नवमी तिथि मधुमास पुनीता सुक्ल पक्ष अभिजित हरि प्रीता।
मध्यदिवस अति सीत न घामा पावन काल लोक विश्रामा।।
अर्थात- चैत्र के पवित्र माह की अभिजित शुभ तिथि शुक्ल पक्ष की नवमी को जब न बहुत शीत थी न धूप थी, सब लोक को विश्राम देने वाला समय था, ऐसे में विश्वकर्मा द्वारा रचित स्वर्ग सम अयोध्या पुरी में रघुवंशमणि परम धर्मात्मा, सर्वगुण विधान, ज्ञान हृदय में भगवान की पूर्ण भक्ति रखने वाले महाराज दशरथ के महल में-
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।।
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी।।
ईश्वर जन्म नहीं अपितु अवतरित होते हैं, इसका मानस में बहुत सुन्दर वर्णन मिलता है। जब माता कौशल्या के सम्मुख भगवान विष्णु चतुर्भुज रूप में अवतरित हुए तो उन्होंने अपने दोनों हाथ जोड़कर कहा कि हे तात! मैं आपकी स्तुति किस प्रकार से करूं! आपका अन्त नहीं है, आप माया-मोह, मान-अपमान से परे हैं, ऐसा वेद और पुराण कहते हैं। आप करूणा और गुण के सागर हैं, भक्त वत्सल हैं। मेरी आपसे यही विनती है कि अपने चतुर्भुज रूप को त्याग हृदय को अत्यन्त सुख देने वाली बाल लीला कर मुझे लोक के हंसी-ठट्ठा से बचाकर जग में आपकी माँ कहलाने का सौभाग्य प्रदान करो।
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा।।
भगवान विष्णु ने मानव रूप में अवतार लेकर असुरों का संहार किया। उनके आदर्श राष्ट्रीयता और क्षेत्रीयता की सीमाओं को लांघकर विश्वव्यापी बन गये, जिससे वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। मनुष्य की श्रेष्ठता उसके शील, विवेक, दया, दान, परोपकार धर्मादि सदगुणों के कारण होती है, इसलिये जीवन का मात्र पावन ध्येय "बहुजन हिताय बहुजन सुखाय" होता है। मानव की कीर्ति उनके श्रेष्ठ गुणों और आदर्श के कार्यान्वयन एवं उद्देश्य के सफल होने पर समाज में ठीक उसी तरह स्वतः प्रस्फुटित होती है जैसे- मकरंद सुवासित सुमनों की सुरभि! यही कारण है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सा लोकरंजक राजा कीर्तिशाली होकर जनपूजित होता है, जबकि परनारी अपहर्ता, साधु-संतों को पीड़ित करने वाला वेद शास्त्र ज्ञाता रावण सा प्रतापी नरेश अपकीर्ति पाकर लोकनिन्दित बनता है। इसलिए कहा गया है कि - "रामवत वर्तितव्यं न रावणदिव" अर्थात राम के समान आचरण करो, रावण के समान नहीं।
श्रीराम के आदर्श शाश्वत हैं उनके जीवन मूल्य कालजयी होने के कारण आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने त्रेतायुग में भावी शासकों को यह सन्देश दिया है-
"भूयो भूयो भाविनो भूमिपाला: नत्वान्नत्वा याच्तेरारामचंद्र
सामान्योग्य्म धर्म सेतुर्नराणा काले-काले पालनियों भवदभि:"
अर्थात- हे! भारत के भावी पालो! मैं तुमसे अपने उत्तराधिकार के रूप में यही चाहता हूँ की वेदशास्त्रों के सिद्धांतों की रक्षा हेतु जिस मर्यादा को मैंने स्थापित किया, उसका तुम निरंतर पालन करना। वस्तुत: नीतिभ्रष्टता के समकालीन बवंडर में समाज को स्वामित्व प्रदान करने के लिए सनातन धर्म के चिरंतन आदर्शों के प्रतीक श्रीराम के चरित्र से ही प्रेरणा प्राप्त करना चाहिए।
सबको रामनवमी की हार्दिक मंगलकामनाएं!
