संगति का प्रभाव - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

शनिवार, 15 मई 2010

संगति का प्रभाव




















उच्च विचार जिनके साथ रहते हैं वे कभी अकेले नहीं रहते हैं
एक जैसे पंखों वाले पंछी एक साथ उड़ा करते हैं

हंस-हंस के साथ और बाज को बाज के साथ देखा जाता है
अकेला आदमी या तो दरिंदा या फिर फ़रिश्ता होता है

तीन से भीड़ और दो के मिलने से साथ बनता है
आदमी को उसकी संगति से पहचाना जाता है

बिगडैल साथ भली गाय चली को बराबर मार पड़ती है
साझे की हंडिया अक्सर चौराहे पर फूटती है

सूखी लकड़ी के साथ-साथ गीली भी जल जाती है
और गुलाबों के साथ-साथ काँटों की भी सिंचाई हो जाती है

हँसमुख साथ मिल जाय तो सुनसान रास्ता भी आराम से कट जाता है
अच्छा साथ मिल जाने पर कोई रास्ता लम्बा नहीं रह जाता है

शिकारी पक्षी कभी एक साथ मिलकर नहीं उड़ा करते हैं
जो भेड़ियों की संगति में रहते हैं, वे गुर्राना सीख जाते हैं

 ..........कविता रावत

49 टिप्‍पणियां:

कडुवासच ने कहा…

...सुन्दर रचना !!

M VERMA ने कहा…

अकेला आदमी या तो दरिंदा या फिर फ़रिश्ता होता है
क्या बात कही आपने एकदम सही
बहुत सुन्दर

दिलीप ने कहा…

sahi kaha kavita ji...sangat hi gun hot hai...sangat hi gun jaat...

Dev ने कहा…

बेहतरीन रचना ......

मनोज कुमार ने कहा…

संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।

अजय कुमार ने कहा…

सामयिक और सटीक रचना । आजकल ब्लागिंग में कुछ गड़बड़ हो रहा है ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

Kavita jee...........ye to updesh jaisa lag raha hai...:)

waise aap achchha likhte ho......no doubts...!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

"अकेला आदमी या तो दरिंदा या फिर फ़रिश्ता होता है
गुलाबों के साथ-साथ काँटों की भी सिंचाई हो जाती है
जो भेड़ियों की संगति में रहते हैं, वे गुराना सीख जाते हैं"

बहुत पसंद आये !

Rajeysha ने कहा…

शायर,सि‍न्‍ह और सपूत एकले ही चलते हैं, झुण्‍ड में नहीं। उनकी संगति‍ वि‍रली ही होती है, वि‍रले के साथ।

sandhyagupta ने कहा…

बिगडैल साथ भली गाय चली को बराबर मार पड़ती है
साझे की हंडिया अक्सर चौराहे पर फूटती है
सूखी लकड़ी के साथ-साथ गीली भी जल जाती है
और गुलाबों के साथ-साथ काँटों की भी सिंचाई हो जाती है

sundar aur sarthak lekhan.

अरुणेश मिश्र ने कहा…

जाड्यं धियो हरति सिञ्चति वाचि सत्यं.......,
आपकी रचना प्रेरक एवँ उत्तम समाज की निधि है ।

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छी सीख देती रचना...बढ़िया है!

