जाने कैसे मर-मर कर कुछ लोग जी लेते हैं
दुःख में भी खुश रहना सीख लिया करते हैं
मैंने देखा है किसी को दुःख में भी मुस्कुराते हुए
और किसी का करहा-करहा कर दम निकलते हुए
संसार में इंसान अकेला ही आता और जाता है
अपने हिस्से का लिखा दुःख खुद ही भोगता है
ठोकरें इंसान को मजबूत होना सिखाती है
मुफलिसी इंसान को दर-दर भटकाती है
.. कविता रावत