झूठ सौ पर्दों में छिपकर भी सच का सामना नहीं कर सकता है।
सच बनाव- श्रृंगार नहीं, वह तो नग्न रहना पसन्द करता है।।
जो किसी के हित में झूठ बोले वह उसके विरुद्ध भी बोल सकता है।
सच दो टूक में लेकिन झूठ अपनी बात को घुमा-फिरा कर रखता है।।
जिसकी बात झूठी निकली फिर उस पर कोई यकीन नहीं करता है।
सच उथले में नहीं वह तो काई के ढके तालाब में छिपा रहता है।।
सच की डोर भले ही लम्बी खिंच जाय लेकिन कोई तोड़ नहीं पाता है।
भले झूठ की रफ्तार तेज हो लेकिन सच उससे आगे निकल जाता है।।
सच की शक्ल देखकर बहुत सारे लोग भयभीत हो जाते हैं।
सच का कोई दुन्नन नहीं फिर भी उसे दुश्मन मिल जाते हैं।।
झूठ की उम्र छोटी लेकिन जबान बहुत लम्बी रहती है।
हवा हो या तूफान सच की ज्योति कभी नहीं बुझती है।।
एक झूठ को छिपाने के लिए दस झूठ बोलने पड़ते हैं।
सच और गुलाब हमेशा कांटों से घिरे रहते हैं।।
झूठा इंसान एक न एक दिन पकड़ में आता है।
झूठ से भरा जहाज मझधार में डूब जाता है।।
कविता संग्रह लोक उक्ति में कविता से
सच के बारे में जो भी कहा है सौ फी सदी सच कहा है ... एक सच ही है जो चमकता रहता है काली रात में भी ... चाहे लोग उसे देखें या न देखें ...
जवाब देंहटाएंसच-झूठ को लोकोक्तियों के द्वारा सुन्दर ढंग से समझाया है आपने .......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .,.........
सत्य लाख पर्दों के पीछे छुपा हो लेकिन एक दिन सामने जरूर आता है ...............अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंझूठ की उम्र चन्द समय की ही होती है। आखिरकार तो जीत सत्य की ही होती है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना
सत्यमेव जयते ...
जवाब देंहटाएंsundar rachna...................yahee satya hai
जवाब देंहटाएंसुंदर ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंमार्गदर्शक दोहे
जवाब देंहटाएंसुन्दर एवं सत्य
जवाब देंहटाएंदीदी सच का सामना वही कर सकता है जो खुद सच्चा हकस।
जवाब देंहटाएंसच तो सच ही है छुप नहीं सकता। कविताजी कृपया मेरा ब्लॉग wikismarter.com ज्वाइन कीजिये न।
जवाब देंहटाएंसच
जवाब देंहटाएंhttp://hradaypushp.blogspot.in/2013/09/blog-post.html
सच तो सच होता है,
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति ।
मार्गदर्शन करने वाली रचना .
जवाब देंहटाएंहिंदीकुंज
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसच कहा। झूठ को कभी छिपा कर नहीं रखा जा सकता क्योंकि झूठ बिना पांव का आभासी जीव होता है।
जवाब देंहटाएंसच को बनाव श्रृंगार नहीं पसंद .....
जवाब देंहटाएंकितनी अच्छे से भाव को पेश किया है.
कविता जी बहुत बहुत बधाई.
sundar rachna...satya batati,,,
जवाब देंहटाएंसुंदर भावाभिव्यक्ति, सच सामने आ ही जाता है, झूठ सौ पर्दों में छिप कर भी सच का सामना नहीं कर सकता...
जवाब देंहटाएंसच सामने जरूर आता है पर कभी कभी कितनी देर से............।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
बहुत सुन्दर
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