जय जय जय ब्रह्मचारिणी मैया,
द्वितीय रूप में तुम हो दया।
तप का तेज, मन में विराजे,
शांत स्वरूप, मन को साजे।
हाथ में कमंडल, माला सोहे,
श्वेत वसन मन को मोहे।
ज्ञान की देवी, मोक्ष दात्री,
आरती जय ब्रह्मचारिणी माता।
.,. कविता रावत
नव दुर्गा के नौ स्वरूप में द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी माता है।
माता ब्रह्मचारिणी तपस्या और त्याग की देवी मानी जाती है। यह देवी हमें जीवन में धैर्य और संयम रखने की प्रेरणा देती हैं।
जै मां ब्रह्मचारिणी।
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