जय जय जय कूष्मांडा मैया,
चतुर्थ रूप में तुम हो दया।
सृष्टि की देवी, ब्रह्मांड रचती,
अष्ट भुजा में तुम सब रखती।
हाथ में अमृत, कमंडल सोहे,
सिंह पर बैठी, मन को मोहे।
रोग, शोक का तुम हरण करो,
आरती जय कूष्मांडा माता।
मां दुर्गा का चौथा स्वरूप माता कूष्मांडा है, जो हमें रचनात्मकता और ऊर्जा से भरने वाली ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी है
... Kavita Rawat
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