शत्रु की मुस्कुराहट से मित्र की तनी हुई भौंहे अच्छी होती है
मूर्ख के साथ लड़ाई करने से उसकी चापलूसी भली होती है
किसी कानून से अधिक उसके उल्लंघनकर्ता मिलते हैं
ऊँचे पेड़ छायादार अधिक लेकिन फलदार कम रहते हैं
पत्थर खुद भोथरा हो फिर भी छुरी को तेज करता है
मरियल घोड़ा भी हट्टे-कट्टे बैल से तेज दौड़ सकता है
मरियल घोड़ा भी हट्टे-कट्टे बैल से तेज दौड़ सकता है
पोला बांस बहुत अधिक आवाज करता है
जो जिधर झुकता है वह उधर ही गिरता है
जो जिधर झुकता है वह उधर ही गिरता है
आरम्भ के साथ उसका अंत भी चलता है
तिल-तिल जीने वाला हर दिन मरता है
... कविता रावत
वाह, बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteबिल्कुल ठीक कहा आपने कविता जी ।
ReplyDeleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-10-2020 ) को "उस देवी की पूजा करें हम"(चर्चा अंक-3860) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
बहुत सटिक अभिव्यक्ति, कविता दी।
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी और सटीक सृजन ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर, वाह
ReplyDeleteसुंदर और सटीक सृजन आदरणीया
ReplyDeleteशत्रु की मुस्कुराहट से मित्र की तनी हुई भौंहे अच्छी होती है
ReplyDeleteमूर्ख के साथ लड़ाई करने से उसकी चापलूसी भली होती है,,,,,।बहुत बढ़िया एवं सटीक अभिव्यक्ति ।
बहुत सुंदर रचना..... व्यंग्य के क्या कहने....
ReplyDeletesarthak post
ReplyDeletebhut achchhi jankariya btayi hai is post ke madhym se dhanywad aapka
ReplyDelete"मूर्ख के साथ लड़ाई करने से उसकी चापलूसी भली होती है"-बहुत बढ़िया पंक्ति !
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