जय जय जय स्कंदमाता मैयापंचम रूप में तुम हो दया।
कार्तिकेय की जननी कहलाती,
कमल पुष्प हाथ में सजाती।
सिंह वाहिनी, भक्तों को प्यारी,
प्रेम की देवी, दुख संहारी।
सच्चे मन से जो भी पुकारे,
आरती से मिटे कष्ट सारे।
आरती जय स्कंदमाता माता।
भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता है स्कंदमाता, जो हमें मातृत्व की शक्ति और प्रेम का महत्व सिखाती हैं।
... कविता रावत
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