हरेक पैर में एक ही जूता नहीं पहनाया जा सकता है।
हरेक पैर के लिए अपना ही जूता ठीक रहता है।।
सभी लकड़ी तीर बनाने के लिए उपयुक्त नहीं रहती है।
सब चीजें सब लोगों पर नहीं जँचती है।।
कोई जगह नहीं मनुष्य ही उसकी शोभा बढ़ाता है।
बढ़िया कुत्ता बढ़िया हड्डी का हकदार बनता है ।।
एक मनुष्य का भोजन दूसरे के लिए विष हो सकता है ।
सबसे बढ़िया सेब को सूअर उठा ले भागता है।।
शहद गधे को खिलाने की चीज नहीं होती है ।
सोना नहीं गधे को तो घास पसंद आती है ।।
हरेक चाबी हरेक ताले में नहीं लग पाती है ।
हर मनुष्य की अपनी-अपनी जगह होती है ।।
.... कविता रावत
19 टिप्पणियां:
हर मनुष्य की अपनी-अपनी जगह होती है
कविता जी, आपके ब्लॉग की तिथि की सेटिंग सही नहीं है, जिसके कारण यह आपकी ब्लॉगपोस्ट की तारिख एक दिन बाद की दिखता है. जैसे इस पोस्ट की प्रकाशन की तिथि 20 नवम्बर दिखाई दे रही है. इस कारण 'हमारीवाणी' पर आपकी पोस्ट से समस्या उत्पन्न होती है, आपसे अनुरोध है कि ब्लॉग की सेटिंग में जाकर चैक करें!
बहुत ही बढ़िया...
हरेक चाबी हरेक ताले में नहीं लग पाती है ।
हर मनुष्य की अपनी-अपनी जगह होती है ।।
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तभी तो अलग अलग ताले बनते हैं रहते एक जैसे हैं इंसान जैसे ...
बहुत सुन्दर ..............
सत्य कथन /........
सच कहा कविता जी हरेक की अपनी उपयोगिता है.
हरेक अपनी जगह पर ही अच्छा लगता है किसी और के नहीं ....................बहुत बहुत बहुत सुन्दर .............
सुंदर प्रस्तुति
सुंदर प्रस्तुति
बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्तुति।
सुन्दर रचना ..........बधाई |
आप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #चलोसियासतकरआये पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |
http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/chalo-siyasat-kar-aaye.html
बहुत सुंदर.
सावधान! चोर एक ही चाबी का इस्तेमाल कई तालों में भी कर देते हैं।
सबका अपना रोल होता है ,यही दुनिया है !
सही है, जो जिस जगह के लिए उपयुक्त है उसे वहीं होना चाहिए ।
अच्छी रचना ।
बहुत सही बात कही रचना के माध्यम से ।
बहुत सही बात कही रचना के माध्यम से ।
आप की शादी की सालगिरह की कविता बहुत सुंदर थी । शादी की सालगिरह पर बहुत बहुत बधाई ।
बहुत सुंदर रचना वाह .
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