Monday, May 18, 2015

सच और झूठ का सम्बन्ध
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About कविता रावत
लोक उक्ति में कविता
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मैं शैल-शिला, नदिका, पुण्यस्थल, देवभूमि उत्तराखंड की संतति, प्रकृति की धरोहर ताल-तलैयों, शैल-शिखरों की सुरम्य नगरी भोपाल मध्यप्रदेश में निवासरत हूँ। मैंने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग, भोपाल में कर्मरत हूँ। भोपाल गैस त्रासदी की मार झेलने वाले हजारों में से एक हूँ। ऐसी विषम परिस्थितियों में मेरे अंदर उमड़ी संवेदना से लेखन की शुरुआत हुई, शायद इसीलिए मैं आज आम आदमी के दुःख-दर्द, ख़ुशी-गम को अपने करीब ही पाती हूँ, जैसे वे मेरे अपने ही हैं। ब्लॉग मेरे लिए एक ऐसा सामाजिक मंच है जहाँ मैं अपने आपको एक विश्वव्यापी परिवार के सदस्य के रूप में देख पा रही हूँ, जिस पर अपने मन/दिल में उमड़ते-घुमड़ते खट्टे-मीठे, अनुभवों व विचारों को बांट पाने में समर्थ हो पा रही हूँ।

सच के बारे में जो भी कहा है सौ फी सदी सच कहा है ... एक सच ही है जो चमकता रहता है काली रात में भी ... चाहे लोग उसे देखें या न देखें ...
ReplyDeleteसच-झूठ को लोकोक्तियों के द्वारा सुन्दर ढंग से समझाया है आपने .......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .,.........
सत्य लाख पर्दों के पीछे छुपा हो लेकिन एक दिन सामने जरूर आता है ...............अति सुन्दर
ReplyDeleteझूठ की उम्र चन्द समय की ही होती है। आखिरकार तो जीत सत्य की ही होती है।
ReplyDeleteबढ़िया रचना
सत्यमेव जयते ...
ReplyDeletesundar rachna...................yahee satya hai
ReplyDeleteसुंदर ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteमार्गदर्शक दोहे
ReplyDeleteसुन्दर एवं सत्य
ReplyDeleteदीदी सच का सामना वही कर सकता है जो खुद सच्चा हकस।
ReplyDeleteसच तो सच ही है छुप नहीं सकता। कविताजी कृपया मेरा ब्लॉग wikismarter.com ज्वाइन कीजिये न।
ReplyDeleteसच
ReplyDeletehttp://hradaypushp.blogspot.in/2013/09/blog-post.html
सच तो सच होता है,
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति ।
मार्गदर्शन करने वाली रचना .
ReplyDeleteहिंदीकुंज
सुन्दर
ReplyDeleteसच कहा। झूठ को कभी छिपा कर नहीं रखा जा सकता क्योंकि झूठ बिना पांव का आभासी जीव होता है।
ReplyDeleteसच को बनाव श्रृंगार नहीं पसंद .....
ReplyDeleteकितनी अच्छे से भाव को पेश किया है.
कविता जी बहुत बहुत बधाई.
sundar rachna...satya batati,,,
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति, सच सामने आ ही जाता है, झूठ सौ पर्दों में छिप कर भी सच का सामना नहीं कर सकता...
ReplyDeleteसच सामने जरूर आता है पर कभी कभी कितनी देर से............।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।
बहुत सुन्दर
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ReplyDeleteEbook Publisher