प्रकृति के आनन्द का अतिरेक है वसंत। Spring is an abundance of nature's joy - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

प्रकृति के आनन्द का अतिरेक है वसंत। Spring is an abundance of nature's joy

व्रत ग्रंथों और पुराणों में असंख्य उत्सवों का उल्लेख मिलता है। ‘उत्सव’ का अभिप्राय है आनन्द का अतिरेक। ’उत्सव’ शब्द का प्रयोग साधारणतः त्यौहार के लिए किया जाता है। उत्सव में आनन्द का सामूहिक रूप समाहित है। इसलिए उत्सव के दिन साज-श्रृंगार, श्रेष्ठ व्यंजन, आपसी मिलन के साथ ही उदारता से दान-पुण्य किये जाने का प्रचलन भी है। वसंत इसी श्रेणी में आता है।
        ’वसन्त्यस्मिन् सुखानि।’ अर्थात् जिस ऋतु में प्राणियों को ही नहीं, अपितु वृक्ष, लता आदि का भी आह्लादित करने वाला मधुरस प्रकृति से प्राप्त होता है, उसको वसन्त कहते हैं। वसंत प्रकृति का उत्सव है, अलंकरण है। इसीलिए इसे कालिदास ने इसका अभिनंदन ’सर्वप्रिये चारुतरं वसन्ते’ कहकर किया है।
          माघ शुक्ल पंचमी को मनाये जाने वाले इस त्यौहार को ‘श्री’ पंचमी भी कहते हैं, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन के समय श्री (लक्ष्मी) का अवतरण हुआ। यह दिन श्रावणी से आरम्भ होने वाले वैदिक शिक्षा के सत्र का समापन तथा नए शिक्षा का प्रारम्भ दिन माना गया है। एक कथानुसार यह सरस्वती का प्रकट होने का दिन भी है। इस दिन सरस्वती का पूजन किया जाता है। इस प्रकार वसंत पंचमी शक्ति के दो माधुर्यपूर्ण रूपों-लक्ष्मी तथा सरस्वती की जयंती है।
वसंत न केवल भारत, अपितु समूचे विश्व को पुलकित करता है। इस समय धरती से लेकर आसमान का वातावरण उल्लासपूर्ण हो जाता है। प्रकृति की विचित्र देन है कि वसंत में बिना वर्षा के ही वृक्ष, लता आदि पुष्पित होते हैं। कचनार, चम्पा, फरथई, कांकर, कवड़, महुआ आम और अत्रे के फूल धरा के आंचल को ढ़क लेते हैं। पलाश तो ऐसा फूलता है मानों धरती माता के चरणों में कोटि-कोटि सुमनांजलि अर्पित करने को आतुर हो। सरसों वासन्ती रंग के फूलों से लदकर मानों वासन्ती परिधान धारण कर लेती है। घने रूप में उगने वाले कमल के फूल जब वसंत ऋतु में अपने पूर्ण यौवन के साथ खिलते है, तब जलाशय के जल को छिपाकर वसन्त के ’कुसुमाकार’ नाम को सार्थक करते हैं। आमों पर बौर आने लगते हैं। गुलाब, हारसिंगार, गंधराज, कनेर, कुन्द, नेवारी, मालती, कामिनी, कर्माफूल के गुल्म महकते हैं तो रंजनीगंधा, रातरानी, अनार, नीबू, करौंदों के खेत ऐसे लहरा उठते हैं, मानों किसी ने हरी और पीली मखमल बिछा दी हो। ’मादक महकती वासंती बयार’ में मोहक रस पगे फूलों की बहार में, भौरों का गंुजन और कोयल की कूक मानव हृदय को उल्लास से भर देती है।         
वसंत में नृत्य-संगीत, खेलकूद प्रतियोगिताएं तथा पतंगबाजी का विशेष आकर्षण होता है। ‘हुचका, ठुमका, खैंच और ढ़ील के चतुर्नियमों में जब पेंच बढ़ाये जाते हैं तो देखने वाले रोमांचित हो उठते हैं। ऐसे में अकबर इलाहाबादी की उक्ति “करता है याद दिल को उड़ाना पंतग का।“ सार्थक हो उठती है। वसंत पंचमी के दिन जब आम जनमानस पीले वस्त्र धारण कर, वसन्ती हलुआ, पीले चावल और केसरिया खीर का आनंद लेकर उल्लास से भरी होती है, तब सुभद्राकुमारी चैहान देशभक्तों से पूछती है- 
वीरों का कैसा हो वसन्त?
फूली सरसों ने दिया रंग
मधु लेकर आ पहुंचा अनंग
वधु-वसुधा पुलकित अंग-अंग
है वीर देश में किन्तु कंत
वीरों का कैसा हो वसन्त?

