जब प्रकृति हरी-भरी चुनरी ओढ़े द्वार खड़ी हो, वृक्षों, लताओं, वल्लरियों, पुष्पों एवं मंजरियों की आभा दीप्त हो रही हो, शीतल मंद सुगन्धित बयार बह रही हो, गली-मोहल्ले और चौराहे माँ की जय-जयकारों के साथ चित्ताकर्षक प्रतिमाओं और झाँकियों से जगमगाते हुए भक्ति रस की गंगा बहा रही हो, ऐसे मनोहारी उत्सवी माहौल में भला कौन ऐसा होगा जो भक्ति और शक्ति साधना में डूबकर माँ जगदम्बे का आशीर्वाद नहीं लेना चाहेगा।

आयुर्वेद में उपवास की व्याख्या इस प्रकार की गई है- ‘आहारं पचति शिखी दोषनाहारवर्जितः।‘ अर्थात् जीवनी-शक्ति भोजन को पचाती है। यदि भोजन न ग्रहण किया जाए तो भोजन के पचाने से मुक्त हुई जीवनी-शक्ति शरीर से विकारों को निकालने की प्रक्रिया में लग जाती है। श्री रामचरितमानस में भी कहा गया है- भोजन करिउ तृपिति हित लागी। जिमि सो असन पचवै जठरागी।।
नवरात्र-व्रत मौसम बदलने के अवसरों पर किए जाते हैं। एक बार जब ऋतु सर्दी से गर्मी की ओर और दूसरी बार तब जब ऋतु गर्मी से सर्दी की ओर बढ़ती है। साधारणतः यह देखा जाता है कि ऋतु परिवर्तन के इन मोड़ों पर अधिकतर लोग सर्दी जुकाम, बुखार, पेचिश, मल, अजीर्ण, चेचक, हैजा, इन्फ्लूएंजा आदि रोगों से पीडि़त हो जाते हैं। ऋतु-परिवर्तन मानव शरीर में छिपे हुए विकारों एवं ग्रंथि-विषों को उभार देता है। अतः उस समय उपवास द्वारा उनको बाहर निकाल देना न केवल अधिक सुविधाजनक होता है, बल्कि आवश्यक और लाभकारी भी। इस प्रकार नवरात्र में किया गया व्रत वर्ष के दूसरे अवसरों पर किए गए साधारण उपवासों से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्र व्रतों के समय साधारणतया संयम, ध्यान और पूजा की त्रिवेणी बहा करती है। अतः यह व्रत शारीरिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक सभी स्तरों पर अपना प्रभाव छोड़ जाता है और उपवासकर्ता को कल्याणकारी मार्ग की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा और क्षमता प्रदान करता है।
सभी धर्मावलम्बी, किसी न किसी रूप में वर्ष में कभी न कभी उपवास अवश्य रखते हैं। इससे भले ही उनकी जीवनी-शक्ति का जागरण न होता होगा किन्तु धार्मिक विश्वास के साथ वैज्ञानिक आधार पर विचार कर हम कह सकते हैं कि इससे लाभ ही मिलता है। उपवास का वास्तविक एवं आध्यात्मिक अभिप्राय भगवान की निकटता प्राप्त कर जीवन में रोग और थकावट का अंत कर अंग-प्रत्यंग में नया उत्साह भर मन की शिथिलता और कमजोरी को दूर करना होता है।
श्री रामचरितमानस में राम को शक्ति, आनंद और ज्ञान का प्रतीक तथा रावण को मोह, अर्थात अंधकार का प्रतीक माना गया है। नवरात्र-व्रतों की सफल समाप्ति के बाद उपवासकर्ता के जीवन में क्रमशः मोह आदि दुर्गुणों का विनाश होकर उसे शक्ति, आनंद एवं ज्ञान की प्राप्ति हो, ऐसी अपेक्षा की जाती है।
नवरात्र और दशहरा की शुभकामनाओं सहित!