Kumar Jaljala ने कहा…

कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन
पुरूषों की कैटेगिरी में श्रेष्ठ ब्लागर का चयन हो चुका है। हालांकि अनूप शुक्ला पैनल यह मानने को तैयार ही नहीं था कि उनका सुपड़ा साफ हो चुका है लेकिन फिर भी देशभर के ब्लागरों ने एकमत से जिसे श्रेष्ठ ब्लागर घोषित किया है वह है- समीरलाल समीर। चुनाव अधिकारी थे ज्ञानदत्त पांडे। श्री पांडे पर काफी गंभीर आरोप लगे फलस्वरूप वे समीरलाल समीर को प्रमाण पत्र दिए बगैर अज्ञातवाश में चले गए हैं। अब श्रेष्ठ ब्लागरिन का चुनाव होना है। आपको पांच विकल्प दिए जा रहे हैं। कृपया अपनी पसन्द के हिसाब से इनका चयन करें। महिला वोटरों को सबसे पहले वोट डालने का अवसर मिलेगा। पुरूष वोटर भी अपने कीमती मत का उपयोग कर सकेंगे.
1-फिरदौस
2- रचना
3 वंदना
4. संगीता पुरी
5.अल्पना वर्मा
6 शैल मंजूषा

Kumar Jaljala ने कहा…

कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन
पुरूषों की कैटेगिरी में श्रेष्ठ ब्लागर का चयन हो चुका है। हालांकि अनूप शुक्ला पैनल यह मानने को तैयार ही नहीं था कि उनका सुपड़ा साफ हो चुका है लेकिन फिर भी देशभर के ब्लागरों ने एकमत से जिसे श्रेष्ठ ब्लागर घोषित किया है वह है- समीरलाल समीर। चुनाव अधिकारी थे ज्ञानदत्त पांडे। श्री पांडे पर काफी गंभीर आरोप लगे फलस्वरूप वे समीरलाल समीर को प्रमाण पत्र दिए बगैर अज्ञातवाश में चले गए हैं। अब श्रेष्ठ ब्लागरिन का चुनाव होना है। आपको पांच विकल्प दिए जा रहे हैं। कृपया अपनी पसन्द के हिसाब से इनका चयन करें। महिला वोटरों को सबसे पहले वोट डालने का अवसर मिलेगा। पुरूष वोटर भी अपने कीमती मत का उपयोग कर सकेंगे.
1-फिरदौस
2- रचना
3 वंदना
4. संगीता पुरी
5.अल्पना वर्मा
6 शैल मंजूषा

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

ग़ज़ल


आदमी आदमी को क्या देगा


जो भी देगा ख़ुदा देगा ।


मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है


क्या मेरे हक़ में फ़ैसला देगा ।


ज़िन्दगी को क़रीब से देखो


इसका चेहरा तुम्हें रूला देगा ।


हमसे पूछो दोस्त क्या सिला देगा


दुश्मनों का भी दिल हिला देगा ।


इश्क़ का ज़हर पी लिया ‘फ़ाक़िर‘


अब मसीहा भी क्या दवा देगा ।

http://vedquran.blogspot.com/2010/05/hell-n-heaven-in-holy-scriptures.html

nilesh mathur ने कहा…

bahut sundar!

हर्षिता ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति है।

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत ही सुन्दर व लाजवाब प्रस्तुति ।

Dev ने कहा…

शिक्षाप्रद और बेहतरीन ....भाव .......बहुत खूब

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बहुत ज्ञानवर्धक बातें ।
शुक्रिया कविता जी ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

साझे की हंडिया अक्सर चौराहे पर फूटती है
सूखी लकड़ी के साथ-साथ गीली भी जल जाती है
और गुलाबों के साथ-साथ काँटों की भी सिंचाई हो जाती है


संदेशात्मक रचना...सटीक

Himanshu Mohan ने कहा…

अच्छा उपयोगी संकलन, लयबद्ध बुद्धिमत्ता वचन।

mukti ने कहा…

वाह ! बहुत ही अच्छी लगी कविता खासकर ये लाइनें -
-अकेला आदमी या तो दरिंदा या फिर फ़रिश्ता होता है
-शिकारी पक्षी कभी एक साथ मिलकर नहीं उड़ा करते हैं
जो भेड़ियों की संगति में रहते हैं, वे गुराना सीख जाते हैं

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

अकेला आदमी या तो दरिंदा या फिर फ़रिश्ता होता है ....
achchi prastuti...ghyan vardhak post...