सबको रामनवमी की हार्दिक मंगलकामनाएं!
. .....कविता रावत
22 टिप्पणियां:
आप को भी रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें! आदरणीया कविता जी!
धरती की गोद
bahut hi gyaanvardhak tarike se likha hai ji aapne ! aapko bhi raam-navmi ki hardik badhaiyaan ji ! " हैप्पी-बर्थडे टू यू "!! मेरे राम जी ! मेरे बिगड़े बनाओ सब काम जी !!-पीताम्बर दत्त शर्मा ( लेखक-विश्लेषक)
लो जी पाठक मित्रो !! आपको भी बधाइयां !! कल हमारे राम जी का जन्म दिन है जी ! जिसे हम ख़ुशी-ख़ुशी मनाएंगे ! आप भी सब भाई-बहन बड़े ही चाव से मनाना जी !आप भी उनको शुभकामनाएं देना जी !! स्वयं भी लड्डू खाना और दूसरों को भी लड्डू खिलाना जी !! एक-दुसरे को बधाइयाँ देना और बलैयां लेना जी ! उनके आशीर्वाद से हमारा भला होगा जी !
उस समय जन्म दिन मनाया जाता था या नहीं, हमें ये तो नहीं पता नहीं जी , लेकिन ये अवश्य पता है कि जब तलक उनकी शादी नहीं हुई थी तब तलक वो बड़े प्रसन्न रहा करते थे , खेल-कूद किया करते थे और रिश्तेदारों को मिलने अपने ननिहाल वगेरह भी चले जाया करते थे ! लेकिन जैसे ही शादी कर घर लौटे बस जी तभी से जीवन में कष्ट ही कष्ट आ गए ! हमारे एक परम मित्र जी ने आज एक बड़ी ही सुन्दर कविता अपने ब्लॉग में लिखी है शादी ना करने के बारे में , ! बड़ी ही मज़ेदार ढंग से अपनी व्यथा कवि ने लिखी है जिसे वो सब पर लागू करवाना चाहते हैं ! आप भी देखिये और पढ़कर आनंदित होइए जी !
यारों ! शादी मत करना, ये है मेरी अर्ज़ी
फिर भी हो जाए तो ऊपर वाले की मर्ज़ी ?
लैला ने मजनूँ से शादी नहीं रचाई थी ,
शीरी भी फरहाद की दुल्हन कब बन पाई थी ?
सोहनी को महिवाल अगर मिल जाता, तो क्या होता ? ?
कुछ न होता बस परिवार नियोजन वाला रोता ?
होते बच्चे, सिल-सिल कच्छे, बन जाता वो दर्ज़ी।
यारों ! शादी मत करना, ये है मेरी अर्ज़ी
फिर भी हो जाए तो ऊपर वाले की मर्ज़ी।
दुबे जी घर में झाड़ू पोंछा रोज़ लगाते हैं
वर्मा जी भी सुबह-सुबह बच्चे नहलाते हैं
गुप्ता जी हर शाम ढले मुर्गासन करते हैं
कर्नल हों या जनरल सब पत्नी से डरते हैं
पत्नी के आगे न चलती, मंत्री की मनमर्ज़ी।
यारों! शादी मत करना, ये है मेरी अर्ज़ी
फिर भी हो जाए तो ऊपर वाले की मर्ज़ी।
बड़े-बड़े अफ़सर पत्नी के पाँव दबाते हैं
गूंगे भी बेडरूम में ईलू-ईलू गाते हैं
बहरे भी सुनते हैं जब पत्नी गुर्राती है
अंधे को दिखता है जब बेलन दिखलाती है
पत्नी कह दे तो लंगड़ा भी, दौड़े इधर-उधर जी।
यारों! शादी मत करना, ये है मेरी अर्ज़ी
यारों! शादी मत करना, ये है मेरी अर्ज़ी
फिर भी हो जाए तो ऊपर वाले की मर्ज़ी।
पत्नी के आगे पी.एम., सी.एम. बन जाता है
पत्नी के आगे सी एम, डी.एम. बन जाता है
पत्नी के आगे डी. एम. चपरासी होता है
पत्नी पीड़ित पहलवान बच्चों सा रोता है
पत्नी जब चाहे तो फुडावा दे, पुलिसमैन का सर जी।
यारों! शादी मत करना, ये है मेरी अर्ज़ी
