किसी भी आयोजन में यदि सांस्कृतिक कार्यक्रम न हो तो उसे अधूरा माना जाता है और जब समारोह सामाजिक होता है तो फिर लोक कलाकारों की रंगारन प्रस्तुतियां इसमें होना एक तरह की अनिवार्यता बन जाती है, वर्ना वह नीरज समझा जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज 10 फरवरी को श्री बद्रीनारायण मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर उत्तराखंडी लोकगायक सौरभ मैठाणी और हेमा नेगी करासी द्वारा मंदिर परिसर के मुख्य द्वार के सामने बने आकर्षक मंच पर श्री बद्रीनारायण स्तुति के बाद उत्तराखंडी नए नए गानों और जागर गीतों की प्रस्तुतियाँ ने जनमानस को मन मोह लिया। मंदिर परिसर में जिधर नजर घुमाओ उधर अपनी पारंपरिक भेषभूषा में लोगों का जन सैलाब नजर आया। मंच से लाउडस्पीकर पर बीच-बीच में जोर-शोर से हर प्रस्तुति के प्रोत्साहन के लिए तालियां बजाने के लिए लोगों से कलाकार अपील करते तो भगवान बद्रीनारायण का प्रांगण तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो उठता। एक तरफ मंच पर कलाकार अपनी प्रस्तुति से लोगों का मन मोह रहे थे, तो दूसरी ओर उन्हें देख बहुत से उत्साही लोग भी अपने स्थान से उठकर झूम उठे। कोई भी समारोह पेट-पूजा के इंतज़ाम बिना अधूरा समझा जाता है, इसके कारण बहुत से लोग उसमें सम्मिलित होना पसंद नहीं करते हैं, इसीलिए इसका भी पूरा-पूरा ध्यान रखा गया था, जिसके लिए मंदिर के हाल और छत में खाने-पीने की उत्तम व्यवस्था की गयी थी।
मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025
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उत्तराखंडी संस्कृति की झलक
बद्रीनारायण मंदिर प्राण प्रतिष्ठा दिवस
सौरभ मैठाणी और हेमा नेगी करासी के लोकगीतों व जागर से गुंजायमान हुआ बद्रीनारायण प्राण प्रतिष्ठा समारोह
सौरभ मैठाणी और हेमा नेगी करासी के लोकगीतों व जागर से गुंजायमान हुआ बद्रीनारायण प्राण प्रतिष्ठा समारोह
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"शब्दों में जीवन, भावों में समाज — कविता, कथा और प्रकृति के स्पंदन से जागृत होती है संवेदना की सेवा।"।

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