बेनामी ने कहा…

अच्छी सीख

hem pandey ने कहा…

इसी लिए कहा है-
कबीरा संगत साधु की हरै और की ब्याधि.
संगत बुरी असाधु की आठों पहर उपाध

Girish Kumar Billore ने कहा…

अतिउत्तम

दीपक 'मशाल' ने कहा…

जो भेड़ियों की संगत में रहते हैं गुर्राना सीख जाते हैं.. पर ये भी है कि 'चन्दन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग..' अच्छे भाव..

Harshvardhan ने कहा…

kavita ji bahut achchi prastuti haiaapki. kabile tareef

अरुणेश मिश्र ने कहा…

कोई अकेला कभी नही होता जो साथ मे है उसे देखने की फुर्सत किसको ?

अरुणेश मिश्र ने कहा…

कोई अकेला कभी नही होता जो साथ मे है उसे देखने की फुर्सत किसको ?

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Uncha vichaar hi to insaan ki pahchaan hai ... achhe vichaar rakhne waon ka saath har koi chahta hai ....

HBMedia ने कहा…

bahut khub...atisundar

GSC ने कहा…

kavita ji mere blog 'gaurtalab'par aane ka bahut bahut shukriya!

रचना दीक्षित ने कहा…

आज तो बहुत कुछ कह डाला एक ही पोस्ट में, एक साफ़ सुथरा आईना दिखा गयी ये पोस्ट बधाई

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

संगति के प्रभाव को उजागर करती शानदार रचना।
--------
क्या हमें ब्लॉग संरक्षक की ज़रूरत है?
नारीवाद के विरोध में खाप पंचायतों का वैज्ञानिक अस्त्र।

Dimple Maheshwari ने कहा…

bhty khoob.........kya khoob likhte ho...bda achha likhte ho...

Akanksha Yadav ने कहा…

बहुत सुन्दर सन्देश..सार्थक रचना..बधाई.

____________________________
'शब्द-शिखर' पर- ब्लागिंग का 'जलजला'..जरा सोचिये !!

Urmi ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और लाजवाब रचना! बधाई!

Apanatva ने कहा…

sone see kharee baate .....

Unknown ने कहा…

Please aap is topic par muje ek निबंध likhkar bjejo skate ho.

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

जीवन की विसंगतियाँ और प्रेरक सूक्तियों को सहेजती प्रभावोत्पादक रचना जो कहती है संख्या का भी महत्त्व होता है।

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

जीवन की विसंगतियाँ और प्रेरक सूक्तियों को सहेजती प्रभावोत्पादक रचना जो कहती है संख्या का भी महत्त्व होता है।

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

अंतिम पंक्ति में एक शब्द "गुराना" प्रकाशित हुआ है। शायद यह प्रचलित शब्द "गुर्राना " का रूप है। यदि उचित हो तो संशोधन कीजियेगा।

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

अंतिम पंक्ति में एक शब्द "गुराना" प्रकाशित हुआ है। शायद यह प्रचलित शब्द "गुर्राना " का रूप है। यदि उचित हो तो संशोधन कीजियेगा।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बढ़िया।

कविता रावत ने कहा…

जी सही कहा आपने प्रचलित शब्द गुर्राना ही है
धन्यवाद!

Zainab ने कहा…

आप लखनऊ शहर में किसी स्कूल में पढ़ा चुकी है?
मुझे लगता है कि आप शायद मेरे मिडिल स्कूल के गणित के शिक्षक थे!!!


मेरा अंदाज़ा ग़लत हो सकता है..

यदि आप कर सकते हैं तो कृपया स्पष्ट करें!!!

कविता रावत ने कहा…

जी नहीं! मेरी कर्मभूमि तो भोपाल ही है, हो सकता है मेरी शक्ल-सूरत आपके मिडिल स्कूल के गणित के शिक्षक से मिलती-जुलती हो