दो काम एक साथ हाथ में लेने पर एक भी नहीं हो पाता है।
बहुत ज्यादा सोच-विचार वाला कुछ भी नहीं कर पाता है।।
जो कुछ नहीं जानता वह किसी बात में संदेह नहीं करता है।
जो अधिक जानता है वह कम पर भी विश्वास कर लेता है ।।
जो जल्दी विश्वास कर लेता है वह बाद में पछताता है ।
समझदार आदमी हर मामले में समझदार नहीं होता है ।।
कमजोर काठ को अक्सर कीड़ा जल्दी खा जाता है ।
दरिया जिधर बह निकले वही उसका रास्ता होता है ।।
बहुत ज्यादा सोच-विचार वाला कुछ भी नहीं कर पाता है।।
जो कुछ नहीं जानता वह किसी बात में संदेह नहीं करता है।
जो अधिक जानता है वह कम पर भी विश्वास कर लेता है ।।
जो जल्दी विश्वास कर लेता है वह बाद में पछताता है ।
समझदार आदमी हर मामले में समझदार नहीं होता है ।।
कमजोर काठ को अक्सर कीड़ा जल्दी खा जाता है ।
दरिया जिधर बह निकले वही उसका रास्ता होता है ।।
18 टिप्पणियां:
वाह्ह्ह....बहुत खूब👌👌
प्रेरक रचना कविता जी।
सुन्दर।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-10-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2769 में दिया जाएगा
धन्यवाद
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी को ब्लॉग बुलेटिन का नमन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुंदर प्रस्तुति।
बहुत ज्ञानवर्धक सन्देश !
बहुत सटीक सीख दी है आपने । हर पंक्ति उपयोगी शिक्षा को अपने में समेटे हुए....
bahut accha !
हिन्दीकुंज,हिंदी वेबसाइट/लिटरेरी वेब पत्रिका
बहुत सुन्दर।
बहुत ही सुन्दर
सही है समझदार आदमी हर मामले में समझदार नहीं होता ...
हर छंद गहरी सचाई लिए ... जमाने का आइना है ...
सार्थक सन्देश भरी सुंदर सरल रचना -------
अर्थात् जीवन जैसे चल पड़े चलने दो नदी की तरह।
वाह्ह्ह्ह बहुत सुन्दर 1
सार्थक संदेश से परिपूर्ण सुंदर रचना..
सुंदर रचना..
संदेश परक, मुहावरों वाली कविता ने मन मोह लिया.
सादर
वाह!!बहुत सुंंदर !!
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