आदमी काम से नहीं चिन्ता से जल्दी मरता है
गधा दूसरों की चिन्ता से अपनी जान गंवाता है
धन-सम्पदा चिन्ता और भय अपने साथ लाती है
धीरे-धीरे कई चीजें पकती तो कई सड़ जाती है
विपत्ति के साथ आदमी में सामर्थ्य भी आता है
सावधानी के कारण आत्मविश्वास आ जाता है
लगातार प्रहार से मजबूत पेड़ भी गिर जाता है
रेत पर नहीं पत्थर पर लिखा चिरस्थायी होता है
आग से खेलने वालों के हाथ राख ही लगती है
ईश्वर की चक्की धीरे-धीरे पर महीन पीसती है
हर बात पर संदेह करने वाला कुछ भी नहीं कर पाता है
दो काम एक साथ हाथ में लेने वाला बाद में पछताता है
अपराधी को दंड न मिले तो अपराधों को बढ़ावा मिलता है
मृदु भाषा में दिया गया आदेश बहुत शक्तिशाली होता है
एक मार्ग बंद होने पर ईश्वर हजार मार्ग दिखलाता है
कुत्तों के भौंकने से हाथी अपना रास्ता नहीं बदलता है
....कविता रावत
रविवार, 9 फ़रवरी 2025

कुत्तों के भौंकने से हाथी अपना रास्ता नहीं बदलता है
Tags
# आदत
# प्रवृत्ति
# लोकोक्तियों की कविता
# स्वभाव
Share This
About कविता रावत
स्वभाव
लेबल:
आदत,
प्रवृत्ति,
लोकोक्तियों की कविता,
स्वभाव
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मैं शैल-शिला, नदिका, पुण्यस्थल, देवभूमि उत्तराखंड की संतति, प्रकृति की धरोहर ताल-तलैयों, शैल-शिखरों की सुरम्य नगरी भोपाल मध्यप्रदेश में निवासरत हूँ। मैंने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग, भोपाल में कर्मरत हूँ। भोपाल गैस त्रासदी की मार झेलने वाले हजारों में से एक हूँ। ऐसी विषम परिस्थितियों में मेरे अंदर उमड़ी संवेदना से लेखन की शुरुआत हुई, शायद इसीलिए मैं आज आम आदमी के दुःख-दर्द, ख़ुशी-गम को अपने करीब ही पाती हूँ, जैसे वे मेरे अपने ही हैं। ब्लॉग मेरे लिए एक ऐसा सामाजिक मंच है जहाँ मैं अपने आपको एक विश्वव्यापी परिवार के सदस्य के रूप में देख पा रही हूँ, जिस पर अपने मन/दिल में उमड़ते-घुमड़ते खट्टे-मीठे, अनुभवों व विचारों को बांट पाने में समर्थ हो पा रही हूँ।
13 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 26 अक्टूबर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अनेक सूक्तियों को एक साथ आपने प्रस्तुत किया है, अच्छा किया है आपने। ये सूक्तियां सर्वमान्य हैं तथा शताब्दियों से हम इन्हें सुनते आ रहे हैं। जीवन के अनुभवों से निकलकर (एवं अभी भी निकलते हुए) आने वाला मेरा अनुभव यह कहता है कि इनमें से कुछ की सत्यता संदिग्ध है तथा ये केवल आदर्शों की स्थापना करने एवं निष्पाप व विश्वासी बालकों को उनका ज्ञान करवाने हेतु प्रचारित की गई थीं। किन्तु आदर्श की विशेषता ही यही है कि वह यथार्थ से भिन्न होते हुए भी पूजनीय होता है। अभिनन्दन आपका।
आदमी काम से नहीं चिन्ता से जल्दी मरता है
गधा दूसरों की चिन्ता से अपनी जान गंवाता है
धन-सम्पदा चिन्ता और भय अपने साथ लाती है
धीरे-धीरे कई चीजें पकती तो कई सड़ जाती है
विपत्ति के साथ आदमी में सामर्थ्य भी आता है
सावधानी के कारण आत्मविश्वास आ जाता है
बहुत उम्दा सृजन!
आपने बहुत सही बात कही रचना के जरिए!
कुत्ते के भौकने से हाथी अपना रास्ता नहीं बदलता! बिल्कुल सही! कुत्ते भौंकते रहते हैं और हाथी अपने चाल में मस्त रहता है😊
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-10-2021) को चर्चा मंच "कलम ! न तू, उनकी जय बोल" (चर्चा अंक4229) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मुहावरों का बहुत सुंदर संकलन।
बहुत ही सुंदर ज्ञानवर्धक सूक्तियों से सुशोभित सृजन।
वाह!बहुत बढ़िया 👌
हार्दिक आभार दी पढ़वाने हेतु।
सादर
शानदार quotes हर समय की सार्थक उक्तियां।
बधाई।
उक्तियो के कन्धे मजबूत हो गये।
ईश्वर की चक्की धीरे-धीरे पर महीन पीसती है
हर बात पर संदेह करने वाला कुछ भी नहीं कर पाता है,,,,,, बहुत सुंदर संकलन है बिलकुल सही कहा गया है ।
बहुत सुंदर ज्ञानवर्धक सृजन
बहुत शानदार।
काम आने वाली सूक्तियो की तरह बखूबी लिखा है इन जीवन मन्त्रों को ...
सच और सिर्फ सच ... इंसान अगर इनको सोच समझ कर जीवन इनके अनुसार चलाने का प्रयास करे तो सफलता करीब आ सकती है .... बहुत उत्तम ...
एक टिप्पणी भेजें