हाथी के खाने और दिखाने के अलग दाँत होते हैं - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शनिवार, 3 मई 2025

हाथी के खाने और दिखाने के अलग दाँत होते हैं


गुलाब को कुछ भी नाम दो उससे उतनी ही सुगंध आयेगी।
शक्कर सफेद हो या भूरी उसमें उतनी ही मिठास रहेगी।।

कभी चित्रित फूलों से सुगंध नहीं आती है।
हर चमकदार वस्तु स्वर्ण नहीं होती है।।

धूप में धूल के कण भी चमकदार मालूम पड़ते हैं।
हाथी के खाने और दिखाने के अलग दाँत होते हैं।।

सुन्दर सेब के भीतर कीड़ा लगा तो वह किसी काम नहीं आता है।
बन्दर को शाही पोशाक पहना देने पर वह बंदर ही कहलाता है।।

किसी पेड़ को उसकी छाल से नहीं जाँचना चाहिए।
सिर्फ चेहरा देख उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए।।

जंग में जाने वाले सब लोग सैनिक नहीं होते हैं।
दाढ़ी बढ़ा लेने पर सभी साधु नहीं बन जाते हैं।।
      
  ...  कविता रावत