...कविता रावत
48 टिप्पणियां:
सादर प्रणाम |
दशहरा ,नवरात्रि ,दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ|
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
बधाई
जयपुर न्यूज पर भी पधारेँ।
उपवास रहने से जीवन में शारीरिक विकारों का विनाश कर शरीर में शक्ति, आनंद की प्राप्ति होती है ,
नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
RECENT POST : पाँच दोहे,
जय माता दी
जय माता दी
नवरात्रि में आम लोग भी अपनी उपवास साधना के माध्यम से इन नौ दिन में माँ का ध्यान, पूजा-पाठ कर उन्हें प्रसन्न कर आशीर्वाद पाते हैं।
.......
सच कहा आपने अपने से जो बन पड़ता है आम लोग माँ की आराधना का माध्यम ढूंढ लेते हैं और उपवास को आम लोगों की साधना ही कहा जाएगा ......
नवरात्र पर सुन्दर आलेख .............
आपको परिवार सहित नवरात्र की शुभकामनायें
कविता जी ,उपवास रखने से शारीर के विकारों का नाश होता है ,पाचन क्रिया दुरुस्त होता है या तो ठीक है ,परन्तु लोग लो उपवास में दाल चावल रोटी को त्याग कर फल, मिठाई ,मीठा आलू (शक्कर कन्द) से पेट भर लेते है ,उनको कौन सा उपवास का लाभ मिलेगा ........इसे अगर उपवास कहे तो हर शाकाहारी प्राणी तो जिंदगी भर उपवास रखते है क्योकि वे दाल चावल रोटी कभी नहीं खाते | नवरात्री की व्याख्या आपने बढ़िया दिया है, नवरात्री की बहुत बहुत शुभकामनाएं |
latest post: कुछ एह्सासें !
नव रात्री के त्यौहार को देखने का नया वैज्ञानिक दृष्टि कोण भी है ये ... बदलते मौसम में पेट को आराम देना जरूरी है ... ओर आस्था के साथ इसको जोड़ के सहज ही हमारे पूर्वजों ने कल्याणकारी कार्य किया है ...
आपको नवरात्रि के पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...
संग्रहणीय आलेख
ज्ञानवर्द्धक रचना
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें
या तो के बदले... 'यह तो ठीक है परन्तु लोग तो 'पढ़ा जाय .
बहुत बढ़िया लिखा है..शुभकामनायें..
हार्दिक शुभकामनायें
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....बधाई
सार्थक और समयानुकूल पोस्ट कविता जी
नवरात्र-व्रत मौसम बदलने के अवसरों पर किए जाते हैं। एक बार जब ऋतु सर्दी से गर्मी की ओर और दूसरी बार तब जब ऋतु गर्मी से सर्दी की ओर बढ़ती है। साधारणतः यह देखा जाता है कि ऋतु परिवर्तन के इन मोड़ों पर अधिकतर लोग सर्दी जुकाम, बुखार, पेचिश, मल, अजीर्ण, चेचक, हैजा, इन्फ्लूएंजा आदि रोगों से पीडि़त हो जाते हैं। ऋतु-परिवर्तन मानव शरीर में छिपे हुए विकारों एवं ग्रंथि-विषों को उभार देता है। अतः उस समय उपवास द्वारा उनको बाहर निकाल देना न केवल अधिक सुविधाजनक होता है, बल्कि आवश्यक और लाभकारी भी
अध्यात्म और विज्ञान दोनों पक्षों को लेकर चला है यह आलेख सेहत सचेत सांस्कृतिक आध्यात्मिक थाती बनके .
नवरात्र-व्रत मौसम बदलने के अवसरों पर किए जाते हैं। एक बार जब ऋतु सर्दी से गर्मी की ओर और दूसरी बार तब जब ऋतु गर्मी से सर्दी की ओर बढ़ती है। साधारणतः यह देखा जाता है कि ऋतु परिवर्तन के इन मोड़ों पर अधिकतर लोग सर्दी जुकाम, बुखार, पेचिश, मल, अजीर्ण, चेचक, हैजा, इन्फ्लूएंजा आदि रोगों से पीडि़त हो जाते हैं। ऋतु-परिवर्तन मानव शरीर में छिपे हुए विकारों एवं ग्रंथि-विषों को उभार देता है। अतः उस समय उपवास द्वारा उनको बाहर निकाल देना न केवल अधिक सुविधाजनक होता है, बल्कि आवश्यक और लाभकारी भी
अध्यात्म और विज्ञान दोनों पक्षों को लेकर चला है यह आलेख सेहत सचेत सांस्कृतिक आध्यात्मिक थाती बनके .
