गरीब, कमजोर पर हर किसी का जोर चलने लगता है! - Kavita Rawat Blog, Kahani, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

गरीब, कमजोर पर हर किसी का जोर चलने लगता है!


स्वर्ण लदा गधा किसी भी द्वार से प्रवेश कर सकता है।
शैतान से न डरने वाला आदमी धनवान बन जाता है ।।

अक्सर धन ढेर सारी त्रुटियों में टांका लगा देता है । 
गरीब मामूली त्रुटि के लिए जिंदगी भर पछताता है ।। 

यदि धनवान को काँटा चुभे तो सारे शहर को खबर होती है। 
निर्धन को साँप भी काटे तो भी कोई खबर नहीं पहुँचती है ।। 

अक्सर गरीब की जवानी और पौष की चांदनी बेकार जाती है । 
गर आसमान से बला उतरी तो वह गरीब के ही घर घुसती है ।।

गरीबी के दरवाजे पर दस्तक देते ही प्रेम खिड़की से कूद जाता है। 
निर्धन सुंदरी को प्रेमी बहुत लेकिन कोई पति नहीं मिल पाता है ।। 

गरीब, कमजोर पर हर किसी का जोर चलने लगता है! 
अमीरों की बजाई धुन पर गरीबों को नाचना पड़ता है!!


......कविता रावत

78 टिप्‍पणियां:

  1. अति सुन्दर व प्रभावी रचना.

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  2. गरीब, कमजोर पर हर किसी को जोर चलने लगता है!
    अमीरों की बजाई धुन पर गरीबों को नाचना पड़ता है!!
    ............
    इसको कोई नहीं झूठला सकता है की हर कोई गरीब और कमजोर आदमी को दबाने की फ़िराक में रहता है और गरीब के बिना तो अमीरों का कोई अपना अस्तित्व है ही नहीं...नाचना भले ही गरीबों को पड़ता है..
    ..लाजवाब रचना के लिए शुक्रगुजार हैं...

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  3. कविता जी , गरीब और गरीबी पर बहुत सी कहावतें और मुहावरे बने हैं , जैसे :

    " गरीबी में आटा गीला "
    " गरीब की जोरू सबकी भाभी "
    " रेशम में टाट का पैबंद "
    आदि आदि !
    कोई आश्चर्य नहीं कि स्वामी राम तीर्थ ने गरीबी को एक पाप कहा था !
    कुदरत का कहर भी गरीबों पर ही टूटता है !
    बढ़िया आलेख !

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  4. गरीब, कमजोर पर हर किसी को जोर चलने लगता है!
    अमीरों की बजाई धुन पर गरीबों को नाचना पड़ता है!!.....सुन्दर व प्रभावी रचना.

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  5. गरीबी के दरवाजे पर दस्तक देते ही प्रेम खिड़की से कूद जाता है।
    निर्धन सुंदरी को प्रेमी बहुत लेकिन कोई पति नहीं मिल पाता है ।।
    ...एकदम सही कहा आपने.... सबकी निगाह जो उसपर होती है,,कोई देखने वाला जो नहीं होता है उसका...
    बहुत बढ़िया विचारणीय रचना के लिए आभार!!!!

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  6. बेनामी12:18

    गरीब, कमजोर पर हर किसी का जोर चलने लगता है!
    अमीरों की बजाई धुन पर गरीबों को नाचना पड़ता है!!
    ..मजबूरी जो बन जाती है नाचने की .....पेट के लिए गरीब करे भी तो क्या करे..
    सुन्दर प्रभावपूर्ण रचना....

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  7. नाद करती हुई रचना..

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  8. यदि धनवान को काँटा चुभे तो सारे शहर को खबर होती है।
    निर्धन को साँप भी काटे तो भी कोई खबर नहीं पहुँचती है ।।
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें

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  9. यदि धनवान को काँटा चुभे तो सारे शहर को खबर होती है।
    निर्धन को साँप भी काटे तो भी कोई खबर नहीं पहुँचती है ।।
    अक्सर गरीब की जवानी और पौष की चांदनी बेकार जाती है ।
    गर आसमान से बला उतरी तो वह गरीब के ही घर घुसती है ।।
    Sachhayee bayaan kartee huee sashakt panktiyan!

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  10. सच्चाई को ब्यान करती सार्थक प्रस्तुति....

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  11. यदि हृदयों में मानवता हो तो ग़रीबी इतना बड़ा अभिशाप न रह जाए. सुंदर कविता.

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  12. यथार्थ को दर्शाती हुई रचना ..

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  13. स्वर्ण लदा गधा किसी भी द्वार से प्रवेश कर सकता है।
    शैतान से न डरने वाला आदमी धनवान बन जाता है ।।क्या सच्ची बात कही है, बहुत बढ़िया ...

