधाइयाँ...!

Rakesh Kumar ने कहा…

कविता जी ,आपकी यह कविता कर रही है कमाल
धोती को फाड फाड बना रही है सुन्दर रूमाल
अभिमान का भी ऐसा ही हश्र होना चाहिये.
नित गलाते जाएँ अंत जो हो वह सुखद होना चाहिये.

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

वैवाहिक वर्षगाँठ की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ.

Rakesh Kumar ने कहा…

कविता जी,मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है.
हनुमान लीला पर अपने अमूल्य विचार और
अनुभव प्रस्तुत कर अनुग्रहित कीजियेगा.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपको बहुत-बहुत बधाई!
हमारे साथ यह घटना 5 दिसम्बर को हुई थी!

Unknown ने कहा…

बहुत ही बढि़या