हरेक पैर में एक ही जूता नहीं पहनाया जा सकता है।
हरेक पैर के लिए अपना ही जूता ठीक रहता है।।
सभी लकड़ी तीर बनाने के लिए उपयुक्त नहीं रहती है।
सब चीजें सब लोगों पर नहीं जँचती है।।
कोई जगह नहीं मनुष्य ही उसकी शोभा बढ़ाता है।
बढ़िया कुत्ता बढ़िया हड्डी का हकदार बनता है ।।
एक मनुष्य का भोजन दूसरे के लिए विष हो सकता है ।
सबसे बढ़िया सेब को सूअर उठा ले भागता है।।
शहद गधे को खिलाने की चीज नहीं होती है ।
सोना नहीं गधे को तो घास पसंद आती है ।।
हरेक चाबी हरेक ताले में नहीं लग पाती है ।
हर मनुष्य की अपनी-अपनी जगह होती है ।।
.... कविता रावत