24 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर

Amrita Tanmay ने कहा…

अति सुंदर ...बसंती रंग बिखेर दिया ...

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

अति रमणीय।

Unknown ने कहा…

आया वसंत झूम के .........
छकि, रसान सौरभ सने, मधुर माधवी गंध. ठौर-ठौर झूमत झपट, भौंर -भौंर मधु-अंध.


बहुत सुन्दर ...

Alaknanda Singh ने कहा…

bahut sundar vivaran ke sath vasant ki shubhkamnayen

nayee dunia ने कहा…

बसंती रंग लिए सुन्दर आलेख।

Dr ajay yadav ने कहा…

सुंदर रचना ,बसंत की खुसबू से भरी|

Bharti Das ने कहा…

वसंत पंचमी की अनंत शुभकामनाये, बहुत सुन्दर बसंती आलेख

Unknown ने कहा…

प्रकृति जैसे रंग बिखेरता है वैसा इंसान के लिए असंभव है .....बसंत में प्रकृति की छटा देखने लायक होती है ..................बसंत का सुन्दर वर्णन

Surya ने कहा…

अति सुन्दर ....
बसंत पंचमी की ढेरों शुभकामना!!!

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन तुष्टिकरण के लिए देश-हित से खिलवाड़ उचित नहीं - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बसंत और विशेष बसंत पंचमी का महत्त्व लगभग पूरे भारत में ही है ... माँ सरसवती की कृपा तो हर कोई चाहता है ...
आपके ऊपर तो वैसे भी माँ सरस्वती का हाथ सदा से ही है... तभी तो इतने रोचक और सुंदर पोस्ट पढने को मिलते हैं ... बहुत बहुत शुभकामनायें ...

Unknown ने कहा…

सुन्दर आलेख । बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ ।

मेरी २००वीं पोस्ट में पधारें-

"माँ सरस्वती"

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बसंत पंचमी की ढ़ेर सारीशुभकामनाएँ। सुंदर प्रस्तुति।

Madhulika Patel ने कहा…

कविता जी आपका लिखा बासंतीमय लेख इतना सुंदर है कि पढते पढते मन महकने लगा.

जमशेद आज़मी ने कहा…

बहुत ही सुंदर लेख की प्रस्तुति। सच है कि वसंत प्रकृति का उत्सव है। शायद वसंत पतझड़ से पहले इसलिए आता है कि हम पतझड़ की बोझिलता को झेलने के लिए दिमागी रूप से परिपक्व हो सकें।

Himkar Shyam ने कहा…

बहुत सुंदर आलेख

iBlogger ने कहा…

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महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

मोहक बासंती रंगों से सज्जित मनभावन आलेख ।

बधाई एवं शुभकामनाएं ।

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति.....बहुत बहुत बधाई.....

रमता जोगी ने कहा…

मेरा डांडी कांठी कु मुलुक ऐई, बसंत ऋतू माँ ऐई.... बहुत सुन्दर कविता जी।

अनूप शुक्ल ने कहा…

बढिया पोस्ट !

Unknown ने कहा…

अति सुन्दर ....

Anuradha chauhan ने कहा…

बसंत की सुखद अनुभूति देता खूबसूरत लेख👌👌👌👌