जय जय जय चंद्रघंटा माता
तृतीय रूप में तुम हो विधाता।
मस्तक पर घंटा, चंद्र का साया,
दुष्टों का संहार, तेरा ही माया।
हाथ में खड्ग, धनुष विराजे,
सिंह वाहिनी, भक्तों को साजे।
युद्ध की देवी, शत्रु संहारी,
आरती जय चंद्रघंटा माता।
निर्भयता का संदेश देने वाली माता के तीसरी शक्ति रूप में चंद्रघंटा देवी मां शांत और शक्तिशाली है, जिसके माथे पर अर्द्धचन्द्र आकार का घंटा सुशोभित है।
... कविता रावत
जै माता चंद्रघंटा
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