वो सुमिरन मात्र सबके भयहर्ता,
ओ दुर्गे माँ! तेरी हम जय जयकार करें माँ।
जय जय भगवती महामाया, दुर्गे माँ!
जय जय भगवती महामाया, दुर्गे माँ!
माँ तेरा चिंतन जो करे,
तुम परम कल्याणमयी, बुद्धि प्रदान करे।
दुःख दरिद्रता, भय हरने वाली,
नहीं जगत में, तुम-सा दूजा कोई।
तेरा चित्त सदा उपकार और दया से भरा माँ,
सदा कृपा अपनी बनाए रखना माँ।
जय जय भगवती महामाया, दुर्गे माँ!
जय जय भगवती महामाया, दुर्गे माँ!
तुम नारायणी, सब मंगल प्रदाता,
कल्याणदायिनी, तुम शिव-रूप हो माता।
सब पुरुषार्थों को सिद्ध करने वाली,
शरणागत वत्सला, त्रिनेत्र गौरी।
तुमको नमन, तुमको वंदन, सिद्धिदात्री माँ,
तेरी हम जय जयकार करें माँ।
जय जय भगवती महामाया, दुर्गे माँ!
जय जय भगवती महामाया, दुर्गे माँ!
तुम शरणागत की दीनता की रक्षक,
हो सबकी पीड़ा दूर करने वाली, नारायणी।
सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी, सर्व शक्ति-संपन्न,
हे दिव्यरूपा, दुर्गे देवी।
तुमको नमन, तुमको वंदन, सदा भय मुक्त रखना,
हे सर्व भय रक्षक, माता दुर्गे!
तेरी हम जय जयकार करें माँ।
जय जय भगवती महामाया, दुर्गे माँ!
जय जय भगवती महामाया, दुर्गे माँ!
तुम प्रसन्न हो तो, सब व्याधि नष्ट हो जाए,
कुपित हो तो, कामनाओं का नाश कर जाए।
जो तेरी शरण में आया, वो विपत्ति से मुक्त हुआ,
जो तेरी शरण में आया, उसे तूने शरण दी।
हे सर्वेश्वरी, त्रिलोक की बाधा शांत करने वाली,
तेरी हम जय जयकार करें माँ।
जय जय भगवती महामाया, दुर्गे माँ!
जय जय भगवती महामाया, दुर्गे माँ!
..... कविता रावत

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