Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

गुरुवार, 25 जुलाई 2024

मंगलवार, 23 जुलाई 2024

सावन के झूले और उफनते नदी-नाले। वर्षा ऋतु के खूबसूरत नज़ारे

जुलाई 23, 2024
ग्रीष्मकाल आया तो धरती पर रहने वाले प्राणी ही नहीं अपितु धरती भी झुलसने लगी। खेत-खलियान मुरझाये तो फसल कुम्हालाने लगी। घास सूखी तो फूलों...
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रविवार, 21 जुलाई 2024

दादू सब ही गुरु किए, पसु पंखी बनराइ । गुरु पूर्णिमा

जुलाई 21, 2024
घर में माता-पिता के बाद स्कूल में अध्यापक ही बच्चों का गुरु कहलाता है। प्राचीनकाल में अध्यापक को गुरु कहा जाता था और तब विद्यालय के स्...
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सोमवार, 15 जुलाई 2024

शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

सूरज की तपन गई बरखा बहार आयी

जुलाई 12, 2024
सूरज की तपन गई बरखा बहार आयी झुलसी-मुरझाई धरा पर हरियाली छायी बादल बरसे नदी-पोखर जलमग्न हो गए खिले फूल, कमल मुकुलित बदन खड़े हुए नदियां ...
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शनिवार, 22 जून 2024

शुक्रवार, 21 जून 2024

योग दिवस। वर्तमान परिदृश्य में योग की आवश्यकता | International Yoga day |

जून 21, 2024
आज के भौतिकवादी युग में एक ओर जहां हम विज्ञान द्वारा विकास की दृष्टि से उन्नति के शिखर पर पहुंच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक रूप ...
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रविवार, 9 जून 2024

कल की मुर्गी से आज का अंडा भला होता है। लोकोक्तियों की कविता

जून 09, 2024
जब तक चूजे अंडे से बाहर न आ  जाएं तब तक उनकी गिनती नहीं करनी चाहिए जब तक ताजा पानी न मिल जाए तब तक बासा पानी नहीं फेंकना चाहिए भालू क...
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शुक्रवार, 7 जून 2024

दूध का जला छाछ को फूँक-फूँक कर पीता है। लोकोक्तियों की कविता।

जून 07, 2024
गर्म पानी से झुलसा कुत्ता ठण्डे पानी से भी डरता है चूने से मुँह जले वाले को दही देखकर डर लगता है रीछ से डरा आदमी कंबल वाले को देख डर ज...
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रविवार, 2 जून 2024

गुरुवार, 16 मई 2024

सोमवार, 6 मई 2024

मंगलवार, 30 अप्रैल 2024

मजदूर! सबके करीब सबसे दूर । अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर कविता। Workers' Day

अप्रैल 30, 2024
मजदूर  सबके करीब सबसे दूर कितने मजबूर  ये मजदूर! कभी बन कर कोल्हू के बैल घूमते रहे गोल-गोल ख्वाबों में रही हरी-भरी घास बंधी रही आस सपने होते...
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गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

सैकड़ों गीदड़ों के लिए एक शेर ही ग़नीमत है। लोकोक्तियों की कविता

अप्रैल 25, 2024
मुर्गा अपने दड़बे पर बड़ा दिलेर होता है अपनी गली का कुत्ता भी शेर होता है दुष्ट लोग क्षमा नहीं दंड के भागी होते हैं लातों के भूत बातों से...
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सोमवार, 25 मार्च 2024

सोमवार, 18 मार्च 2024

रविवार, 17 मार्च 2024

मानव स्वयं दस्तक दे रहा है महाविनाश युद्ध की विभीषिकाओं के द्वार पर

मार्च 17, 2024
चिंतन और व्यवहार बनाता है आचरण और वातावरण से निर्मित होती है परिस्थितियाँ जो निर्धारक है सुख-दुःख और उत्थान-पतन की आज बह...
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शुक्रवार, 15 मार्च 2024

क्या रखा है जागने में। सोओ। World Sleep Day Special सोओ

मार्च 15, 2024
जो जागत है वो खोवत है जो सोवत है वो पावत है सोओ-सोओ सोते सोते ही नित नए सपने बोओ सो सोकर ही तुम नित मन में रामनाम को लाओ सो स...
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