अच्छाई और सद्‌गुण इंसान की असली दौलत होती है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

मंगलवार, 12 जुलाई 2016

अच्छाई और सद्‌गुण इंसान की असली दौलत होती है

अच्छाई सीखने का मतलब बुराई को भूल जाना होता है।
प्रत्येक सद्‌गुण किन्हीं दो अवगुणों के मध्य पाया जाता है।।

बहुत बेशर्म बुराई को भी देर तक अपना चेहरा छुपाने में शर्म आती है।
जिस बुराई को छिपाकर नहीं रखा जाता वह कम खतरनाक होती है।।

धन-सम्पदा, घर और सद्‌गुण मनुष्य की शोभा बढ़ाता है।
सद्‌गुण प्राप्ति का कोई बना-बनाया रास्ता नहीं होता है।।

बड़ी-बड़ी योग्यताएँ बड़े-बड़े सद्‌गुण मनुष्य की शोभा बढ़ाता है।
बुराई बदसूरत है वह मुखौटे से अपना चेहरा ढककर रखता है।।

नेक इंसान नेकी कर उसका ढोल नहीं पीटता है।
अवगुण की उपस्थिति में सद्‌गुण निखर उठता है।।

कोई बुराई अपनी सीमा के भीतर नहीं रह पाती है।
अच्छाई और सद्‌गुण इंसान की असली दौलत होती है।।