बहुत लोगों को डराकर रखने वाला भी बहुत लोगों से डरता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

गुरुवार, 2 सितंबर 2021

बहुत लोगों को डराकर रखने वाला भी बहुत लोगों से डरता है


बुरे संग प्रार्थना करने से भले लोगों संग मिलकर डाका डालना भला
सुन्दर वस्त्र पहनकर नरक जाने से चिथड़े पहनकर स्वर्ग जाना भला

बेडौल लोहे को हथौड़े से पीट-पीटकर सीधा करना पड़ता है
शेर की मांद में घुसने वाला ही उसका बच्चा पकड़ सकता है

बूढ़ा भेड़िया जोर की चीख-पुकार सुन कभी नहीं डरता है
शेर के दांत टूट जाने पर भी वह गरजना नहीं भूलता है

कोई भी बुराई अपनी सीमा के भीतर नहीं रहती है
बुराई काम चलताऊ लेकिन अच्छाई सदा फलती है

धीरे-धीरे और लगातार आगे बढ़ने वाले दौड़ में जीत जाते हैं
आशा के साथ जीने वाले दुःख की घड़ियों में भी मुस्कुराते हैं

बुराई से बुराई लड़े तो समझो उसका अंत बहुत निकट रहता है
बहुत लोगों को डराकर रखने वाला भी बहुत लोगों से डरता है

.... कविता रावत