जय जय जय शैलपुत्री माता,
प्रथम रूप में तुम हो विधाता।
हाथ में त्रिशूल, कमल विराजे,
नंदी पर तुम हो, हर दु:ख भाजे।
पर्वत पुत्री, भक्तों की रक्षा करो,
सुख-शांति का वरदान भरो।
आरती जय शैलपुत्री माता,
आरती जय जय शैलपुत्री माता।
माता दुर्गा के नव दुर्गा रूप में प्रथम रूप है शैलपुत्री देवी का,जो हिमालय की पुत्री हैं। ये देवी दृढ़ता और अटूट विश्वास की प्रतीक है।
जय माता दुर्गा,, जै शैलपुत्री माता की,,
,, कविता रावत
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