हरेक पैर में एक ही जूता नहीं पहनाया जा सकता है।
हरेक पैर के लिए अपना ही जूता ठीक रहता है।।
सभी लकड़ी तीर बनाने के लिए उपयुक्त नहीं रहती है।
सब चीजें सब लोगों पर नहीं जँचती है।।
कोई जगह नहीं मनुष्य ही उसकी शोभा बढ़ाता है।
बढ़िया कुत्ता बढ़िया हड्डी का हकदार बनता है ।।
एक मनुष्य का भोजन दूसरे के लिए विष हो सकता है ।
सबसे बढ़िया सेब को सूअर उठा ले भागता है।।
शहद गधे को खिलाने की चीज नहीं होती है ।
सोना नहीं गधे को तो घास पसंद आती है ।।
हरेक चाबी हरेक ताले में नहीं लग पाती है ।
हर मनुष्य की अपनी-अपनी जगह होती है ।।
.... कविता रावत
हर मनुष्य की अपनी-अपनी जगह होती है
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (20.11.2015) को "आतंकवाद मानव सम्यता के लिए कलंक"(चर्चा अंक-2166) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ, सादर...!
कविता जी, आपके ब्लॉग की तिथि की सेटिंग सही नहीं है, जिसके कारण यह आपकी ब्लॉगपोस्ट की तारिख एक दिन बाद की दिखता है. जैसे इस पोस्ट की प्रकाशन की तिथि 20 नवम्बर दिखाई दे रही है. इस कारण 'हमारीवाणी' पर आपकी पोस्ट से समस्या उत्पन्न होती है, आपसे अनुरोध है कि ब्लॉग की सेटिंग में जाकर चैक करें!
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 20 नवम्बबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया...
ReplyDeleteहरेक चाबी हरेक ताले में नहीं लग पाती है ।
ReplyDeleteहर मनुष्य की अपनी-अपनी जगह होती है ।।
............................................
तभी तो अलग अलग ताले बनते हैं रहते एक जैसे हैं इंसान जैसे ...
बहुत सुन्दर ..............
सत्य कथन /........
ReplyDeleteसच कहा कविता जी हरेक की अपनी उपयोगिता है.
ReplyDeleteहरेक अपनी जगह पर ही अच्छा लगता है किसी और के नहीं ....................बहुत बहुत बहुत सुन्दर .............
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना की प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुन्दर रचना ..........बधाई |
ReplyDeleteआप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #चलोसियासतकरआये पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |
http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/chalo-siyasat-kar-aaye.html
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - कवियित्री निर्मला ठाकुर जी की प्रथम पुण्यतिथि में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteसावधान! चोर एक ही चाबी का इस्तेमाल कई तालों में भी कर देते हैं।
ReplyDeleteसबका अपना रोल होता है ,यही दुनिया है !
ReplyDeleteसही है, जो जिस जगह के लिए उपयुक्त है उसे वहीं होना चाहिए ।
ReplyDeleteअच्छी रचना ।
बहुत सही बात कही रचना के माध्यम से ।
ReplyDeleteबहुत सही बात कही रचना के माध्यम से ।
ReplyDeleteआप की शादी की सालगिरह की कविता बहुत सुंदर थी । शादी की सालगिरह पर बहुत बहुत बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना वाह .
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