सुंदर, सार्थक पोस्ट..... नवरात्री की शुभकामनयें
सभी धर्मावलम्बी, किसी न किसी रूप में वर्ष में कभी न कभी उपवास अवश्य रखते हैं। इससे भले ही उनकी जीवनी-शक्ति का जागरण न होता होगा किन्तु धार्मिक विश्वास के साथ वैज्ञानिक आधार पर विचार कर हम कह सकते हैं कि इससे लाभ ही मिलता है। उपवास का वास्तविक एवं आध्यात्मिक अभिप्राय भगवान की निकटता प्राप्त कर जीवन में रोग और थकावट का अंत कर अंग-प्रत्यंग में नया उत्साह भर मन की शिथिलता और कमजोरी को दूर करना होता है।
नवरात्री का यह स्वास्थयबर्धक लाभकारी लेख बहुत अच्छा प्रयास है
शुभ नवरात्री!!!!!!!
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति कविता जी,नवरात्री की शुभकामनयें।
नवरात्रि के अवसर पर नवीन नवीन विचारों से पूर्ण अच्छा लेख। आपको नवरात्रि की अनेकानेक शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर सार्थक पोस्ट..... नवरात्री की शुभकामनयें
ज्ञानवर्द्धक और संग्रहणीय पोस्ट .................
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!
शानदार और सराहनीय और संग्रहणीय पोस्ट ************
ज्ञान वर्धक लेख ,,,उपवास की महिमा और तब जब माँ अम्बे का स्नेह हो अति सुखकारी ..
जय माता दी
भ्रमर ५
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (10-10-2013) "दोस्ती" (चर्चा मंचःअंक-1394) में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Thanks. & Welcome to you.
आप सबको नवरात्रि के मनोहारी पर्व की शुभकामनायें।
अत्यंत ज्ञान वर्धक लेख
अगर इस समझ के साथ चीजें की जाएं तो कोई दिक्कत नहीं, दिक्कत ये है कि लोग ये नहीं समझ पाते, लकीर के फकीर की तरह ढकोसलावादी हो जाते हैं। आपको पढ़कर अच्छा लगा।
जानकारी से भरी हुई सुंदर प्रस्तुति...नवरात्र की शुभकामनाएं।।।
सार्थक पोस्ट,आपको नवरात्रि के मनोहारी पर्व की शुभकामनायें.
नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं
उपवास संयम और नव रात्रि के नौं दिन के सन्दर्भ की
बेहतरीन जानकारी
सार्थक आलेख
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है
पीड़ाओं का आग्रह---
सुंदर और मनोहारी प्रस्तुति ,मेरे भी ब्लॉग पर आये
दीपावली की सुभकामनाए
रोचक, ज्ञानवर्धक आलेख.
ज्ञानवर्धक आलेख.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (12-10-2018) को "सियासत के भिखारी" (चर्चा अंक-3122) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
नवरात्रि शुभ हो।
सराहनीय लेख लिखा आपने कविता जी आपको नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर ज्ञानवर्धक आलेख..
नवरात्रि की शुभकामनाएं...
मौसम के बदलाव के साथ आने वाला ये त्यौहार प्रकृति के साथ सामजस्य बैठाने का प्रयास भी है ... व्रत रखना भी एक नियंत्रण रखना है खुद पे ... फिर सामाजिक भूमिका भी है इस त्यौहार की ... कन्या पूजन मन में नारी के प्रति पुरुष के भाव बदल सके तो इसका सार्थक महत्त्व है ...
खुबसुरत व सटीक लेख
हद पार इश्क
धाराप्रवाहता लिये सुंदर लेख, उपवास का बदलते मौसम के साथ वैज्ञानिक महत्व बहुत सटीक और ज्ञान वर्धक।
बहुत सुंदर और विचारणीय आलेख,कविता दी। नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।
सुंदर और जानकारियों से भरा आलेख
उपवास (विशेषकर नवरात्री के) का वैज्ञानिक विवेचन बहुत सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया है। नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें।
nice post, माता की कृपा हम सब पर हमेशा बनी रहे, नवरात्री की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
Aapne navratri ke baare me bahut achhi jankari share ki hai
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