फिर भी हो जाए तो ऊपर वाले की मर्ज़ी।
पति होकर भी लालू जी, राबड़ी से नीचे हैं
पति होकर भी कौशल जी, सुषमा के पीछे है
मायावती कुँवारी होकर ही, सी.एम. बन पाई
क्वारी ममता, जयललिता के जलवे देखो भाई
क्वारे अटल बिहारी में, बाकी खूब एनर्जी।
यारों ! शादी मत करना, ये है मेरी अर्ज़ी
फिर भी हो जाए तो ऊपर वाले की मर्ज़ी।
पत्नी अपनी पर आए तो, सब कर सकती है
कवि की सब कविताएं, चूल्हे में धर सकती है
पत्नी चाहे तो पति का, जीना दूभर हो जाए
तोड़ दे करवाचौथ तो पति, अगले दिन ही मर जाए
पत्नी चाहे तो खुदवा दे, घर के बीच क़बर जी।
यारों! शादी मत करना, ये है मेरी अर्ज़ी
फिर भी हो जाए तो ऊपर वाले की मर्ज़ी।
शादी वो लड्डू है जिसको, खाकर जी मिचलाए
जो न खाए उसको, रातों को, निंदिया न आए
शादी होते ही दोपाया, चोपाया होता है
ढेंचू-ढेंचू करके बोझ, गृहस्थी का ढोता है
सब्ज़ी मंडी में कहता है, कैसे दिए मटर जी।
यारों! शादी मत करना, ये है मेरी अर्ज़ी
फिर भी हो जाए तो ऊपर वाले की मर्ज़ी।
जय श्री राम!
बहुत सारगर्भित लेख।
ईश्वर जन्म नहीं अपितु अवतरित होते हैं, इसका मानस में बहुत सुन्दर वर्णन मिलता है।
.......बिलकुल सही कहा आपने बेहद जानकारी भरी पोस्ट
कविता जी आप को भी रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें !
रामनवमी की अत्यंत शुभकामनाएं !
अच्छा लेख .
जय जय श्रीराम!
सारगर्भित सामयिक आलेख!
रामनवमी मंगलमय हो !
रामनवमी पर बहुत अच्छी सामयिक लेख
हार्दिक शुभकामनाएं !
जय श्रीराम!
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
रामनवमी की शुभकामनाएं !
सुंदर सामयिक पोस्ट.....रामनवमी की हार्दिक मंगलकामनाएं....
भक्ति भावनामयी सुंदर प्रस्तुति ।
रामनवमी की शुभकामनाएं।
आपको रामनवमी की शुभकामनाएं..प्रभु राम औऱ मां अंबे आपके जीवन में सुख शांति औऱ सौहार्द लाएं
सुंदर और भक्तिमय...आपको भी राम नवमी की शुभकामनाएँ!!
हरि अनंत हरि कथा अनंता.. बदलते युगों के साथ सतत नव्यता पाती रही है राम कथा - शुभकामनाएँ !
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाये।
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाये।
बहुत सुन्दर लिखा है आपने ,रामनवमी की शुभकामना
सारगर्भित, विस्तृत ... राम के जनम प्रसंग को जैसे तुलसीदास जी ने वर्णित किया है उसको सरल सादे अंदाज में आपने बाखूबी लिखा है ... राम कण कण में बसे हैं देश वासियों के तो ऐसे ही नहीं बसे ... सच लिखा है आपने की श्री राम के चरित्र का एक अंश भी अगर हम ले सकें तो जीवन सफल हो जाए ... राम नवमी की हार्दिक शुभकामनायें ...
अच्छा लगा यह पोस्ट. शुभकामनायें आपको भी.
सुन्दर वर्णन ....
जय जय श्रीराम!
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
Nice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us. Latest Government Jobs.
एक टिप्पणी भेजें