गधा दूसरों की चिन्ता से अपनी जान गंवाता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

गुरुवार, 5 दिसंबर 2024

गधा दूसरों की चिन्ता से अपनी जान गंवाता है



आदमी काम से नहीं चिन्ता से जल्दी मरता है
गधा दूसरों की चिन्ता से अपनी जान गंवाता है

धन-सम्पदा चिन्ता और भय अपने साथ लाती है
धीरे-धीरे कई चीजें पकती तो कई सड़ जाती है

विपत्ति के साथ आदमी में सामर्थ्य भी आता है
सावधानी के कारण आत्मविश्वास आ जाता है

लगातार प्रहार से मजबूत पेड़ भी गिर जाता है
रेत पर नहीं पत्थर पर लिखा चिरस्थायी होता है

आग से खेलने वालों के हाथ राख ही लगती है
ईश्वर की चक्की धीरे-धीरे पर महीन पीसती है

हर बात पर संदेह करने वाला कुछ भी नहीं कर पाता है
दो काम एक साथ हाथ में लेने वाला बाद में पछताता है

अपराधी को दंड न मिले तो अपराधों को बढ़ावा मिलता है
मृदु भाषा में दिया गया आदेश बहुत शक्तिशाली होता है

एक मार्ग बंद होने पर ईश्वर हजार मार्ग दिखलाता है
कुत्तों के भौंकने से हाथी अपना रास्ता नहीं बदलता है

....कविता रावत