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  14. गरीबी के दरवाजे पर दस्तक देते ही प्रेम खिड़की से कूद जाता है।
    निर्धन सुंदरी को प्रेमी बहुत लेकिन कोई पति नहीं मिल पाता है ।।

    गरीब को अक्सर वक़्त की चक्की मे पिसना पड़ता है।

    सादर

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  15. यदि धनवान को काँटा चुभे तो सारे शहर को खबर होती है।
    सच तो यही है

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  16. बहुत सुन्दर, सार्थक प्रस्तुति| धन्यवाद|

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  17. क्या बात कही है. एक एक शब्द सटीक, सत्य, यथार्थ.

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  18. एहसासों से भरी एक कढवी सच्चाई .....!!!
    शुभकामनाएँ!

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  19. जीवन का यथार्थ और अनुभवों का निचोड़ समाया है इनमें!!

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  20. गरीबी अमीरी को रेखांकित करती सुन्दर पंक्तियाँ. आपने सही लिखा है. आभार !

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  21. कढवी सच्चाई को दर्शाती हुई रचना ..
    सादर....

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  22. शायद ऐसा सदैव होता रहा है और होता रहेगा. सच्चाई को सहजता से उतरा है कविता में. बहुत सुंदर.

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  23. आपकी प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  24. याथार्थवादी चित्रण।
    मौजूदा दौर में लोगों की मानसिकता का बेहतर प्रस्‍तुतिकरण।

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  25. सामाजिक विषमता का सही चित्र आपकी कविता से झलकता है |मन को छू गई आपकी कविता | धन्यवाद |

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  26. सार्थक व सटीक लेखन ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  27. बहुत सही एक कडवी सच्चाई को उजागर करती रचना जिसमे आप सफल रही हैं आगे भी ये सफ़र जारी रहना चाहिए हार्दिक शुभ कामनाएं

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  28. सही है समरथ को नही दोष गोसाई को विस्तार दे दिया आपने विचारणीय रचना

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  29. bahut hi satik tarike se chitrit kiya hai garib aaur garibi ko aapne..shaandar rachna ke liye sadar badhayee aaur amantran ke sath

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  30. वाह कविता जी !
    आपकी रचना की हर एक पंक्ति कटु यथार्थ की सार्थक अभिव्यक्ति है |

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  31. बहुत ही अच्छी और भावपूर्ण रचना,बधाई!

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  32. बेनामी15:07

    गरीबी के दरवाजे पर दस्तक देते ही प्रेम खिड़की से कूद जाता है।
    निर्धन सुंदरी को प्रेमी बहुत लेकिन कोई पति नहीं मिल पाता है ।।
    गरीब, कमजोर पर हर किसी का जोर चलने लगता है!
    अमीरों की बजाई धुन पर गरीबों को नाचना पड़ता है!!

    ......गरीबी और अमीरी सुन्दर प्रभावपूर्ण ढंग से यथार्थ चित्रण पढ़कर मन में हलचल मचने लगी है...
    बहुत बहुत शुक्रिया आपका ...

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  33. गरीबी के दरवाजे पर दस्तक देते ही प्रेम खिड़की से कूद जाता है।

    आधुनिक प्रेम की बिलकुल ठीक परिभाषा दी आपने

    आँखें खोलने वाली पोस्ट आभार

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  34. गरीब, कमजोर पर हर किसी का जोर चलने लगता है!
    nice post kuchh bhee ho dil par har kisi kaa raaz nahee hotaa

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  35. निर्धन सुंदरी को प्रेमी बहुत लेकिन कोई पति नहीं मिल पाता है ।। hakikat bayan aapne ki hai. Achhi kavita.

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  36. बेनामी13:36

    निर्धन को साँप भी काटे तो भी कोई खबर नहीं पहुँचती है ।।
    अक्सर गरीब की जवानी और पौष की चांदनी बेकार जाती है ।
    ....
    अमीरी-गरीबी की यथार्थ भरी प्रस्तुति बहुत बढ़िया लगी...

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  37. अति सुन्दर रचना.

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  38. बेनामी13:54

    बहुत बढ़िया संकलन..

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  39. अक्सर धन ढेर सारी त्रुटियों में टांका लगा देता है ।
    गरीब मामूली त्रुटि के लिए जिंदगी भर पछताता है ।।

    बहुत सुन्दर कटु यथार्थ की सार्थक अभिव्यक्ति ..आभार........

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  40. गरीब, कमजोर पर हर किसी का जोर चलने लगता है!
    अमीरों की बजाई धुन पर गरीबों को नाचना पड़ता है!!
    ...
    अमीर-गरीब की तुलनात्मक रचना पढना अच्छा लगा... इसमें कोई संदेह नहीं की गरीब अमीरों की धुन पर नाचने के लिए हमेशा से ही नाचता आया है..
    सुन्दर पोस्ट के लिए धन्यवाद ...........

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  41. सचाई छिपी है इन बातों में ... सूक्तियां हैं ये ... जीवन का सत्य ... पैसे की नाय अपरम्पार होती है ...

