विवशता में फायदे का सौदा नहीं किया जा सकता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

गुरुवार, 30 जनवरी 2014

विवशता में फायदे का सौदा नहीं किया जा सकता है

विवशता की हालत में कोई नियम लागू नहीं होता है।
कीचड़ में फँसे हाथी को कौआ भी चोंच मारता है।।

कुँए में गिरे शेर को बंदर भी आँखें दिखाता है।
उखड़े हुए पेड़ पर हर कोई कुल्हाड़ी मारता है।।

मुसीबत में फँसा शेर भी लोमड़ी बन जाता है।
मजबूरी के आगे किसी का जोर नहीं चलता है।।

विवशता नई सूझ-बूझ को जन्म देती है।
विवशता लोहे के सलाखों को तोड़ सकती है।।

विवशता में ईमानदार भी धूर्त  बन जाता है।
विवशता कायर को भी शूरवीर बना सकता है।।

जरूरत पड़ने पर गधे को भी बाप बनाना पड़ता है।
विवशता में फायदे का सौदा नहीं किया जा सकता है।।

....  कविता रावत