भाग्य कुछ भी दान नहीं; उधार देता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शनिवार, 18 सितंबर 2010

भाग्य कुछ भी दान नहीं; उधार देता है


गम का एक दिन हँसी-ख़ुशी के एक महीने से भी लम्बा होता है
दुःखी आदमी का समय हमेशा बहुत धीरे-धीरे बीतता है !

जो दर्द के मारे जागता रहे उसकी रात बहुत लम्बी होती है
हल्की व्यथा बताना सरल है पर गहरी व्यथा मूक रहती है!

बड़े-बड़े दुःख के आने पर आदमी छोटे-छोटे दुखों को भूल जाता है
पहले से भीगा हुआ आदमी वारिश को महसूस नहीं करता है!

हँसी-ख़ुशी कभी टिक कर नहीं वह तो पंख लगाकर उड़ जाती है
सुखभरी मधुर घड़ियाँ बड़ी जल्दी-जल्दी बीत जाया करती है!

ऐसा कोई आदमी नहीं जो दुःख व रोग से अछूता रह पाता है
भाग्य हमें कुछ भी दान नहीं देता वह तो केवल उधार देता है!

.....कविता रावत