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  42. एक एक शब्द सत्य,
    यथार्थ की सार्थक अभिव्यक्ति

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  43. बिल्कुल यथार्थ.

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  44. "अक्सर धन ढेर सारी त्रुटियों में टांका लगा देता है ।
    गरीब मामूली त्रुटि के लिए जिंदगी भर पछताता है ।।"


    एकदम सही कहा आपने....
    धन के बल पर कुछ भी किया जा सकता है...
    सारे दुर्गुण छुपाये जा सकते हैं...जिन्दगी के सारे रिश्ते,सारे एहसास,साथ ही आंसू पोछने वाले भी आसानी से मिल जाते हैं..बस,साथ में स्वर्ण लदा गधा ज़रूर होना चाहिए.....!!

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  45. सच्चाई को आपने बड़े ही खूबसूरती से शब्दों में पिरूया है ! शानदार पोस्ट!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  46. सुन्दर, सार्थक प्रस्तुति.बधाई!

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  47. बेनामी13:25

    अमीरों की बजाई धुन पर गरीबों को नाचना पड़ता है!! सुन्दर प्रस्तुति !
    सार्थक अभिव्यक्ति !!!

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  48. बेनामी15:29

    गरीब, कमजोर पर हर किसी को जोर चलने लगता है!
    ...सुन्दर व प्रभावी रचना.

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  49. आज के दौर में खरी बात कही आपने...

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  50. गरीबी के दरवाजे पर दस्तक देते ही प्रेम खिड़की से कूद जाता है।
    sunder bhav aur sachchai batati kavita
    badhai
    rachana

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  51. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  52. sundar rachna..bahut sahi baat likha hai apne..

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  53. बेनामी09:28

    अमीरों की बजाई धुन पर गरीबों को नाचना पड़ता है!! सुन्दर प्रस्तुति !
    खरी बात ...
    सार्थक अभिव्यक्ति !

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  54. बहुत सुन्दर व प्रभावी रचना....

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  55. sahi hai garibon ki do joon ki roti bhi bhaari....aabhar...

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  56. लोकोक्तियों के सुन्दर समागम से सार्थक और प्रभावपूर्ण रचना बन पड़ी है...

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  57. आपसे जुड़ कर और इन संवेदनाओं ,से जुड़ कर बहुत अच्छा लगा .सच की यही प्रखरता आपकी लेखनी को सतत ऊर्जा देती रहे .
    दीपावली की हार्दिक शुभ-कामनायें !

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  58. बेनामी14:13

    स्वर्ण लदा गधा किसी भी द्वार से प्रवेश कर सकता है।
    शैतान से न डरने वाला आदमी धनवान बन जाता है ।।
    ..very good...

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  59. कविता जी यथार्थ झलका कविता में सच में भोपाल गैस त्रासदी ने आप के महसूस करने की शक्ति को चरम पर पहुंचा दिया ...गजब की अनुभूति ..बधाई हो
    भ्रमर ५

    गरीबी के दरवाजे पर दस्तक देते ही प्रेम खिड़की से कूद जाता है।
    निर्धन सुंदरी को प्रेमी बहुत लेकिन कोई पति नहीं मिल पाता है ।।

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  60. बेनामी16:14

    बहुत ही सत्य को प्रस्तुत करती कविता लिखी है आपने.
    गरीबी का आपने बिल्कुल सही वर्णन किया है.
    सत्य है, आपको हार्दिक धन्यवाद.

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  61. बेनामी08:58

    very nice hindi blog..

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  62. हर पंक्ति एक उक्ति की तरह है. हर पंक्ति पहली पंक्ति से बेहतर है.झकझोरती हुई अच्छी कृति

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  63. निर्धन सुंदरी को प्रेमी बहुत लेकिन कोई पति नहीं मिल पाता है ।।
    बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  64. कविता जी बेहतरीन अभिव्यक्ति है । हर एक पंक्ति अक्षरसः सत्य है ।

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  65. sahi kaha aapne...yah ek kadwa sach h...

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  66. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  67. बहुत अच्छे ..यहाँ बहुत से पाठकों ने बहुत सी टिपण्णीयां की है ..मैं बस ये पूछना चाहता हूँ की कितने पाठक गरीबी के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे रहे है ..अगर नहीं तो मैं गलत जगह हूँ..और अगर यहाँ ऐसे पाठक है तब मैं भी उनके साथ आना चाहता हूँ!
    प्रतीक त्यागी
    pratiktyagi1@gmail.com

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  68. माफ़ी चाहूँगा आप सभी से लेकिन इस प्रस्तुति के पीछे एक मकसद जरुर होगा लेखक का जिसे वो हम सभी तक पहुँचाना चाहते है ..ये प्रस्तुति सिर्फ टिप्पणियों की मोहताज नहीं है ..

    जो इस मकसद के लिए कार्य करना चाहता है वो मुझे लिखे ..
    pratiktyagi1@gmail.com

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